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अज्ञात
न कोई सद्गुन है, न कोई साधना करूँ भला कैसे, तेरी उपासना..! न वास्ता तप से,न वास्ता जप से संभाल लेना हो, यही है प्रार्थना..! न ज्ञान है मुझमें, न ध्यान है मुझमें कृपा की मूरत हो,कृपा की भावना..! न हो भजन तेरा, न मन मगन तेरा न भाव भक्ति हो,न वर की कामना..! जहान तेरा है, विधान तेरा है भगत के पाले में, तुझे पुकारना..! अधम भी तारे हो, सदा सहारे हो दया की दृष्टि से, मुझे निहारना..! नयन की भाषा है, तुम्हीं से आशा है मेरे खिवैया रे,मुझे उबारना..! ©अज्ञात #जगतखिवैया रे
Sonali Ghosh
तुझे शिकायत है की ढूंढने में इतना वक्त कैसे लगा और मुझे शिकायत है की खोने ही क्यों दिया। ©Sonali Ghosh #ओह #सजनी #रे
n.k. badgoan
Red sands and spectacular sandstone rock formations कई जख्म इतने गहरे होते है मेरे यार जिन पर इसांन तो क्या वक्त भी मलहम नी लगा पाता जिसके साथ हुआ हो वही समझ सकता है ©n.k. badgoan #Sands कोई किसीका नी होता मेरे भाई रे
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Rishika Srivastava "Rishnit"
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...! थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना.. लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस, एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान, तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे.. आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ
Arora PR
चल चल रे मुसाफिर चल तू उस दुनिया मे चल जहा न हो कोई फ़िक् जहा न हो मौत का कोई डर ©Arora PR चल चल रे मुसाफिर चल
प्रितफुल (प्रित)
मनासारखे..... मनासारखे तू अता वाग थोडे नको घाबरू तू पुन्हा माग थोडे धुळीला मिळाले सुखांचे मनोरे नशीबात आले पुन्हा डाग थोडे मनाला कुणाचा मिळेना सहारा वसंती फुलावे इथे बाग थोडे तिला भेटलेला खरा यार होता किती संधिसाधू महाभाग थोडे तुझ्या आठवांनी मला वेड लागे सुचावे तुलाही विरहराग थोडे अजूनी उभी आस लावून प्रीती दिली तूच वचने, सख्या जाग थोडे दिली आहुती आज माझीच मी रे करावेस तू ही कधी त्याग थोडे प्रितफुल (प्रित) ©प्रितफुल (प्रित) #मनासारखे अत्रंगी रे...!!! Kavita Pudale
Sushil Chaudhary
जा रे वेवफा मुझे भुल गए अच्छा हुआ आंखें खुल गए....ll वादा था तेरा साथ मरेंगे दुनिया से हम कयू डरेंगे ....जा रे वेवफा.....ll हवश के प्यासे होते हो तुम लड़कियों संग सोते हो तुम ....जा रे वेवफा....ll गुलाब के जैसे दिल है मेरा तु मेरी लैला, मै मजनू तेरा ......जा रे वेवफा.....ll होंठों के लाली से ललचाते हो तुम चेहरे की बनावट से आते हो तुम .....जा रे वेवफा.....ll नजरे से झुठे तारिफ करें मिलने के बहाने आहे भरे ......जा रे वेवफा....ll रिश्तों की ना वो कद्र करें झूठी गुलबो से बाहों में भरे ......जा रे बेवफा.....ll ©Sushil Chaudhary #Tulips जा रे बेवफा