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Ek villain
वह जानता है कि सांच को आंच नहीं उसे सत्य में जयते की संकल्पना पर पूर्ण विश्वास होता है यही विश्वास उसे ऊर्जा प्रदान करता है सत्य निष्ठा ही हमें धैर्य निष्ठा बनाती है हम अपने धैर्य की ओर बढ़ते चले जाते हैं हमारा धैर्य हमें सफलता प्रदान करता है सत्य निष्ठा के रथ पर सवार होकर बहरे निष्ठा बनकर हम अपना जीवन सार्थक बना सकते हैं इसका विपरीत आ सकते सत्य से प्रभावशाली बनाने का भरसक प्रयत्न करता है वह उसे दबाने के लिए तमाम तिगड़म भी करता है परंतु सत्य के ओजस्वी प्रभाव एवं प्राप्त के समक्ष आ सकते धराशाई हो जाता है ©Ek villain #City #सत्य निष्ठा ही हमें धैर्य निष्ठा बनाती है
Gautam_Anand
हर वक़्त हर बात पे मेरी निष्ठा ना तौलिये इन बिखरे हुए रिश्तों के लिये ख़ुद को टटोलिए निराश करती है हर एक बात में दिमाग़ की बात ना आजमाइए तहज़ीब को कभी दिल से बोलिये #निष्ठा
jugalmilan
सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं और इंसानियत से बड़ा कोई कर्म नहीं #सत्य और निष्ठा
Ek villain
सत्य निष्ठा को व्यक्तित्व का आभूषण माना गया है सत्य निष्ठा हमें डेड साहसी एवं न्याय पर रहे बनाती है सत्य की अनुगामी व्यक्ति का आचरण सदैव वादिनी यह होता है समाज उसकी प्रशंसा करता है उसके कार्य की सराहना होती है सत्य की डोर पकड़ कर जीवन रूपी भवसागर को आसानी से पार किया जा सकता है जहां सत्य है वहां वह लोग और मत पटक भी नहीं पाते सत्य से ही सूचित का जन्म होता है सूचित हमारे चरित्र जीवन का अमृत कैलाश है यह अमृत कैलाश हमारे व्यक्तित्व को प्रमाण वान बनाता है सत्य निष्ठा व्यक्ति निर्भय होकर अपनी बात कहता है उस पर किसी भी प्रकार का भय प्रभाव नहीं डाल पाता मैं भविष्य और परिणाम के प्रति भयभीत नहीं होता ©Ek villain #City #सत्य निष्ठा को व्यक्तित्व का आभूषण माना गया है
नशीली कलम
हाँ में लड़की हूँ👧 मुझे पता है मुझे पराये घर🏣 जाना है पर ये देश 🇮🇳तो मेरा अपना और एक आईपीएस💂 बन कर इसकी सेवा करना मेरा सपना है 🇮🇳आईपीएस🇮🇳 #आईपीएस #संघर्ष #निष्ठा #मेरा_भारत
SK Poetic
writing quotes in hindi पेशवा नारायणराव की पुत्री सुनंदा ने अपनी बुआ रानी लक्ष्मीबाई की तरह अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती देकर निर्भीकता का परिचय दिया। सुनंदा को अंग्रेजों ने त्रिचनापल्ली की जेल में बंद कर दिया ।वहाँ से मुक होते ही वे एकांत में भक्ति-साधना करने नैमिषारण्य जा पहुँचीं। वहाँ वे परम विरक्त संत गौरीशंकरजी के संपर्क में आईं। संतजी सत्संग के लिए आने वालों को स्वदेशी व स्वधर्म प्रेम के लिए प्रेरित करते थे। सुनंदा उनकी शिष्या बन गईं। साध्वी सुनंदा ने साधु-संतों से संपर्क कर उन्हें स्वदेशी व स्वधर्म के लिए जन-जागरण करने के लिए तैयार किया। नैमिषारण्य में लोग ‘साध्वी तपस्विनी’ के नाम से उन्हें पुकारने लगे। वे साधुओं की टोली के साथ गाँवों में पहुँचतीं और ग्रामीणों को विदेशी सत्ता के विरुद्ध विद्रोह की प्रेरणा देतीं। अंग्रेजों को जब साधु-संतों के इस अभियान का पता चला, तो सीतापुर के आस-पास के अनेक साधुओं को गोलियों से उड़ा दिया गया । तपस्विनी सुनंदा चुपचाप नेपाल जा पहुँचीं। वहाँ से गुप्त रूप से पुणे पहुँचकर उन्होंने लोकमान्य तिलक से आशीर्वाद लिया। वे स्वामी विवेकानंदजी से भी बहुत प्रभावित थीं। उन्होंने कलकत्ता में महाकाली कन्या विद्यालय की स्थापना की ।सुनंदा ने बंग-भंग के विरोध में हुए आंदोलन में भाग लिया। 16 अगस्त, 1906 को कोलकाता में रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में हुंकार भरते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि हम रक्षाबंधन के पवित्र दिन विदेशी वस्तुओं के पूर्ण बहिष्कार का संकल्प ले लें, तो अंग्रेजी सत्ता की जड़ें हिल जाएँगी।’ अगले ही वर्ष 1907 में राष्ट्रभक्त तपस्विनी ने कोलकाता में स्वदेशी का प्रचार करते हुए अंतिम सांस ली । ©S Talks with Shubham Kumar तपस्विनी की स्वदेश निष्ठा
Mangesh Barge
निष्ठा देशभक्तीची कोरोनाच्या संकट जगामध्ये वाढल आहे देशभक्ताच्या निष्ठेने त्यालाही जखडले आहे.... उभा आहे देशभक्त बांधावरती शेताच्या गाळून घाम मातीमध्ये अन्न धान्य पिकवल आहे.... उभा आहे देशभक्त सिमेवरती देशाच्या संरक्षणासाठी देशाच्या त्याने घर-दार सोडलं आहे.... उभा आहे देशभक्त दवाखान्याच्या वॉर्डमध्ये नातं नव त्याने दवाखान्याशीच जोडलं आहे.... उभा आहे देशभक्त काठी घेऊन चौकामध्ये खाकीच्या धाकानं हे दुष्टचक्र तोडलं आहे.... देशभक्तांच्या निष्ठेने कोरोनाला जखडले आहे.... कवि- मंगेश बर्गे #निष्ठा देशभक्तांची #Mangesh #Barge #Patil