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हरि ओम प्रकाश आनंद देव
हमारे दादा गुरु ब्रह्मलीन स्वामी देव मूर्ति जी महाराज जी
हरि ओम प्रकाश आनंद देव
हमारे दादा गुरु हिमालयन योग महर्षि ब्रह्मलीन स्वामी देव मूर्ति जी महाराज जी
Trilok Yadav Atwei
धर्म का दीप बना, डालिये घृत ज्ञान का। विवेक की बत्ती जला, करो प्रकाश उपकार का। दीपावली की सुभकामनाए, सभी को देता है "त्रिलोक" आपका। #diwali धर्म का दीप जला,डालिये घृत ज्ञान का।#nojotohindi #festvaloflight @Trilok Yadav #Lights
SURAJ आफताबी
जितना समेटु उतना फिसलता जाता है एक रिश्ता जो रोज "घृत" से नहाता है !! घृत - घी... अब घी का मतलब......🙏 #rishte #love #affection #life #yqbaba #yqdidi #deepthoughts #surajaaftabi
Adesh gupta
Prabhu Sree Ram Sevak Sangh
om Shanti Om ©Prabhu Sree Ram Sevak Sangh श्री द्वारका-शारदा पीठ व ज्योतिर्मठ पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य श्रद्धेय स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का ब्रह्मलीन होना संत समाज क
Purohit Nishant
🌻 जन्मदिन विशेष 🌻 ©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में... 🌻 जन्मदिन विशेष 🌻 ब्रह्मलीन संत कवि "शिवदीन राम जोशी" पद्यात्मक रचनाओं का विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रेम,
Poetry with Avdhesh Kanojia
मेरे शिक्षक हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप। तप की सजीव मूरत हैं आप।। पद कमल आपके नमन करूँ। तव ज्ञान दान से झोली भरूँ।। मुझ ज्ञानक्षीण पर करी कृपा। प्रगटाया वह जो मुझमे छिपा।। जैसे इक क्षीर में उत्पाद बहुत। माखन दधि और मलाई घृत।। वैसे एक आप में गुण हैं अनेक। तव चरणों का करूँ अभिषेक।। रहे वरद हस्त मेरे सिर पर। इतनी करुणा करना मुझ पर।। आज्ञा हो साधारण या विशेष। प्रस्तुत है तव सेवक अवधेश।। ✍️अवधेश कनौजिया हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप ह
Rajat Himachal Wale
हिमाचल दिवस कि हार्दिक शुभकामनाए ©Rajat Himachal Wale हिमाचल दिवस कि हार्दिक शुभकामनाए जय हिन्द जय हिमाचल 🙏🇮🇳😊💕 जटोली शिव मंदिर भारत देश के हिमाचल प्रदेश राज्य के सोलन जिले में स्थित है, जिसकी
रजनीश "स्वच्छंद"
भोर का मैँ गीत गाऊँ।। भोर का मैं गीत गाऊँ, अम्बर धरा मैं प्रीत गाऊँ। सींच कर मन के चमन को, हो उदित मैं जीत गाऊँ। तम का जो अवसान है, किरणों का मंगल गान है। आया नया जो बिहान है। मैं ये जग की रीत गाऊँ। मैं प्राण जीवन मे भरूँ, मैं इष्ट का पूजन करूँ, मैं संकलित आगे बढूं, मैं तोड़ तम की भीत जाउँ। जन मुदित ये प्रण मुदित, कर्म उदित ये मर्म उदित, आव गुणित ये भाव गुणित, पत्र संचित बून्द शीत गाऊँ। निर्बाध मैं निःस्वास गाऊँ, मैं सुबह और आस गाऊँ, मैं क्रीड़ा और रास गाऊँ, सखी सखा और मीत गाऊँ। वृहद और विहंगम मैं गाऊँ, एक मिलन संगम मैं गाऊँ, आज नत और नम मैं गाऊँ। छाली मथ मैं घृत गाऊँ। हो सजग सजल मैं गाऊँ, गीत ये अविरल मैं गाऊँ, बल और सम्बल मैं गाऊँ, आज निश्चल पुनीत गाऊँ। मैं धरा अम्बर मैं गाऊँ, समस्त नारी नर मैं गाऊँ, गगन उड़ता पर मैं गाऊँ, अभिषेक और किरीट गाऊँ। ©रजनीश "स्वछंद" भोर का मैँ गीत गाऊँ।। भोर का मैं गीत गाऊँ, अम्बर धरा मैं प्रीत गाऊँ। सींच कर मन के चमन को, हो उदित मैं जीत गाऊँ। तम का जो अवसान है,