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Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97
White https://www.amazon.in/dp/9363303624/ref=sr_1_1?crid=1BG7ESUNE99LA&dib=eyJ2IjoiMSJ9.u_X-ACLRxc3Bp_N1TlG0rQ.6Qiwd2Wla8gtRO9hqyOuf_aJyG0p-vE3cHJ7OViYmlY&dib_tag=se&keywords=9789363303621&qid=1730815253&sprefix=9789363306233%2Caps%2C378&sr=8-1 ©Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97 #समझ सको तो अर्थ हूँ #कविता #Love
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी घोसले जानवरो जैसे पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है रहता जिसमे हवा पानी का अभाव घुटन भरी शाम है ना सूरज ना चाँद का दीदार है अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये कुछ टुकड़े लालच के फेककर गाँवो से होता पलायन है सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से मगर हो चला गुमशुदा आदमी यहाँ अपनी पहचान से प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #alone_sad_shayri रहता जिसमे हवा पानी का अभाव है
#alone_sad_shayri रहता जिसमे हवा पानी का अभाव है
read moreMahesh Patel
White સહેલી... हर कोई चंदन तो नहीं होता.. जो जीवन सुगंधित कर सके.. कुछ नीम के पेड़ भी होते हैं.. जो सुगंधित नहीं करते.. पर उनकी छाव ,लाला,के.. बहुत काम आती हैं.. लाला..... ©Mahesh Patel सहेली.. चंदन... लाला....
सहेली.. चंदन... लाला....
read moreKalpana Tomar
तुम शब्द हो, मैं अर्थ हूं, अन्यथा मैं व्यर्थ हूं। तुम जो सिद्ध कर चुके, मैं वो अकाट्य तर्क हूं। तुम सजग रहे सदा, ये देख मैं सतर्क हूं। तुम ठान लो, जो कर सको, मैं भी अभी समर्थ हूं। जो मुझे आदेश दो, उस हेतु ही तदर्थ हूं। अगर तुमने छल किया, तो मैं महा अनर्थ हूं। ©Kalpana Tomar मैं शब्द तुम अर्थ #nojohindi #nojolife #nojolove #nojoto_poetry
मैं शब्द तुम अर्थ #nojohindi #nojolife #nojolove #nojoto_poetry
read moremeri_lekhni_12
White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों, लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता। क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम, तुम्हारे चेहरे पर मातम सा अब अच्छा नहीं लगता। तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे, तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता। तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।। पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली ©ek_tukda_zindgi _12 मेरे जीते जी रो लेता..........#कविता #Poetry #gajal
काव्य महारथी
काव्य महारथी जनकवि सुखराम शर्मा जी प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविताएं हिंदी दिवस पर कविता
read moreRadhe Radhe
White काफी कठिनाइयों के बाद फिर नई शुरुआत हुई संघर्ष नहीं कहुंगी ये सफर था मंजिल तक जाने के लिए ठोकर लगी तो उठ चले घर नहीं देवालय मालुम हुआ कुछ नहीं है जन्हाय में एक उसके अलावा शुभ दिन की शुभ बेला में एक नए शुरूआत हुई। जय श्री शनिदेव ©Radhe Radhe प्रभु का ध्यान
प्रभु का ध्यान
read moreNeema Pawal
White लड़खड़ाते कदमों से , दुनिया की रफ़्तार, के पीछे भाग रही थी । अकेली हूं यह सोचकर , ज़माने से डर रही थी । पर दुनिया की तेज़ी में , दुनिया बनाने वाले को भूल गई थी। हैरानी की बात है , वह मुझे नहीं भूला था । जहां-जहां मेरे लड़खड़ाते कदम पड़े उसने रास्ता बना दिया। मुश्किलें मेरी मोम की तरह पिघल गईं । दुनिया नहीं दुनिया बनाने वाला बड़ा है अब मैं यह समझ गई। ©Neema Pawal प्रभु की कृपा।
प्रभु की कृपा।
read moreनवनीत ठाकुर
जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
#प्रकृति का विलाप कविता
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