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Vishal kumar
हर रात सुहागिन, सुबहः विधवा बनाते है, मेरे ज़िंदगी के किस्से हर रात बदल जाते है, मेरे जिस्म के टुकड़ो से अपनी भूख मिटते है, ये शरीफ लोग मुझे वैश्या बुलाते है। ज़िस्म के बाजार में मोल-भाव होती है मेरी, हर घंटे के हिसाब से बोली लगती है मेरी, मेरे जिस्म के टुकड़े हर रोज होते है, भुखे भेड़िये हर रोज नोचते है, मेरे किस्मत की बात है ज़नाब, मेरा जिस्म ही मेरी भूख मिटाता है, इसलिए हर इन्सान मुझे वैश्या बुलाता है। ©Vishal kumar vaishya
vaishya
read moreRitu Yadav
मै वो कोरा कागज हूँ, जिस पर हर कोई लिखकर चला जाता है... मैं वो रात हुँ, जिसे हर कोई तन्हा छोड़ चला जाता है... मै वो बहता पानी हूँ, जिसे हर कोई प्यास बुझा जाता है... मै वो फूल हुँ, जिसकी पंखुड़ि को हर कोई नोचना चाहता है... मै वो बचपन हुँ, जिसकी मासूमियत को तार-तार किया है... मै वो नारी हुँ, जिसे वेश्यावृत्ति में डाल दिया जाता है...। ©Ritu Yadav #sadquotes #Vaishya
Akash Gupta
अब तो आबरू भी नीलाम हो जाती है जनाब भूख के आगे इस बाजार में और तुम उसे वैश्या कहते हो जबकि दोष तुम्हारा भी तो उतना ही है जो इस बाजार का हिस्सा बनते हो फिर तुम्हें क्या कहें? -आकाश #Vaishya #nojoto