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विरह पँक्तियाँ(चकवा-चकवी) सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े। विरहबेला पँक्तियाँ (चकवा-चकवी) मेल मिलाय मिलन की बेला पिव संग जोड़ बंधो, एक एकांत मोह आत्मा मिलन को प्रेमताल सधो, सुभग सौभग्य से दो हृदय
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🌷 प्रणय प्रेम-राग 🌷 माखन मिश्री अधर कपोल शब्द प्रेम हृदय से बोल वाकपटुता नयन इशारा सेज सजायी छत चौबारा चांद चांदनी झांक रहे हैं चकवा चकवी ताक रहे हैं शीतल समीर सुहावनी तन में सिहरन दौड़ाती लपट झपट कर प्रियतमा प्रिय उर लग जाती बाहुपाश में प्रियतम के सिमट गई सकुचाती लजाती नयन कजरारे ,देखे ना सितारे बारंबार करें पिया मनुहार उठाओ मुखड़ा , ओ हृदय प्यारी ! पुष्प कंवल खिलेगा , करो तैयारी पूर्णिमा की रात धवल चांदनी बजे मृदंग , गाओ प्रेम राग रागिनी २२/०६/२०१८ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' 🌷 प्रणय प्रेम-राग 🌷 माखन मिश्री अधर कपोल शब्द प्रेम हृदय से बोल वाकपटुता नयन इशारा सेज सजायी छत चौबारा चांद चांदनी झांक रहे हैं चकवा चकवी
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🌷 प्रणय प्रेम-राग 🌷 माखन मिश्री अधर कपोल शब्द प्रेम हृदय से बोल वाकपटुता नयन इशारा सेज सजायी छत चौबारा चांद चांदनी झांक रहे हैं चकवा चकवी ताक रहे हैं शीतल समीर सुहावनी तन में सिहरन दौड़ाती लपट झपट प्रियतमा प्रिय उर लग जाती प्रीतम के बाहु पाश में सिमट , सकुचाती लजाती नयन कजरारे ,देखे ना सितारे बारंबार करें पिया मनुहार उठा ओ मुख , ओ हृदय प्यारी ! पुष्प कंवल खिलेगा , करो तैयारी पूर्णिमा की रात धवल चांदनी बजे मृदंग , गाओ प्रेम राग रागिनी २२/०६/२०१८ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा 'बेधड़क' 🌷 प्रणय प्रेम-राग 🌷 माखन मिश्री अधर कपोल शब्द प्रेम हृदय से बोल वाकपटुता नयन इशारा सेज सजायी छत चौबारा चांद चांदनी झांक रहे हैं चकवा चकवी त
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🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की बारात धवल चाँदनी बिछी हुई थी जैसे ; तेरे रूप की सौगात.. मन चहका, तन महका.. महक उठी साँसे रोम - रोम ने ली अँगड़ायी भर लूँ बेहिचक बाँहों में, पर दिल की धड़कन घबरायी .. पलकों के पीछे तेरे रूप को प्यार से सींचा तू कुमुदिनी बनकर खिलखिलाई उस पल को नयनों में भींचा .. चाँद चाँदनी यौवन पर ठहरा अर्द्ध रात्रि का आया सहरा चकवे ने चकवी को आवाज लगाई तब, चाँदनी नीचे साया ठहरा... दिल तुझमें मशगूल रहा हसीं लम्हों में प्यार का फूल रहा दो साये संग में हिलने डुलने लगे पर, वक़्त बिछड़ने वाला शूल हुआ.. रात बीती , नये सवेरे का उजाला नीमबाज़ आँखें, आँखों में तेरा चेहरा जन्नती रात, उजड़ गया सपनों का गुलशन रात मेरी जान , हमारी चाहतों का समंदर गहरा.. ०५/०६/२०२० 🌷👰💓💝 ... ✍कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की
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🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की बारात धवल चाँदनी बिछी हुई थी जैसे ; तेरे रूप की सौगात.. मन चहका, तन महका.. महक उठी साँसे रोम - रोम ने ली अँगड़ायी भर लूँ बेहिचक बाँहों में, पर दिल की धड़कन घबरायी .. पलकों के पीछे तेरे रूप को प्यार से सींचा तू कुमुदिनी बनकर खिलखिलाई उस पल को नयनों में भींचा .. चाँद चाँदनी यौवन पर ठहरा अर्द्ध रात्रि का आया सहरा चकवे ने चकवी को आवाज लगाई तब, चाँदनी नीचे साया ठहरा... दिल तुझमें मशगूल रहा हसीं लम्हों में प्यार का फूल रहा दो साये संग में हिलने डुलने लगे पर, वक़्त बिछड़ने वाला शूल हुआ.. रात बीती , नये सवेरे का उजाला नीमबाज़ आँखें, आँखों में तेरा चेहरा जन्नती रात, उजड़ गया सपनों का गुलशन रात मेरी जान , हमारी चाहतों का समंदर गहरा.. ०५/०६/२०२० 🌷👰💓💝 ... ✍कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की
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🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की बारात धवल चाँदनी बिछी हुई थी जैसे ; तेरे रूप की सौगात.. मन चहका, तन महका.. महक उठी साँसे रोम - रोम ने ली अँगड़ायी भर लूँ बेहिचक बाँहों में, पर दिल की धड़कन घबरायी .. पलकों के पीछे तेरे रूप को प्यार से सींचा तू कुमुदिनी बनकर खिलखिलाई उस पल को नयनों में भींचा .. चाँद चाँदनी यौवन पर ठहरा अर्द्ध रात्रि का आया सहरा चकवे ने चकवी को आवाज लगाई तब, चाँदनी नीचे साया ठहरा... दिल तुझमें मशगूल रहा हसीं लम्हों में प्यार का फूल रहा दो साये संग में हिलने डुलने लगे पर, वक़्त बिछड़ने वाला शूल हुआ.. रात बीती , नये सवेरे का उजाला नीमबाज़ आँखें, आँखों में तेरा चेहरा जन्नती रात, उजड़ गया सपनों का गुलशन रात मेरी जान , हमारी चाहतों का समंदर गहरा.. ०५/०६/२०२० 🌷👰💓💝 ... ✍कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की
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🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की बारात धवल चाँदनी बिछी हुई थी जैसे ; तेरे रूप की सौगात.. मन चहका, तन महका.. महक उठी साँसे रोम - रोम ने ली अँगड़ायी भर लूँ बेहिचक बाँहों में, पर दिल की धड़कन घबरायी .. पलकों के पीछे तेरे रूप को प्यार से सींचा तू कुमुदिनी बनकर खिलखिलाई उस पल को नयनों में भींचा .. चाँद चाँदनी यौवन पर ठहरा अर्द्ध रात्रि का आया सहरा चकवे ने चकवी को आवाज लगाई तब, चाँदनी नीचे साया ठहरा... दिल तुझमें मशगूल रहा हसीं लम्हों में प्यार का फूल रहा दो साये संग में हिलने डुलने लगे पर, वक़्त बिछड़ने वाला शूल हुआ.. रात बीती , नये सवेरे का उजाला नीमबाज़ आँखें, आँखों में तेरा चेहरा जन्नती रात, उजड़ गया सपनों का गुलशन रात मेरी जान , हमारी चाहतों का समंदर गहरा.. ०५/०६/२०२० 🌷👰💓💝 ... ✍कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 रात का अफ़साना त्रयोदशी की रात खुली छत पर सोया पहली बार चाँद देखा, टिमटिमाते तारे देखे हजार.. चाँद में तुम दिखती थी तारों में सपनों की