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Mayank Sharma
सुनो.. मैं रिक्शेवाले की बीड़ी सा हूँ , तुम ब्रांडेड सी कोई डेंड्रार्ईट प्रिये मैं दिवाली के फुसकी बम सा, तुम विस्फोट मचाती डायनामाईट प्रिये! छोटी ड्रेस में bomb लगदी मेनू 😍❤️ #yqbaba #yqdidi #yqquotes #malang #lovequote
Hariom@Kumawat...©️...🖋
Dheeraj saini dheer
इस जन्म दिवस पर तुम्हारे मैं तुम्हें क्या उपहार दूं बड़ी ही जच रही हो इस पिंक ड्रेस में तुम सोच रहा हूं कहीं मेरी ही नजर ना लग जाए तुम्हें अगर कहो तो मेरी मां की तरह चूम कर माथा तुम्हारी नजर उतार दूं... @ dheeraj saini dheer... ©Direct Dil se इस जन्म दिवस पर तुम्हारे मैं तुम्हें क्या उपहार दूं बड़ी ही जच रही हो इस पिंक ड्रेस में तुम सोच रहा हूं कहीं मेरी ही नजर ना लग जाए तुम्हें
Dileep Kumar
😂School Ki Yadey....😁 School ki yaadवो लड़किया भी किसी आतंकवादी से कम नही हुआ करती थी...जो टिचर के क्लास मे आते ही याद दिला देती है ..सर आपने टेस्ट का बोला था...आ
JALAJ KUMAR RATHOUR
प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-15 फरवरी का महीना शुरू हो चुका था। ये महीना हजारों दिलों के टूटने का बोझ अपने कंधे पर लिए सदियों से जी रहा है,क्युकी इसको पता है कि दिल तोड़ने के साथ साथ ये उन दिलो को जोड़ता भी है, जो समाज में इसकी गरिमा को बनाये रखेंगे, गुलाब की कीमतें इस महीने में आसमान को छू लेती है। क्युकी लोग इसका प्रयोग अपनी अपनी प्रेमिकाओ को , जिन्हें वो अक्सर चाँद कहते है, को लुभाने में करते है, कई गुलाब, ख्वाब पूरे करते है। कई गुलाब ख्वाब तोड देते है,टूटना हमेशा ह्रदय को आघात पहुँचाता है फिर भी ना जाने क्यूँ लोग आसमान टूटते हुए तारों से दुआएं मांगते है, बचपन में दादी कहती थी "स्वप्निल जो व्यक्ति टूट जाता है ना,उसकी हाय और दुआए दोनो असरदार हो जाती है " आज ऐसा ही लगता है। 7 फरवरी की सुबह थी हॉस्टल के बाग में लगे गुलाब गायब हो चुके थे। सात दिन तक चलने वाले इस प्रेम के त्यौहार का आज पहला दिन था। आज गुलाबों से सजे बुके और खुद को गुलाबों सा निखारती हुई लड़कियां ही नजर आ रही थी सड़को पर और उन गुलाबों की खुबसुरती पर मंडराते भँवरे, सड़को पर कई फूल बिखरे हुए थे। मुझे इस समय फूलो की दुर्दशा देख छायावाद के कवि माखन लाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा की पंक्तियाँ" चाह नही, मैं सुरबाला के घहनो में गूंथा जाऊँ, चाह नही मैं विधप्यारी को लल चाऊँ" याद आ रही थी, तभी पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा "स्वप्निल, मुझे एहसास हो गया था। कि ये अवनी ही है। मैं पीछे मुड़ा तो देखा गुलाबी ड्रेस में गुलाब लग रही अवनी मेरे सामने खडी थी और मैं भँवरो सा उसके पास खड़ा हुआ था, प्रेम रोग भी ऐडी की चोट जैसा होता है, जब तक खुद को ना लगे तब तक दूसरे के हालात समझ ही नही आते... .... #जलज कुमार राठौर प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-15 फरवरी का महीना शुरू हो चुका था। ये महीना हजारों दिलों के टूटने का बोझ अपने कंधे पर लिए सदियों से जी रहा है,
Way With Words
बहारों के सपने। (पार्ट 4) सुबह उठ कर क्लासेज जाना, बच्चों को पढ़ाना और नॉवेल पढ़ना यह थी मेरी दिनचर्या। दिन बीतते रहे। ज़िन्दगी ख़ास किसी बदलाव के बगैर चल रही थी। एक
विरोधी अभिमान्शु
अगर माथा चूमना इश्क़ है और होंठ चूमना हवस तो साहब मैंने अक्सर इश्क़ को हवस में बदलते देखा......!!! ©विरोधी अभिमान्शु उस रोज वो किसी काम से बीएसए कॉलेज आने वाली थी। मुझको पिछले चार रोज से बताया जा रहा था कि आऊँगी तो तुम्हारे हाथ की बिरयानी और एक कफ चाय जरूर
©Kalpana'खूबसूरत ख़याल'
वोह सुर्ख़ लिबास वाली लड़की पार्ट-4 https://nojoto.com/post/2e7bdf4340cc6a15aa6b108e4c7b53f6/https-www-instagram-com-kalpanakushvaha1-ab-aaga-o अब आगे उसने कहा- क्यों फालतू म
Ek villain
कॉलेज ड्रेस कोड से संबंधित एक मुद्दे ने कर्नाटक के बाकी हिस्सों में भी विवाद को जन्म दे दिया है तमाम अराजक तत्व धार्मिक परिंदे और विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इस सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई और हिंसा में आग आदि की घटनाओं को अंजाम दिया गया संबंधित घटनाओं की बढ़ती गंभीरता और से जुड़े हिंसा को देखते हैं कर्नाटक सरकार द्वारा 3 दिन की आवश्यकता की घोषणा कर दी गई हम इस पर पूरी बहस के सामने आने वाली भटगांव से बचाते तीन महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देना चाहिए पहला यह कि मामले तो धरने के बीच का नहीं है बल्कि धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा और धार्मिक मान्यताओं के बीच का है जिसे वर्तमान परिस्थिति में संविधान की दृष्टि से देखा ना होगा दूसरा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है तीसरा मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर प्रभाव धार्मिक व्यवस्था पर राजनीतिक तंत्र व्यवस्था स्थापित किया गया था आगे चलकर पॉप या खलीफा के नेता वाली में 2 योगिनी धार्मिक सप्ताह के तहत चलने वाली राज्य व्यवस्था की जगह पर आंशिक क्रांति के सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने लिया तो इस बात पर बल दिया गया है कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से जुड़े लोगों को दबाया नहीं जाना चाहिए अगर यूरोपीय इतिहास को ही देखे तो धर्म और राज्य को लेकर वह अलग अलग प्रयोग भी किए गए हैं जहां कई राज्यों में विवाद पहुंचे और धर्म को महत्व दिया गया है ©Ek villain #शिक्षा संस्थाओं में ड्रेस कोड का मामला #promiseday