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Mohit Singh
रूह प्यासी है तेरे दिदार की •••••••।•••••••◇◇◇◇सुकून चाह्ती है तेरे प्यार से◇◇◇◇••••••।मोहब्बत से भर दे मेरी रूह को ।•••••••◇◇◇◇जो बेठी है तेरे दिदार में । ©Mohit Singh #मोहब्बत से भर दे #standAlone
R.J...Laik Ahmed
जिंदगी अब थक चुकि है, रूह अब जग चुकि है...! ©Laik Ahmed आत्मा मुझे गुना ... #Soul
M.Alam. Ansari
ऐ इश्क तू मुझे बेवफाई में मशहूर कर दे,,, इस दुनियां से क्या तू मुझे मुझसे ही तू दूर कर दे,, अंसारी,, मुझे खुद से दूर कर दे
Shubham singh Rajput
मुझे प्लास्टिक मुक्त करो वरना एक दिन मुझे धरती मां कहने वाले ए मेरे संतानों आप सभी जीवो में सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान कहे जाने वाले प्राणी हैं, आपने ही बड़े-बड़े असंभव कार्य किए हैं, आपने ही बड़े-बड़े आविष्कार किए हैं लेकिन फिर मूर्खतापूर्ण कार्य करके अपने जीवन को संकट में क्यों डाल रहे हैं, मैं आप सभी को खाने के लिए अन्न देती हूं , पीने के लिए पानी संचित करती हूं सांस लेने के लिए वायु देती है और जीने के लिए शरण देती हूं, लेकिन आप सब इतने स्वार्थी हो गए हैं कि मेरे ही अस्तित्व को समाप्त करने में लगे हुए हैं, आप सब मुझ में इतने कचरे फेंकते हैं लेकिन मैं उन सबको बर्दाश्त कर लेती हूं लेकिन इस प्लास्टिक नाम के कचरे को नहीं बर्दाश्त करूंगी क्योंकि यह बहुत खतरनाक है यह मेरे गुणों को खत्म कर देता है मेरा आप सभी से आग्रह है कि मुझे उस प्लास्टिक से मुक्ति दे दो वरना 1 दिन मेरे सभी उपजाऊ पन के गुण खत्म हो जाएंगे तो आप सभी का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा मुझे प्लास्टिक से मुक्ति दे दो
Sanjeev Yadav
फिर से तराश दे मुझे ऐ ख़ुदा.............. कई लोगों ने मुझे जर्रा जर्रा तोड़ा है..!! ©Sanjeev Yadav फिर से तराश दे मुझे #OneSeason
SUFIYAN"SIDDIQUI"
या खुदा नींंंंद आती ही नही इश्क के मुशाफिरों को, मोहब्बत़ भर दे इसके खाली झोली मे तू...! सुफियान"सिद्दिकी" अररिया बिहार । मोहब्बत़ भर दे....!
HP
आप कोई कारोबार कर रहे हैं जिसमें ग्राहकों को धोखा देना पड़ता है, आप कोई ऐसी नौकरी कर रहे हैं जिसमें ग्राहकों को ठगने में अपना तन, मन लगाना पड़ता है तो आप आज ही उस काम को छोड़ दीजिए। यदि आत्मा की आवाज को कुचल कर ही आप रोटी कमाते हैं तो भूखों मर जाइये। आत्मा का माँस काट काट कर शरीर को खिलावेंगे तो वह भूखों मर जाने से महंगा पड़ेगा। रेशमी कपड़े मत पहनिये गाढ़े का टुकड़ा लपेट लीजिए, षटरस भोजन मत कीजिए रूखी रोटी खाकर पानी पीजिए; आलीशान कोठी में मत रहिए एक झोंपड़ी में गुजर कर लीजिए; पर अधर्म का पैसा मत लीजिए। सत्कर्म में भी यदि उतना ही श्रम किया जाए तो कुछ ज्यादा नुकसान न रहेगा पर यदि नुकसान रहे तो भी बिल्कुल मुक्त मिलने वाले बेईमानी के पैसे से वह लाख दर्जे अच्छा है। मुझे आत्मा पर-आत्मा के सामने जवाब देना है ?