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Ghumnam Gautam
White गुल से ख़ुश्बू न चरागों से उजाला माँगो माँगना ही पड़े तो वक़्त से लम्हा माँगो हक़ तुम्हारा तो हसीं दुनिया की हर शय पर है तुम जो चाहो तो नदी माँगो या सह-रा माँगो उसके होठों के तबस्सुम के ख़ज़ाने में से जो तुम्हारा है चलो आज वो हिस्सा माँगो बेटियाँ छोड़ के इक रोज़ चली जातीं हैं सिर्फ़ इसी डर से दुआओं में न बेटा माँगो इक सिवा दर्द के कुछ और न देगी दुनिया लाश उठाने को किसी और से कंधा माँगो ©Ghumnam Gautam #flowers #ख़ुश्बू #उजाला #दुनिया #ghumnamgautam
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read moreSakshi Pateriya
White अंधेरे में भी उजाला ढूंढने की कोशिश करो। ✨ कभी हार मत मानो। ©Sakshi Pateriya उजाला quotes on life
उजाला wquotes on life
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
theABHAYSINGH_BIPIN
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़ुद को कब तक बाँधोगे। वक़्त के साथ बेहिसाब ग़लतियाँ की हैं तुमने, सलाखों के पीछे ख़ुद को कब तक छुपाओगे? जो कभी साथ छांव सा था, वह अब छूट गया, आख़िर खुद से ये जंग कब तक लड़ोगे। लोग माफ़ी देते हैं एक-दूसरे को अक्सर, आख़िर तुम खुद को कब तक सताओगे। रिहाई जुर्म से नहीं मिलती, यह तो मालूम है, आख़िर ग़लतियों पर कब तक पछताओगे। प्रकृति में सूखी डालें भी बहार में पनपती हैं, खुद को सहलाने का वक़्त कब तक टालोगे। वक्त हर नासूर बने ज़ख्मों को भी भरता है, आख़िर ज़ख्मों को भरने से कब तक डरोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
दुखों का घड़ा सिर पर रख कब तक घूमोगे, जज़्बातों से भरा है दिल तेरा, कब बोलोगे। खुद की बंदिशों में दम अब घुट रहा है मेरा, पड़ी ज़ंजीरों से ख़
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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर दर्द के पीछे कोई बात होती है, हर खामोशी में एक आवाज़ होती है। पलकों के साए से कब तक छिपोगे, दिल की पुकार से कब तक बचोगे। प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक, खुद से दूरी का फसाना कब तक। वक्त की इस रेत पर नाम लिखो, एक बार प्यार से अपनी राह चुनो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर
read moreBachan Manikpuri
Unsplash दिमाग दिमाग मनुष्य का पृथ्वी है वह जमीन है वह मिट्टी होती है जहां पर हम अपनी सोच रूपी बीजों को बोते हैं जिस तरह का बीज हम अपने दिमाग में बोते हैं उसी तरह से हमारा जीवन का निर्माण होता है इसलिए अपने दिमाग में वही बीज बोए जो आपके लिए अच्छा है जो आपकी उन्नति के मार्गों को खोलती है ©Bachan Manikpuri बीज
बीज
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read moreP͢r͢a͢n͢a͢l͢i͢ k͢a͢w͢a͢l͢e͢
Unsplash .______ हम girls को अगर मुस्कुरा कर _________ दर्द छुपाना आता है तो मुक्का मार कर ____________ मुहं सुजाना भी आता है 😜😝 ©प्रणाली कावळे #leafbook SIDDHARTH.SHENDE.sid Krishna G अनिल कसेर "उजाला" Andy Mann puja udeshi
#leafbook SIDDHARTH.SHENDE.sid Krishna G अनिल कसेर "उजाला" Andy Mann puja udeshi
read moreश्रद्धा - एक गहरा समुन्दर
सारे पुराने धर्मों ने ईश्वर का भय सिखाया है! और जिसने भी ईश्वर का भय सिखाया है, उसने पृथ्वी पर अधर्म के बीज बोए हैं। क्योंकि भयभीत आदमी धार्मिक हो ही नही सकता। भयभीत आदमी धार्मिक दिखाई पड़ सकता है। ©श्रद्धा - एक गहरा समुन्दर #अधर्म #धार्मिक #“भयभीत” #ईश्वरीयशक्ति #पृथ्वीलोक #बीज #आदमीकाकिरदार #6thdec/12/24 #panchmi_shuklapaksha #margshish #11_12
#अधर्म #धार्मिक #“भयभीत” #ईश्वरीयशक्ति #पृथ्वीलोक #बीज #आदमीकाकिरदार #6thdec/12/24 #panchmi_shuklapaksha #margshish #11_12
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी वैज्ञानिकों की कारगुजारियों के चलते मौसम रंग बदल रहे है बायु प्रदूषण में केमिकल्स और वाहनों के अंधाधुंध प्रयोग शामिल हो रहे है कैसे पनपे कोई स्वस्थ्य बीज पौधा बनकर यूरिया और कीटनाशक मिट्टी के कण कण में पनप रहे है जहरीला हर खाद्यान्न भोजन के रूप में है केंसर के रूप में विश्वभर के लोगो को लील रहै है सभ्यताओं के विकास में पागलपन इतना बढ़ गया जीवन हम सब अपना बीमारियों के रूप में ढ़ोह रहे है चिंता शुद्व हवा पानी की करते करते असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
#WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
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