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GANESH EDITZ
Parul Sharma
आज बहुत दर्द उड़ेला है मैंने महादेव इससे ही जलाभिषेक करना जल की धार कल भी होगीं बस मेरे पूजन को स्वीकार करना कृपा करो तो बस इतनी करना की अपनों का साथ देना और दुष्टों का संहार करना पारुल शर्मा #gif आज बहुत दर्द उड़ेला है मैंने महादेव इससे ही जलाभिषेक करना जल की धार कल भी होगीं बस मेरे पूजन को स्वीकार करना कृपा करो तो बस इतनी करना की अ
N S Yadav GoldMine
भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं पढ़िए इस मंदिर का इतिहास !! 🎪🎪 {Bolo Ji Radhey Radhey} टूटी झरना मंदिर :- यहाँ स्वयं माँ गंगा करती है शिवजी का जलाभिषेक:- 🌈 झारखंड के रामगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं माँ गंगा करती हैं। मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ जलाभिषेक साल के बारहो मास चौबीसो घण्टे होता है और इसे कोई और नहीं स्वयं गंगा जी द्वारा किया जाता है। यह पूजा सदियों से चली आ रही है। कहते है इस जलाभिषेक का विवरण पुराणों में भी मिलता है। भक्त मानते हैं कि यहां सच्चे दिल से मांगी गयी मुरादे सदैव पूरी होती है। 🌈 झारखण्ड के रामगढ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है। मंदिर की इतिहास 1925 से ही जुडा है। कहते हैं तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे। पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा। 🌈 कौतूहलता अंग्रेजों के मन में भी जगी लिहाजा पूरी खुदाई की गई और अंततः ये मंदिर पूरी तरह से नज़र आया। मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर माँ गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली। प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है। 🌈 मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है। सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है। ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है। कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं माँ गंगा करती हैं। 🌈 यहां लगाये गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं। यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है। वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है। 🌈 मंदिर में श्रद्धालूओं का तांता लगा रहता है।लोग दूर दूर से यहां पूजा करने आते हैं। भक्त मानते हैं कि यहां सच्चे दिल से मांगी गयी मुरादे सदैव पूरी होती है। श्रद्धालुओ का कहना हैं टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है। 🌈 भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं। कहते हैं इस जल में इतनी शक्तियां समाहित हैं कि इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है। दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है। शिव भगवान की होती है पूजा:- 🌈 मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली। प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है। मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है। मां गंगा की जल धारा का रहस्य:- सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है। ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है। कहा जाता है कि के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं। यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं। यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है। वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है। N S Yadav Rohini Delhi-85 ©N S Yadav GoldMine #boat भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं पढ़िए इस मंदिर का इतिहास !! 🎪🎪 {Bolo Ji Radhey Radhey} टूटी झरना मं
Ravendra
PARBHASH KMUAR
