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Shivam Sapdhare
◆हे भारत ◆ मत भूल, तेरे नारीत्व का आदर्श सीता, सावित्री और दमयन्ती है। मत भूल कि तेरे उपास्यदेव देवाधिदेव सर्वस्वत्यागी, उमापति शंकर है। मत भूल कि तेरा विवाह, तेरी धन-संपत्ति, तेरा जीवन केवल विषय- सुख के हेतु नहीं है, केवल तेरे व्यक्तिगत सुखोपभोग के लिए नहीं है। मत भूल कि तू माता के चरणों में बलि चढ़ने के लिए ही पैदा हुआ हैं। मत भूल कि तेरी समाज - व्यवस्था उस अनन्त जगज्जननी महामाया की छाया मात्र हैं। मत भूल कि नीच, अज्ञानी, दरिद्र, अनपढ़, चमार, मेहतर सब तेरे रक्त मांस के है, वे सब तेरे भाई है। ओ वीर पुरुष ! साहस बटोर, निर्भीक बन और गर्व कर कि तू भारतवासी है। गर्व से घोषणा कर कि "मैं भारतवासी हूँ, प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है। " मुख से बोल, "अज्ञानी भारतवासी, दरिद्र और पीड़ित भारतवासी, ब्राह्मण भारतवासी, चाण्डाल भारतवासी सभी मेरे भाई है।" तू भी एक चिथड़े से अपने तन की लज्जा को ढँक ले और गर्वपूर्वक उच्च-स्वर से उद्धोष कर, "प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है, भारतवासी मेरे प्राण हैं, भारत के देवी-देवता मेरे ईश्वर है। भारत का समाज मेरे बचपन का झूला, मेरे यौवन की फुलवारी और मेरे बुढ़ापे की काशी है।" मेरे भाई, कह : "भारत की मिटटी मेरा स्वर्ग है, भारत के कल्याण में ही मेरा कल्याण है।" अहोरात्र जपा कर, "हे गौरीनाथ ! हे जगदम्बे ! मुझे मनुष्यत्व दो। हे शक्तिमयी माँ ! मेरी दुर्बलता को हर लो; मेरी कापुरुषता को दूर भगा दो और मुझे मनुष्य बना दो, माँ !" ~ स्वामी विवेकानन्द स्वामी विवेकानंद स्वदेश मंत्र
Devanand Jadhav
४} स्वतःला परिस्तिथीचे गुलाम समजू नका, तुम्ही स्वतःचे भाग्यविधाते आहात! ५} व्यक्तिमत्व सुंदर नसेल तर, दिसायला काहीच अर्थ नाही. कारण सुंदर असण्यात आणि सुंदर दिसण्यात खूप फरक असतो! ६} जोपर्यंत तुम्ही स्वतःवर विश्वास ठेवत नाही, तोपर्यंत तुम्ही देवावरही विश्वास ठेवू शकत नाही! – स्वामी विवेकानंद ©Devanand Jadhav स्वामी विवेकानंद
Gauri Tiwari
जिस समय किसी काम को करने का वादा करो ठीक उसी समय पर उसे पूरा करो। नहीं तो लोगों का विश्वास उठ जाता है स्वामी विवेकानंद
XYZ INDORI
खुद को कमजोर समझना ही सबसे बड़ा पाप है। ©Ranvijay indori #स्वामी विवेकानंद
ANKUR WASKLE
जिंदगी में हमे बने बनाये रास्ते नही मिलते है, जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हमे खुद अपने रास्ते बनाने पड़ते है। -स्वामी विवेकानंद स्वामी विवेकानंद
Rajendra Kumar Ratnesh
ऐसा वह सन्यासी था जन्म लिया कोलकाता में नरेंद्र, माता भुवनेश्वरी और पिता विश्वनाथ था। हुए विश्व प्रचलित ऐसा वह सन्यासी था। ज्ञान का उज्जवलित ज्वाला, धैर्य का आभासी था। जीवन में उसने अध्यात्म को समझा, भारत को विश्व गुरु बनाने की ली प्रतिज्ञा। राष्ट्र की युवा शक्ति सर्वोपरी होंगे। ऐसा वह परम विश्वासी था। हुए विश्व प्रचलित ऐसा वह सन्यासी था। जब शिकागो में धर्म सभा हुआ, भारत की बौद्धिक शक्ति का संदेश दिया। जगत को अपना ज्ञान से उसने, संन्यास वेश का संदेश दिया। वेदों की ओर लौटने की, सभी देशवासियों को प्रेरित किया। अपने सन्यासियों की ताकत से, शांति मार्ग देकर, ऐसा वह साहसी था हुए विश्व प्रचलित ऐसा वह सन्यासी था। -राजेन्द्र कुमार मंडल सुपौल बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh #स्वामी विवेकानंद