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DANVEER SINGH DUNIYA

मानवता को #शायरी

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अरे मानवता मैंने सड़क पर चलती देखी है
संभल कर चलना पीछे से कहती देखी है
जरूरत बन कर भी दर्द से सहती देखी है
वे कभी दाएं कभी बाएं से थमती देखी है
कभी लाल कभी पीली बदलती देखी है
इशारों से बातें कर के वो रूकती देखी है

©DANVEER SINGH DUNIYA मानवता को

Shravan Goud

मानवता को धारण करना चाहिए।

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 धर्म वही जो हमने
धारण कर रखा है।
कर्म वही जो किसी
का दिल न दुखाएं।
शास्त्र वही जो शस्त्र
को हरा दे। मनुष्य
वही जो इंसानियत
बरकरार रखे।
 मानवता को धारण करना चाहिए।

Neeraj Upadhyay 9548637485

मानवता को दिल से आभार

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Sanu Chauhan Spn

गम को Delete करो खुशी को save करो दोस्ती को Download करो....... #शायरी

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गम को Delete करो खुशी को Save करो
दोस्ती को Download करो प्यार को Incoming करो
नफरत को OutGoing करो हंसी को Hold करो
और अपनी मुस्कान को Send करो
❤️❤️ सानू सिंह चौहान❤️❤️
WhatsApp - 9454500732 गम को Delete करो
 खुशी को save करो
दोस्ती को Download करो.......

Rohit Kahar

मानवता और मानवता #समाज

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इस मोल भाव के जगत में मानवता कहा खो जाती हैं 

कैसे कोई अग्बा कर लेता है किसी की बेटी को
सोचो कैसे खाते होंगे उसके घर वाले रोटी को

वहीं बेटी अग्बा हुई जब हुई तार तार थी
वहीं बेटी समाज की खातिर मानवता का अवतार थी

अक्सर बो बेटियां ही अग्बा होती है
 जिन्हे समाज ने पहनाई बेड़ियां होती है

क्यों न कुछ बेड़ियां समाज के लिए बना दे
और बेटियों को उन बेड़ियों से आजाद कर दे।
और बता दे समाज को (x2)
वो कल भी लछंमी बाई थी और आज भी लछंमी बाई है

©Rohit Kahar मानवता और मानवता

poorva Kothari

# मानवता को तार-तार करती महामारी

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Ajay Daanav

प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता। #कविता

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हृदय से उपजे विचार हो तुम
शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम
करती हुई झंकृत मन-वीणा
सातों सुरों की झनकार हो तुम
हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी
कविता का मेरी सार हो तुम
हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।

Akash Chaudhary

प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️ #Poetry

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प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात

गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते
जो कभी वृक्ष के वक्ष से
कलाएं करते थे,
कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर
गुजरी,
मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया
उनके पैरों के निशान,
क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको
परिभाषित करो,
क्या नहीं बताना चाहते
मुझे अपने प्रेम के विषय में,
तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं
समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं,
तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद
आयी होगी,
चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं
जब चाहना तब दास्तां सुनाना......,
तुम्हारा मौन समझता हूं मैं,
तुम बता रहे हो शायद मुझे 
प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता
वो होता है बस ,बस होता है।।

©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️

Meenakshi Sharma

मानवता को शर्म सार कर जातें हों #शायरी

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बच्चों से मजदूरी कराते हो,
 फिर तुम खुद कैसे जुएं के अड्डे में आंनद पाते हों,

शराब के नशें में धूत हो कर,
तुम खुद अपनी बीबी से भीख मंगवातें हों। 

क्या मर गई है तुम्हारे अंदर की इन्सानियत,
जो तुम मानवता का सिर झुकातें हो।
Meenakshi Sharma मानवता को शर्म सार कर जातें हों
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