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AYUSH SINGH
White सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग रूठे रूठ जाए। उलटी गति सीधी हो न भले, प्रति जन की दाल गले न गले, टाले न बान यह कभी टले, यह जान जाए तो ख़ूब जाए। ©AYUSH Kumar सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग र
Shaarang Deepak
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
Vikrant Rajliwal
Instagram id @kavi_neetesh
bharat quotes आज का दिन शहीद दिवस , चालीस शूर शहादत पाए थे । आज का दिन हुआ था दुर्दिन , आतंकी हमले में प्राण गँवाए थे।। हमला किए आतंकी हमलावर , अकस्मात कुकृत्य हमला था । कहाँ से मिला ये ऐसी हिम्मत , जैसे मिला हमारा ही अमला था।। मिलता कैसे दुश्मन को सुराग , हम कहाँ पर और हम कैसे हैं ? अचानक से किसी घर में घुसना, जब सहज रूप हम ऐसे वैसे हैं ।। कोटिशः नमन समस्त शहीदों को , सादर श्रद्धांजली अर्पित करते हैं । परिवार समाज धरा ये तजकर , लंबी ख्याति वे अर्जित करते हैं ।। ©Instagram id @kavi_neetesh विषय: पुलवामा हमला आज का दिन शहीद दिवस , चालीस शूर शहादत पाए थे । आज का दिन हुआ था दुर्दिन , आतंकी हमले में प्राण गँवाए थे।। हमला किए आतंकी
KP EDUCATION HD
KP EDUCATION HD कंवरपाल प्रजापति motivational quotes in Hindi KP MOTIVATION HD कंवरपाल प्रजापति ©KP EDUCATION HD यहां जानें 1 से 7 जनवरी 2024 का साप्ताहिक राशिफल एक क्लिक पर। हो चुकी है नए साल जनवरी 2024 की शुरुआत। जनवरी का पहला और नया हफ्ता क्या लेकर आ
Bharat Bhushan pathak
तपता है यह जितना जीवन,कीमत उतना बढ़ता है। सहज- सहज कर इसको रखना,भाग्य विफलता मढ़ता है।। ©Bharat Bhushan pathak #जीवन#lifestory#untold#motivational#nojotohindi#nojotopoetry#दोटूक#andaazebayaan तपता है यह जितना जीवन,कीमत उतना बढ़ता है। सहज- सहज कर इसको
#suman singh rajpoot
जो चल रहा है वर्तमान में आसमां धरा का अंतर है। पर दिमाग़ स्वीकार कर रहा, जो वर्तमान में चल रहा मंतर है। पैसे वालों की सहज स्वीकार हो जाता है अपमान भी ! अस्वीकार हो जाते हैं गरीबों के स्वागत भरा थाल भी! सहनशक्ति का रिश्ता, अब जैसे मूल्य आधारित हो! निशाना लगता है, अब जैसे असहाय पर साधा हो! ©#suman singh rajpoot #Chess जो चल रहा है वर्तमान में आसमां धरा का अंतर है। पर दिमाग़ स्वीकार कर रहा, जो वर्तमान में चल रहा मंतर है। पैसे वालों की सहज स्वीकार हो