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Ravubha Solanki
😎apne aap ko ache se jaan chuka hu ab hhi majil pe nikal chuka hu ab din raat mehnat me lag chuka hu ©Ravubha Solanki Ravubha ke vichar
Ravubha ke vichar #વિચારો
read moremanisha kumari regar gudiya
जब बेटी विदा होकर जाती है तो हर मां यही कहती है घुटने घुटने चलती बेटी खड़ी ना हो जाना तुम छोटी अच्छी लगती हो बड़ी ना हो जाना तुम ©Manisha regar maa ke vichar
maa ke vichar
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उनके लिए जिनका प्रश्न कैसी बौद्ध हो? जबाब जान लें,,,,,,,,,, जब -जब मैं स्वाभिमान के लिए लडती हूँ और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती हूँ तो मुझसे कहा जाता है कि तुम कैसी बौद्ध हो? तब मेरा जबाब होता है कि प्रथमतया इसलिए बौद्ध हूँ कि मैं बाबा साहब जी की अनुयायी हूँ और बाबा साहब जी की बाईस प्रतिग्याओं को मानना हमारे लिए बाबा साहब जी के प्रति श्रद्धा का सबसे बड़ा प्रतीक है,बाकी अन्य जबाबों में प्रोफेसर रिचार्ड गोम्ब्रिक, के बिचारों से पूर्णतया सहमत हूँ जिन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अपने जीवन के 40 बर्ष बुद्ध धम्म एवं पालि भाषा के अध्ययन में व्यतीत किये । ,,,,,,, ,, 01. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ तो इसका यह अर्थ नहीं होता कि मैं दूसरे लोगों से शुद्धतर और बेहतर हूँ। बल्कि इसका अर्थ यह होता है कि मुझमें अत्यधिक अज्ञानता और मिटाने के लिए अत्यधिक मानस विकार हैं। मुझे बुद्ध की प्रज्ञा की जरूरत है। 02. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ तो इसका यह अर्थ नहीं होता कि मुझमें दूसरों से अधिक प्रज्ञा है। बल्कि इसका अर्थ यह होता है कि मैं अत्यधिक मूढ़ता से भरी हुई हूँ। मुझे विनम्र होना सीखना है और व्यापक नज़रिया विकसित करना है। 03. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ तो इसलिये नहीं कि दूसरे लोगों से बेहतर अथवा बदतर हूँ, बल्कि इसलिए क्योंकि मैं जानती हूँ कि सभी प्राणी समान हैं। 04. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ, मुझे मालूम है कि मैं सिर्फ उन्हें प्रेम करती हूँ जो हमारी अभिरुचि के अनुरूप होते हैं, लेकिन बुद्ध उन लोगों को भी प्रेम करते हैं जिन्हें वह पसंद नहीं करते, प्रज्ञा व करुणा की परिपूर्ण अवस्था तक उनका मार्गदर्शन करते हैं। यही कारण है कि मैंने बुद्ध की शिक्षाओं का अनुगमन करने का चयन किया है! 05. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ , तो इसका लक्ष्य यह नहीं है कि मैं वह हासिल करना चाहती हूँ जो मेरे हित में है। बल्कि अपनी समस्त व्यक्तिगत सांसारिक इच्छाओं की लिप्साओं की उपेक्खा कर देना है। 06. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ, तो इसका तात्पर्य यह नहीं है कि मैं एक सुखद जीवन के लिए लालायित हूँ। बल्कि लालायित हूँ अनित्यता की शान्त स्वीकृति के लिए और कैसी भी विपरीत परिस्थितियों में सम्राट की भांति शान्त रहना व आत्मविश्वास से परिपूर्णता बने रहने के लिए। 07. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ, तो मेरा यह अर्थ नहीं है कि मैं अपने हित के इरादे से और लोगों को रूपांतरित करना चाहती हूँ। बल्कि प्रज्ञा का सदुपयोग करते हुए स्वयं का तथा प्राणीमात्र के प्रति समानुभूतिपूर्ण रहते हुए लोगों का हित करना। 08. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं जगत से पलायन करना और शून्यता को तलाशना चाहती हूँ। बल्कि यह जानना कि दिन-प्रतिदिन का जीवन धम्म में है, और वर्तमान में रहना ही साधना है। 09. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि मेरा जीवन अब झटके अनुभव नहीं करेगा। बल्कि धम्म के साथ, झटके मेरे विकास के कारकरूप में रूपान्तरित हो जाएंगे। 10. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ, तो मेरा ह्रदय अनन्त आभार से भर जाता है। बस यह सोच कर कि मैं एक मनुष्य के रूप में जन्मी और विद्वान गुरुओं का सान्निध्य लाभ का अवसर पाने के कारण व बुद्ध की शिक्षाएं सुन कर इस जीवन में साधना करने में समर्थ हो सका, इस अविश्वसनीय कार्मिक साम्यता को देख कर मैं गहराई तक भावुक हो जाती हूँ। 11. जब मैं कहती हूँ कि मैं बौद्ध हूँ, तो इसलिये नहीं कि मुझसे बाहर कहीं ईश्वर विद्यमान है। बल्कि इसलिए कि सच्चे बुद्ध-चित्त को मैं अपने ह्रदय में पाती हूँ। --------------जयभीम नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏 #sahb ke vichar
#Sahb ke vichar
read moreAadarsh Balmiki
इस देश के लिये कुर्वान मेरी जान हैं और सैनिकों के लिए मेरा प्रणाम हैं। man ke vichar###
man ke vichar###
read moreSalu Mehra
Suno sabki karo man ki chahe karo man ki suno prabhu ki juban jaban ki par tumhare vachan hradya ke sada ©Salu Mehra vichar prabhu ke
vichar prabhu ke #विचार
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