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theABHAYSINGH_BIPIN

#lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं, दिल से हर ग़म को भुला जाएं। तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो, फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो। सुलझा लें रिश्

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Unsplash आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
दिल से हर ग़म को भुला जाएं।
तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो,
फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो।

सुलझा लें रिश्तों की उलझी डोर,
हर ख्वाब फिर से करें चमत्कोर।
नीलगगन की बाहों में उड़ते रहें,
प्यार का पतंग संग थामे चलें।

हर शिकायत को हवा में बहा दें,
हर दूरी को अपने करीब ला दें।
आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
एक नई दास्तां फिर लिख जाएं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #lovelife आओ फिर से अजनबी हो जाएं,
दिल से हर ग़म को भुला जाएं।
तुम्हारी वही नज़र, वही अंदाज़ हो,
फिर से मोहब्बत का आगाज़ हो।

सुलझा लें रिश्

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर आरज़ू भी कहां सुकूं देती, सांस आती है पर नहीं जाती। हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी, कहीं आवाज असर नहीं पाती। यह सफर, यह तमाम रास्ते,

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आरज़ू भी कहां सुकूं देती,
सांस आती है पर नहीं जाती।
हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी,
 आवाज कहीं असर नहीं पाती।

यह सफर, यह तमाम रास्ते,
खुद से मिलने की खबर नहीं लाती।
किससे कहें ये दिल के किस्से,
कोई सुनता है पर नहीं सुन पाती।

आरज़ू और भी बढ़ती जाती है,
मगर मंज़िल की कोई खबर नहीं आती।
हर लम्हा ठहर-सा जाता है,
जैसे सांस चलती, मगर नहीं आती।

किसी मोड़ पर शायद जवाब मिले,
पर सवालों की गूंज थम नहीं पाती।
हमने खुद को भुला दिया है यहां,
और जिंदगी ये समझ नहीं पाती।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
आरज़ू भी कहां सुकूं देती,
सांस आती है पर नहीं जाती।
हर दुआ जैसे बेमकसद ठहरी,
कहीं आवाज असर नहीं पाती।

यह सफर, यह तमाम रास्ते,

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व

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इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत,
फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी।

ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया,
वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी।

चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने,
ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी।

कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र,
जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी।

जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें,
छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी।

हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें,
और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत,
फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी।

ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया,
व

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Shayari nojoto चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१ नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,तभी तो हों रहीं रुस्वाइया

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#library nojoto #Shayari चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१ नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,तभी तो हों रहीं

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Unsplash चमन मे चारसु चिंगारियां है,
जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,
तभी तो हों रहीं रुस्वाइयाँ है//२

कहीं पे रखके वो भुला मुहब्बत,
वहीं से नफरतों की आगाजियां है//३

तुझे समझूँ,तुझे चाहूँ मुसलसल,
यही तो इश्क़ की रुहानियां है//४

तेरे पहलु मे आके बैठ जाऊं,
    सनम दिल में तेरी रुमानियाँ है/५

न बन पाये जो तु मेरा कभी भी,
मै समझूंगी तुझे दुश्वारियां है//६

लगी आतिश चमन मे बद-अम्न की,
सुकून वालों को ही हैरानियां है//७
#Shamawtitesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #library #nojoto #shayari 
चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके
गुल्ची,तभी तो हों रहीं

Rakesh frnds4ever

#मौत सबको आनी है कौन इससे छूटा है तू फ़ना नही होगा ये खयाल झूठा है #साँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जायेंगे बाप #माँ बहन बीवी बच्चे छूट जायेंग

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_Status चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१ नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,तभी तो हों रहीं हर्राजियाँ है//

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White चमन मे चारसु चिंगारियां है,
      जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,
तभी तो हों रहीं हर्राजियाँ है//२

कहीं पर रखके वो भुला मुहब्बत,
चलन मे नफरतों की तैयारियां है//३

तेरे पह्लु मे आकर बैठ जाऊं,
 मेरे दिल में तेरी बेताबियां है//४

तुझे चाहूँ तुझे सोचूँ मुसलसल
मेरे दिल में तेरी बेचैनियां है//५

न बन पाये जो तु मेरा कभी भी,
मै समझूंगी तेरे शानो पे जिम्मदारियां है//६

लगे मैले चमन मे बद-अमन के,
मगर"शम्मा"से इनको क्यूं  दुश्वरियां है//७
#Shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Sad_Status चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके
गुल्ची,तभी तो हों रहीं हर्राजियाँ है//

नवनीत ठाकुर

#हर खुशी में छुपा एक डर सा है, हर हंसी के पीछे एक असर सा है। जो दर्द दिल के करीब आ चुका, उसे दूर किया जाए तो मुश्किल होगी। हर जख़्म ने सिखाई

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