अभिषेकात्मक अनुष्ठान, सदा शिव की आराधना एवं स्तुति में विशेष महत्व रखता है। लेकिन क्या आपको पता है, शिवलिंग का जलाभिषेक क्यों किया जाता है? ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को जल बहुत प्रिय है। यही कारण है, कि मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर एक बर्तन लटका दिया जाता है, जिससे पानी टपकता रहता है। लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है। इस प्रश्न के उत्तर के लिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें- शास्त्रों के अनुसार,शिवलिंग में मौजूद ऊर्जा को शीतलता देने के लिए जलाभिषेक किया जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है की शिवलिंग पर जल चढ़ाने से वहां मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है, लेकिन यहां किस शीतलता और ऊर्जा की बात हो रही है? बताते हैं, लेकिन उससे पहले एक पौराणिक कथा का ज़िक्र करते हैं। जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तो उनका शरीर और मस्तिष्क गर्म हो गया था, तब देवताओं ने उनके ऊपर जल अभिषेक कर उन्हें शीतल किया। यहां मस्तिष्क गर्म होने से आज के दौर में अभिप्राय है, हमारी नकारात्मक सोच और नकारात्मक भाव। और यहां जल चढ़ाकर शीतल करने का अर्थ है, नकारात्मक शक्तियों को मन और मस्तिष्क के भीतर से बहाकर बाहर कर दिया जाए और स्वयं को शीतल किया जाए। आपने देखा होगा की जब आपको गुस्सा आता है, तो आपको पानी पीने की सलाह दी जाती है, चाय या कॉफ़ी पीने की सलाह क्यों नहीं दी जाती? क्योंकि पानी पीने से आपका मन और मस्तिष्क शांत हो जाता है। आपको मालूम होगा की मनुष्य के माथे में मध्य में आज्ञाचक्र होता है, जो पिंगला और इंडा नाड़ियों के मिलने का स्थान होता है और वहीं से आपके सोचने और समझने की क्षमता संचालित होती है, आयुर्वेद की चिकित्सा में भी, शिरोधारा मस्तिष्क को शांत करती है और हमारे शरीर में मौजूद 5 तत्व- पृथ्वी , जल, अग्नि, वायु, और आकाश, अंदर के तत्वों को विनियमित करते हैं। लेकिन इन तत्वों को संतुलित करने के लिए मन का शांत और शीतल होना ज़रूरी है। यह तभी संभव है, जब आप ओंकार का ध्यान करते हैं, जिससे आपके शरीर की ऊर्जा और मौजूद तत्व संतुलित हो जाते हैं। यही शांत मन ही तो शिव का स्थान है, और यही सकारात्मक ऊर्जा हमें, हमारे मन और सोच को शांत रखने में सहायक होती है। हम जल तो भौतिक स्तर पर डालते हैं, लेकिन वास्तव में यह जल हम अपने भीतर मौजूद सूक्ष्म स्तर पर डालते हैं। जो हमें एक स्वस्थ और उन्नत भविष्य की ओर ले जाता है। यही कारण है कि,भगवान शिव पर जल चढ़ाया जाता है, जो उनको शीतलता प्रदान करती है और जो हमारे अंतर्मन को भी शीतलता का अनुभव कराती है और उन्हें जागृत करने में हमारी मदद करती है । क्योंकि जीवन में सबसे अहम पल वो होता है जब हम अपनी ताकत को पहचान लेते हैं। तो चलिए, अपने जीवन के दुःख दर्द भोले शंकर के पास छोड़ दें। वो भोले हैं, शक्तियों का स्रोत हैं, सभी के जीवन में खुशियों का संचार करेंगे। श्रावण माह में आप भी भगवान शिव का अभिषेक कर अपने भीतर के शिवमय वातावरण को जागृत करें। ©parbhashrajbcnegmailcomm अभिषेकात्मक अनुष्ठान, सदा शिव की आराधना एवं स्तुति में विशेष महत्व रखता है। लेकिन क्या आपको पता है, शिवलिंग का जलाभिषेक क्यों किया जाता है?
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KP NEWS for the same for me to get the same for me ©कंवरपाल प्रजापति टेलर पुराणों एवं धर्म ग्रंथों में प्रदोष व्रत मनोवांधित फल की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. सावन सोम प्रदोष व्रत 2023 डेट:- सावन का अंत
AK__Alfaaz..
कल, साँझ ढ़ले, सितारों की दुनियाँ से, एक तारा, जमीं की गोद मे आ गिरा, और बन गया, फूल मोगरे का, भीनी सी महक जिसकी, भा गयी माँ लक्ष्मी को, व..हो गयी, श्रृंगार माँँ के गले का, कल, साँझ ढ़ले, सितारों की दुनियाँ से, एक तारा, जमीं की गोद मे आ गिरा, और बन गया, फूल मोगरे का, भीनी सी महक जिसकी,
Amar Anand
ज्ञानवापी नायक शेष नीचे कैप्शन में... हर हर महादेव "मुझे तो मरना है पर आपका तप बड़ा है, आपको सदियों तक इंतजार करना है" काशी में मंदिर के बाहर बैठे नंदी के कान में ये वाक्य बोल क