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AwadheshPSRathore_7773
इक वक्त के बाद जब हम कहीं मिले तो मैं चाहूंगी की हम दोनों चाहे भुला चुके हों एक दूजे को चाहे जो भी कारण रहा हो जिसकी वज़ह से हम दोनों किसी वक्त अलग अलग हो गए थे एक दूसरे को देख कर जब हम कहीं ठिठक कर रुके तो बजाए बहुत अप्रत्याशित तरीके से एक दूसरे को देखने के,तुम मेरी आँखों से बहते हुए आंसुओ को पूछने के लिए आसपास नजर घुमाएं बिना मेरे चेहरे को अपने कांपते हाथों से थाम लेना और वो आंसू जो तुम्हारे जाने के बाद बरसों से यही आश देख रहे थे की एक दिन तुम अवश्य आओगे,बह जाने देना उन आंसुओ को जो तुम्हारी याद में आंख की पलकों में जैसे रुके पड़े हुए सुख चुके थे वर्षों से इंतजार करते रहे मेरे आंसू और में कम से कम इतना तो deserve तुमसे तो करते ही होंगे - क्योंकि - 😥 टूट कर प्यार जो किया था तुमसे 😥 ©AwadheshPSRathore_7773 #aaina प्यार के बारे में क्या कहूँ -- "यह ऐसी चीज़ है की जिसे हो जाए उसे हो जाए" सभी प्यार करने वाले चाहे अपने आप से या अपने दोस्तों से या
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Blue Moon ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । मगर मजबूर हूँ उनका ठिकाना आज भी हूँ मैं।।२ मिलेंगे वो गली में तो बदल मैं रास्ता दूँगा । खबर ही थी नहीं ये की निशाना आज भी हूँ मैं ।।३ न जाने क्यूँ कदम मेरे खिचें यूँ ही चले जाते । कोई बतला मुझे ये दे मिटा क्या आज भी हूँ मैं ।।४ जुदा होकर भी उनसे क्या कहूँ दिल की तमन्ना को दिया सा राह में ये दिल जलाता आज भी हूँ मैं ।।५ खिलौना वह समझकर जिस तरह मुझ से यहाँ खेलें । उन्हीं से यार अब रिश्ता निभाता आज भी हूँ मैं ।।६ सुना दो तुम प्रखर अब तो खबर उस बेवफ़ा की कुछ । यहाँ जिसके लिए आसूँ बहाता आज भी हूँ मैं ।।७ १६/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । म
Pankaj Nishad