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Nitu Singh जज़्बातदिलके

आस्था मन में लिए मिले तब मोक्ष का द्वार जो पाप किए है गोते लगाए त्रिवेणी संगम में पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे सबके प्रति नेक विचार मौका

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White आस्था मन में लिए
मिले तब मोक्ष का द्वार 
जो पाप किए है 
गोते लगाए त्रिवेणी संगम में
पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे 
सबके प्रति नेक विचार
मौका जिसे मिला अमृत स्नान का
अब मिलेगा १४४ साल के बाद 
संत, गुरु, किन्नर और अघोरी
सब मग्न होकर शिवरात्रि मनाए   
महादेव की नगरी महादेव से मिलने 
सब चले काशी विश्वनाथ में
हर हर महादेव 🙏

©Nitu Singh जज़्बातदिलके आस्था मन में लिए
मिले तब मोक्ष का द्वार 
जो पाप किए है 
गोते लगाए त्रिवेणी संगम में
पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे 
सबके प्रति नेक विचार
मौका

Sanjeev0834

अगर #मंदिर होता तो #VIP #दर्शन हो जाते खैर ये गुरु का द्वार है यहां सब एक #समान है बस यही #फर्क है जय #गुरु #रविदास 2 जय #भीम 🦚 🔱 beingsan

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अगर मंदिर होता तो VIP दर्शन हो जाते खैर ये गुरु का द्वार है यहां सब एक समान है बस यही फर्क है जय गुरु रविदास 
(2 जय भीम🦚 🔱

If it were a temple, there would have been VIP darshan. Well, this is Guru's door, here everyone is equal, this is the only difference. Jai Guru Ravidas
 (2 Jai Bhim🦚 ⚜️

©Sanjeev0834 अगर #मंदिर होता तो #VIP #दर्शन हो जाते खैर ये गुरु का द्वार है यहां सब एक #समान है बस यही #फर्क है जय #गुरु #रविदास 
2 जय #भीम 🦚 🔱 #beingsan

theABHAYSINGH_BIPIN

#सदैवचलनाहोगा Rakesh Srivastava happydil Internet Jockey Anupriya Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) मन का दुश्मन बनना होगा

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मन का दुश्मन बनना होगा

मन का दुश्मन बनना होगा,
खुद से भी तो लड़ना होगा।
यह छल न जाए जीवन को,
सदैव ध्यान रखना होगा।

बुझ न जाए प्रगति की मशाल,
खुद आग बनकर जलना होगा।
बनो सारथी खुद के रथ का,
अर्जुन भी तुम्हें बनाना होगा।

जीवन की रणभूमि से,
सदैव चौकस रहना होगा।
कोई हित-मित्र नहीं है पीछे,
अकेले ही आगे बढ़ना होगा।

निराशा की घटाएँ घेरें,
तब खुद में जोश भरना होगा।
इम्तिहान लेगी रणभूमि जब,
समशिरों पर चलना होगा।

प्रहरी हो तुम जीवन के,
पूरी रात तुम्हें जागना होगा।
इम्तिहान नहीं, युद्ध समझो इसे,
प्रत्येक व्यूह से तुम्हें लड़ना होगा।

काबू में रखना अवचेतन को,
संघर्ष में दृढ़ रहना होगा।
ठान सको जब ख़ुद से ही रण,
ख़ुद पर प्रथम विजयी पाना होगा।

विचलित ना होना इस रण में,
भावों का नाश करना होगा।
भेद गए जब व्यूह को तुम,
अंतिम क्षण तक तुम्हें लड़ना होगा।

संकल्प लो, उद्घोष करो,
निर्भीक बाणों की वर्षा करना होगा।
तोड़ सको तुम द्वार सभी,
अभिमन्यु तुमको बनना होगा।

©theABHAYSINGH_BIPIN #सदैवचलनाहोगा
     
 Rakesh Srivastava  happydil  Internet Jockey  Anupriya  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) 

मन का दुश्मन बनना होगा

JAGAT HITKARNI 274

• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि

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•  हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी  तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों  आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै  .....

•  सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ )
साध अनुपदास-  लीखी- 
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें
छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७  (राज.)
संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org

©JAGAT HITKARNI 274 •  हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि

Mayuri Bhosale

समुद्र.... (रहस्यमय न उलगडलेले एक गुपित) 

उधळती समुद्राच्या वाऱ्याबरोबर लाटा, 
आतमध्ये दडलेल्या प्रश्नांना मिळतात  मनासारख्या वाटा.
किनारी ओथंबून वाहे शांत निर्मळ हवा, 
मेघ बरसती आठवती सुखद क्षणांचा तो गारवा. 
आकाशाचा रंग तू पांघरलास सभोवती,
खळखळाट आवाज पाण्याचा  गाणे मंजुळ गाती. 
आयुष्य हे तुझ्यासारखे खोल रुंद पातळी,
स्वतः जळत राहूनही प्रकाश देई मेणबत्ती मधील सुतळी. 
तुझ्यातील भरती ओहोटीचे कौतुक असे,
समुद्राचे ते वेगळेच रूप मग दिसे. 
भरतीचा नाही कुठला गर्व त्यास, 
ओहोटीची ही नाही कुठली खंत  त्याच्या मनास.
रोज नव्याने तू जगुनी घेतो,
असला उन्हाळा ही पाटीवर तू झेलतो. 
रात्री सोबतीस असे  चांदण्याचा शिंपलेला सडा,
खूप काही शिकण्यासारखे मिळतो जीवनास नवीन धडा.
तुझी किती आहे ती अबोल वेगळी भाषा, 
उमटवतोस जगण्याची नवीन एक आशा.
असे तुझे रहस्यमय दडलेले एक गुपित, 
कधीच न उलगडलेले कोडे सामावून घेऊ आयुष्याच्या मुठीत

©Mayuri Bhosale #समुद्र

MiMi Flix

"मोंटू, चुटकी और हुकु की रहस्यमयी प्रतियोगिता" - जंगल के बीच तीन दोस्तों की अद्भुत यात्रा शुरू होती है। एक दिन, जब वे जंगल में खेल रहे थे, च

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