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Arjit bansal
जैन धर्म के 24 वे अंतिम तीर्थंकर महावीर जयंती पर महान तेजस्वी गुणवान सत्यवान धैर्यवान प्रकाशवान अहिंसा प्रेमी जन कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले महावीर जी को हम सब का नमन।। ©Arjit bansal #कैवल्य #24 तीरतीर्थंकर #जीयो और जीने दो #mahavir_Jayanti
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
*हर प्रयत्न में सफलता न मिल पाए शायद* * लेकिन* *हर सफलता का कारण प्रयत्न ही होता है !!* प्रयत्न बिना प्राप्ति नहीं। प्रयत्न से ही प्रत्येक प्राप्ति
Ek villain
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में बताया है कि मनुष्य का काम क्रम में से भी चाहता है जिसके फलस्वरूप यह देवताओं की पूजा करता है माया रुपी संसार में मनुष्य श्रेणी वस्तु तथा संपति हर की सामग्री के लिए हर संभव प्रयास में रहता है परंतु शैक्षणिक सुख देता है ©Ek villain मोक्ष की प्राप्ति
Saurav Dangi
अधिक मूर्खतापूर्ण कार्य कर अधिक अनुभव की सहायता से अधिक ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है ज्ञान की प्राप्ति
Rakhi Yadav
लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समय प्रबंधन और मन स्थिति प्रबंधन ठीक होना चाहिए I ©Rakhi Yadav # लक्ष्य की प्राप्ति
Mamta kumari
Heaven जो बच्चे अपने माता-पिता को ईश्वर मानते हैं उस बच्चे का खयाल माता-पिता के साथ-साथ ईश्वर भी रखते हैं इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते जो माता -पिता का सेवा -सत्कार किया है उन्हे माता -पिता के साथ -साथ ईश्वर का भी आशीर्वाद मिला है । और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति भी हुई है । स्वर्ग की प्राप्ति ।
Ek villain
जड़ जगत की रचना के लिए ईश्वर की जो शक्ति काम करती है उसे प्राकृतिक कहते हैं और चैतन्य जगत की रचना करने वाले शक्ति को जीव कहते हैं जिस प्रकार दोनों हाथ एक ही शरीर के दो भाग हैं उसी प्रकार जी और प्राकृत दोनों ही ईश्वर तत्व के दो उनसे आध्यात्मिक तत्वों के जिज्ञासु ईश्वर की उपासना करते हैं असल में मैं अखिल आधार शक्ति का सतोगुण हमसे मानवीय उन्नति तो शत्रुघ्न को प्राप्त करने से ही हो सकती है तो तत्वों की प्राप्ति करने से ही हो सकती है इसलिए उनको छोड़ो की एक मानसिक प्रतिमा बनाकर उपासना करने का विधान किया गया ईश्वर का सत्व गुण आदर्श रूप से हमारे निकट ही वर्तमान है उसे अधिक मात्रा में प्रेम श्रद्धा विश्वास और ध्यान अभ्यास की आवश्यकता होती है और होगी भी उतना ही आकर्षित होगा अंदर बाहर लेना ही प्रेम श्रद्धा विश्वास और ध्यान की आवश्यकता होती है इन चारों के समवाय को पास में कहा जाता है उपासना की प्राप्ति प्रेम दया करुणा सहानुभूति उदारता त्याग समता और अन्याय आदि सद्गुणों का निष्ठावान जितना अधिक चिंतन किया जाता है उतनी अधिक उनके प्राप्ति होती है उन्नति का करम है हमसे सादगी और चल रहा है जिनसे जितना ही सद्गुण अपने में धारण कर लिया आध्यात्मिक दृष्टि से भी उतना ही उन्नति कहा जाएगा यदि एक भक्त सत्य तत्वों की उपासना करता है तो कोई कारण नहीं कि उस पर प्राप्त ना हो ईश्वर की उपासना का तात्पर्य उसके निर्देशक तत्व की आराधना है श्रद्धा विश्वास प्रेम जब तक ध्यान आदि से जीवन को ईश्वर ईश्वर तत्व में सरोवर मिलता है ©Ek villain #ईश्वर की प्राप्ति #VantinesDay