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Stories related to गालिब की गजलें

chadni dahiya

पापा की पारियों की शादी वीडियो कॉमेडी

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RUPESH Kr SINHA

#बुलनदी की कहानी खुद की

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Himanshu Prajapati

#Book पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब, जब काम जानवरों वालें ही करने है..!

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Unsplash पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब,
जब काम जानवरों वालें ही करने है..!

©Himanshu Prajapati #Book पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब,
जब काम जानवरों वालें ही करने है..!

Ravendra

पूर्व शिक्षा मंत्री ने बने मॉडल की की सराहना

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Mayuri Bhosale

दिल की कहानी की

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❣️.......शायरी दिल की कहानी .......❣️

         हर दिल मे छूपी है एक कहानी💌
         पहले हमे लगती है ओ अपनी सहेली 👭
                       पर दिल के गहराई के समंदर तक जाकर 🌊🌊
                    देख लो ओ बन जाती है एक नई पहेली.....!!❓

©Mayuri Bhosale दिल की कहानी की

अनिल कसेर "उजाला"

धड़कन की

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Supriya Jha

बेटी की विदाई

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विधाता ने बेेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है।
पिता के लाड में पली बेटी की आज विदाई है।।
जिस घर में हर पल की यादें,बचपन की लड़ाई है।
आज उससे ही मुझको करनी पड़ रही जुदाई है।।
बिछड़ने की किसने ये रस्म बनाई है।
मां के आंचल में पली बेटी की आज विदाई है।।
पिता भाई ने छुप छुप कर आंसू बहायें है।
मां बहने आंखो में आंसू लिए विदाई की दस्तूर निभाई है।।
कितनी निष्ठुरता से पिता ने कन्यादान निभाया है।
मुझको किसी के हाथ सौंप कर जिम्मेदारी से मुक्ति पाया है।।
आखिरी वचन कहकर मां ने बड़ी बात सिखाई है।
पिता के पगड़ी की लाज तू रखना इसमें ही कुल की भलाई है।।
विधाता ने बेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है।
बचपन से ही क्युं बेटियां पराई धन कहलाई है।।

©Supriya Jha बेटी की विदाई

नवनीत ठाकुर

#कफ़न की बात

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White "जिंदगी भर की जद्दोजहद, बस एक सफर की बात है,
अंत में सबके हिस्से में, एक ही कफ़न की बात है।

राहों में कांटे चुनते रहे, फूलों की आस में,
अंत में तो सबकी मंज़िल, वही श्मशान है।

मिट्टी से उठे हैं, मिट्टी में मिल जाएंगे,
जो सोने की ललक में थे, वो भी सो जाएंगे।

इंसान था, खुदा बनने की ख्वाहिश रही,
हसरतें थीं बुलंद, पर ज्यादा देर ठहर न सकी।

जिस जिस्म को संजोया, वो भी खाक हो जाएगी,
जिस दौलत पे फख्र था, वो यहीं रह जाएगी।

खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे,
ये जीवन का सफर, यूं ही खत्म हो जाएगा।

रंग-बिरंगी दुनियादारी, वो शोहरत, वो शान,
अंत में सब लुट जाएगा, रह जाएगा बस श्मशान।

धुंआ बनके उड़ जाएगा सब, हवाओं में कहीं,
वक्त की वो कड़वी सच्चाई, बस राख कहलाई जाएगी।

छोड़ जाएंगे यहां अपने निशाँ जो हमने बनाए,
लेकिन उन्हीं लहरों में वो भी मिट जाएंगे।

अभी वक्त है संभल जाओ, ये दौलत-ओ-शौहरत झूठ है,
अंत में बस प्यार का इक दिया, राह रौशन कर जाएगा।"

©नवनीत ठाकुर #कफ़न की बात

Mishra

# श्रीमद्भागवत की फूलो की होली#

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Praveen Jain "पल्लव"

#chai छूट गयी लोगो की मेजबानी चाय की

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पल्लव की डायरी
दखल अब महँगाई का
सरेआम सता रहा है
सिकुड़ती कमाई आमजन की
सूनापन बर्तनों और कपो में छा रहा है
छूट गयी मेजबानी लोगो की ,चाय की
राशन दूध गैस पर 
अधिकार आमजन खोता जा रहा है
घर घर की दुर्दशा करके
मंत्र बटोगे तो कटोगे का दिया जा रहा है
डीजल पेट्रोल जाने किसके हवाले है
इसके मद से किसका विकास किया जा रहा है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #chai छूट गयी लोगो की मेजबानी चाय की
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