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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} कोई भी देहधारी कर्म के त्याग में समर्थ नहीं है। जो कर्मफल का त्यागी है, वही यथार्थ त्यागी है। जय श्री राधेकृष्ण जी!! ©N S Yadav GoldMine #Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} कोई भी देहधारी कर्म के त्याग में समर्थ नहीं है। जो कर्मफल का त्यागी है, वही यथार्थ त्यागी है। जय श्री रा
#Thinking {Bolo Ji Radhey Radhey} कोई भी देहधारी कर्म के त्याग में समर्थ नहीं है। जो कर्मफल का त्यागी है, वही यथार्थ त्यागी है। जय श्री रा
read moreDev Rishi
मैंने उससे पूछा, कि...... मैं कौन था, उस हिस्से के आखरी अक्स में... खबसूरती इतना सी बढ़ी इसी प्रश्न में, कि.... ग़ैर ए हाथ खुद के नज़्म खो दिये... उसे भी कोई हक़ न था.., ख़ाक.. किसी के लिए.. कुछ नहीं था..!! ©Dev Rishi , प्रेम, त्याग, वियोग..!!
, प्रेम, त्याग, वियोग..!!
read moreBhupendra Rawat
White मैं छुपा नहीं सकता तुमसे मायूसी अपनी इसलिए मैंने गढा है तुम्हे कोरे पन्नों मे मैंने रचा है तुम्हें कविताओं मे लिखी है, कहानी और उपन्यास मेरी हर एक रचना का मुख्य पात्र रही हो तुम मैंने नहीं गढा तुम्हें अपनी रचनाओ मे त्याग की देवियों “मीरा” और “यशोधरा” की तरह बल्कि इस दफा मैंने केंद्र मे रखा हर एक उस पुरुष को जिसने समर्पित किया अपना जीवन अपनी प्रेयसी को ©Bhupendra Rawat #love_shayari मैं छुपा नहीं सकता तुमसे मायूसी अपनी इसलिए मैंने गढा है तुम्हे कोरे पन्नों मे मैंने रचा है तुम्हें कविताओं मे लिखी है, कहानी
#love_shayari मैं छुपा नहीं सकता तुमसे मायूसी अपनी इसलिए मैंने गढा है तुम्हे कोरे पन्नों मे मैंने रचा है तुम्हें कविताओं मे लिखी है, कहानी
read moreदोस्ती की दुनिया का king
भगवान श्रीराम के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें: 1. अवतार: भगवान राम को भगवान विष्णु का सातवाँ अवतार माना जाता है। उन्होंने अधर्म का नाश करने
read morepremchoudhary
Unsplash मैं सबसे महंगा तों नहीं हूं पर मुझे कद्र तों पूरी चाहिए... पहूंच जाओ आप शिखर पर समय से पहले हमें तो सब्र उसमें भी जरुरी चाहिए... ...✍️✍️प्रेम ©premchoudhary #leafbook #शायरी #त्याग #हौसला
leafbook शायरी त्याग हौसला
read moreBharat Bhushan pathak
मण्डूक दोहे पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़। जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१ माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार। देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२ रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार। पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३ कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात। वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४ मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर। भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५ इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ ©Bharat Bhushan pathak #मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे
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