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Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ram lala ayodhya mandir 🚩जय श्री राम🚩 राम-राम सब जपते रहना , सुनो यही हनुमत का कहना । कलयुग की माया से बचना , राम-नाम की मिश्री चखना ।। जब से रघुपति अवध पधारे , देख अवध में हैं उँजियारे ।। हम सब रघुपति आप सहारे , होय कष्ट तो आप पुकारे ।। रामचंद्र भगवान हमारे , भव से सबको पार उतारे । जिनकी अब तक राह निहारे , आय गये वो पालन हारे ।। मन में उनकी प्रतिमा रखना , समय-समय पर तकते रहना । उनकी मार्यादा को रखना , आदर्शों पर उनके चलना ।। सत्य सनातन धर्म हमारा , एक यही है आज सहारा । कर लो तुम ही आप किनारा , हमको तो प्राणों से प्यारा ।। थाम इसी की उँगली चलना , राम-राम नित भजते रहना । इज अवध हमको है जाना , यही हृदय ने मेरे ठाना ।। २०/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *🚩जय श्री राम🚩* राम-राम सब जपते रहना , सुनो यही हनुमत का कहना । कलयुग की माया से बचना , राम-नाम की मिश्री चखना ।। जब से रघुपति अवध पधारे ,
PRIYANKA GUPTA(gudiya)
Mili Saha
// नई पीढ़ी का विकास हमारा कर्तव्य // बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्तव्य, मान रखना है हमें सदैव, कुदरत के इस विश्वास का, बाल रूप होता है अबोध, निर्दोष सब सरल लगे जिसे, हमें ही तो बोध कराना है उन्हें,नैतिकता के एहसास का, पूर्वजों के आदर्शों, संस्कारों को नई पीढ़ी बोझ ना समझें, इसलिए पल-पल महत्व समझाना है हमें इनके उजास का शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को सिखा सकते हैं जीने की कला, बस आवश्यकता है हमारी शिक्षा प्रणाली में एक नए बदलाव का, शिक्षा का अर्थ केवल किताबों से कुछ ज्ञान प्राप्त कर लेना नहीं है, शिक्षा को साधन बना सकते हैं हम संस्कृति,संस्कारों से जुड़ाव का, शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें पूर्वजों की गाथा से जोड़े रखना है, समाज, देश के लिए हमें आगाज़ करना होगा एक सार्थक प्रयास का, भविष्य की आशा है नई पीढ़ी, इन्हें बचाना, संजोना है हमारा कर्तव्य, समझाना है उन्हें ये चकाचौंध तो बस है पिंजरा, अंधकार के ग्रास का, जीवन में एक नींव का कार्य करते हैं बाल्यकाल में दिए गए संस्कार, समय रहते निर्माण करना होगा हमें चरित्र और सर्वांगीण विकास का, अक्सर कई वजह से नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को स्वीकार नहीं कर पाती, आपसी तालमेल से ही अंत हो पाएगा पीढ़ियों में अंतर के, इस द्वंद का, पुरानी पीढ़ियों को भी बदलते परिवेश की चुनौतियों को समझना होगा, तभी तो एक सुगम मार्ग प्रशस्त हो पाएगा, इस नई पीढ़ी के विकास का, कभी जिद कभी नादानियों का वहन कर उन्हें समझना, समझाना होगा, ताकि आधुनिकता की होड़ में भी, महत्व समझें संस्कारों के प्रभाव का। ©Mili Saha बहुत विश्वास और उम्मीद के साथ कुदरत देती है, हाथ हमारे हाथों में, नई पीढ़ी के पूर्ण विकास का, नई पीढ़ी को सही मार्ग दिखाना, है ये हमारा कर्
Mili Saha
बड़े अनमोल और खास होते हैं वो पल, जो हम अपने बुजुर्गों के संग बिताते हैं, उनके दिए आदर्श और आशीर्वाद हमें, जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। छोड़ कर सब कुछ थोड़े समय के लिए, चलो फिर पुरानी यादों में हम खो जाएं, बिताए थे जो हमने बुजुर्गों के साथ पल, वापस फिर उसे अपने जीवन में ले आएं। यादें पुरानी है लेकिन बड़ी ही सुहानी है, आज भी यादों में दादी की वो कहानी है, बहुत समय नहीं बिताया था उनके साथ, पर जितना भी था वह बहुत ही था ख़ास। दादी का साथ बहुत ही प्यारा होता था, हर रात कहानी का पिटारा खुलता था, शुरू होती थी जो कहानी पहले दिन में, वो रोमांचभर कई दिनों तक चलता था। आदर्शों से भरी होती उनकी कहानियांँ, जीवन भर रहेंगी उनकी यह निशानियांँ, हर बार एक नई सीख हमें दे जाती थीं, कहानियों से जीवन जीना सिखाती थीं। उस समय नहीं मतलब समझ पाते थे, हम तो कहानियां सुनकर मज़ा लेते थे, वास्तव में संघर्षों से लड़ना सिखाती थी, किस्सों के माध्यम से हमें समझाती थी। ( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) ©Mili Saha अनमोल पल बड़े अनमोल और खास होते हैं वो पल, जो हम अपने बुजुर्गों के संग बिताते हैं, उनके दिए आदर्श और आशीर्वाद हमें, जीवन में आगे बढ़न
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 " धर्म चिन्हों " और प्रचलनों से कोई महान नहीं बनता । जिसने " आदर्शों " के प्रति अपनी निष्ठा जिस सीमा तक परिपक्व की है , वस्तुत:उसी का बड़प्पन सराहनीय है !.i. j ©Motivational indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 " धर्म चिन्हों " और प्रचलनों से कोई महान नहीं बनता । जिसने " आदर्शों " के प्रति अपनी निष्ठा जिस सीमा तक परिपक्व की है , वस्तुत
Rajiv R Srivastava
चाहो तो बदल सकता है, तुम्हारा आने वाला कल; पर क्या चाह कर भी बदल सकते हो बीता हुआ कल.?? चाहो तो कर सकते हो, अनजान लोगों पर विश्वास; पर क्या भूल सकते हो ‘अपनों’ द्वारा किया गया छल.?? ✍🏻@raj_sri 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसीलिए 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया
Seema Sharma
चाहो तो बदल सकते हो इतिहास भी होनी चाहिए बस निष्ठा मन में और हो बस खुद पर अडिग विश्वास भी। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इसीलिए 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया