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Poet Maddy

नज़रअंदाज़ कैसे करें हम तुम्हारी तबस्सुम को, तुम ही कहो कैसे देखना छोड़ दें अब हम तुमको....... #ignore#Smile#GATHERING#ForgetLove..........

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नज़रअंदाज़ कैसे करें हम तुम्हारी तबस्सुम को,
तुम ही कहो कैसे देखना छोड़ दें अब हम तुमको.......
महफ़िल में कहते हैं सभी भूल जाएं हम तुमको,
कैसे बताएं उन्हें कि कितना चाहते हैं हम तुमको.......

©Poet Maddy नज़रअंदाज़ कैसे करें हम तुम्हारी तबस्सुम को,
तुम ही कहो कैसे देखना छोड़ दें अब हम तुमको.......
#Ignore#Smile#Gathering#Forget#Love..........

ज़हर

#ManKeUjaale #ज़हर #sad_feeling #hindi_shayari ज़हर मेरी उदासियां तुम्हे कैसे नज़र आएंगी, तुम्हे देखकर जो हम मुस्कुराने लगते है #hunarbaaz

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

Shayari तूने मुझसे*बुगज जोरो का पाल रखा है जबसे, मेरी*शोहरत को खुदा ने संभाल रखा है तबसे/१ *ईर्ष्या*प्रसिद्धि मेरी बुलंदी का चर्चा

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार । पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१ मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न । #कविता

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दोहा :-
अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।
पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१
मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।
खाना सुत का अन्न तो , होना बिल्कुल सन्न ।।२
वृद्ध देख माँ बाप को , कर लो बचपन याद ।
ऐसे ही कल तुम चले , ऐसे होगे बाद ।।३
तीखे-तीखे बैन से , करो नहीं संवाद ।
छोड़े होते हाथ तो , होते तुम बरबाद ।।४
बच्चों पर अहसान क्या, आज किए माँ बाप ।
अपने-अपने कर्म का , करते पश्चाताप ।।५
मातु-पिता के मान में , कैसे ये संवाद ।
हुई कहीं तो चूक है , जो ऐसी औलाद ।।६
मातु-पिता के प्रेम का , न करना दुरुपयोग ।
उनके आज प्रताप से , सफल तुम्हारे जोग ।।७
हृदयघात कैसे हुआ , पूछे जाकर कौन ।
सुत के तीखे बैन से, मातु-पिता है मौन ।।८
खाना सुत का अन्न है , रहना होगा मौन ।
सब माया से हैं बँधें , पूछे हमको कौन ।।९
टोका-टाकी कम करो , आओ अब तुम होश ।
वृद्ध और लाचार हम , अधर रखो खामोश ।।१०
अधर तुम्हारे देखकर , कब से थे हम मौन ।
भय से कुछ बोले नही , पूछ न लो तुम कौन ।।११
थर-थर थर-थर काँपते , अधर हमारे आज ।
कहना चाहूँ आपसे , दिल का अपने राज ।।१२
मातु-पिता के मान का , रखना सदा ख्याल ।
तुम ही उनकी आस हो , तुम ही उनके लाल ।।१३
२५/०४/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

अनपढ़ ही वे ठीक थे , पढ़े लिखे बेकार ।

पड़कर माया जाल में , भूल गये व्यवहार  ।।१


मातु-पिता में भय यही , हुआ आज उत्पन्न ।

malay_28

#कहो आना हुआ कैसे #शायरी

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Sarfaraj idrishi

#Thinking लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ,, सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएं कैसे...!! दुआ की दरखास्तDhanraj Gamare indu singh Kishan Shar #Life

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Black लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ,,
 सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएं कैसे...!!
दुआ की दरखास्त


🤲

©Sarfaraj idrishi #Thinking लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ,, सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएं कैसे...!!

दुआ की दरखास्तDhanraj Gamare indu singh Kishan Shar

Rupesh

बताओ कैसे है नाम #hunarbaaz

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं । सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१ नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द #शायरी

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लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।
सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१
नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  दो अर्ज़  मेरी भी।
सुना हमने उसी दर  से  सभी  पाते  निवाले  हैं ।।२
यही    हमको    निकालेंगे   कभी   बेटे  बडे़  होकर ।
अभी  जिनके  लिए  हमने  यहाँ  छोडे़  निवाले  हैं ।।३
नहीं रोने दिया  उनको  पिया  खुद आँख का पानी ।
दिखाते आँख अब  वो हैं कि हम  उनके हवाले हैं ।।४
किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को 
वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५
यहाँ तुमसे  भला  सुंदर  बताओ और क्या जग में ।
तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे   शिवाले  हैं ।।६
डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की ।
तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७
प्रखर भाता  नहीं बर्गर  उन्हें भाता  नहीं पिज्जा ।
घरों  में  रोटियों   के  जिनके  पड़ते रोज़  लाले  हैं ।।९

                       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले   में   सर्प   डाले  हैं ।

सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१


नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  द

KUNWA SAY

#Dosti दोस्ती करना है एक से कैसे हजारों से नहीं हजार तो धोखा देते हैं पर एक नही m

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Mehfuza

#Moon कैसे समझाऊं तुम्हे! तुमसे मोहब्बत मेरे इख़्तियार मैं नहीं थी। #शायरी

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