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Stories related to saket delhi

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Sonu Akhtar "Riyaaz"

कैसे तुझे बताएं कि क्या हो रहा है,
कोई अपना मुझसे जुदा हो रहा है

तितलियां, फूल, पर्वत कुछ नहीं दिख रहा,
सामने का रास्ता अब धुंधला हो रहा है

ये कहानी का सबसे संजीदा वाक्या था,
जो आज लोगों के लिए जुमला हो रहा है #DHAAGE #IITROORKE #MERASHEHAR #BVEST19
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5263 Samayra Khan @17786

Select City Walk Saket Delhi Injoy time Viedo 🤟🤟👍👍🥰🥰😍😍 #Thoughts

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Sonu Akhtar "Riyaaz"

“धीरे-धीरे बातें करो जाना, 
बस मुझे अपना कहो जाना

आख़िरी सांस तक ठहर जाओ,
फिर तुम काम पर चली जाना

सब निकल गए हैं अपने रास्ते,
हम भी अब निकलते है जाना

एक शहर है जहां इश्क़ बस्ता है,
कुछ भी हो तुम उधर मत जाना

मैं सुनाऊंगा कोई कहानी झूठी,
तुम बेफ़िक्र हो कर सो जाना

कोई शिक़ायत बची ही नहीं,
अब कहाँ होगा आना-जाना” #DHAAGE #MERASHEHAR #IITROORKE #BVEST19
#Mypoetry
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Sonu Akhtar "Riyaaz"

Natural Morning   “दर्द का ज़िक्र हुआ था इक रोज़,
महफ़िल में आज भी ये शोर कैसा है” A sher...


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#tourshimla #toursolan #t

Sonu Akhtar "Riyaaz"

“माना कि इत्तेफाक़ से आज तुम मेरे साथ हो,
जो हमको याद नही चलो आज वही बात हो

एक ख़्याल आता है आज तुझसे जुदा होने का,
दिल करता है फिर तुझसे पहली मुलाक़ात हो

दिन ज़रा आहिस्ते से भी गुज़रे तो ये दुआ करो,
शाम पहले की तरह रुक जाए और ना ये रात हो

शायद हम में अभी भी राफ़ाक़तें बाकी है कुछ,
पुराने झगडे छोड़ कर नए मौसमों की बात हो ” A small Ghazal

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#tourshimla #toursol

Sonu Akhtar "Riyaaz"

“ऊपरी तहों में ज़ख्म गहरा ढूंढ रहा है
प्यासा देखो कैसे सहरा ढूंढ रहा है

घर में नए लोग रहने आये हैं,
दरवाज़ा पुराना चेहरा ढूंढ रहा है” A few lines...

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Sonu Akhtar "Riyaaz"

“सब खड़े ख़ामोश क्यों है बात कुछ तो बोलिये,
आज के अख़बार का आख़िरी पन्ना खोलिये

वही पुरानी बात है वही फिर से बिखरा खून है,
रोज़ जिस से छुपता फ़िरता अपना ये कानून है

ये ज़िंदा लोगों के लिए है आप रहने दीजिए,
अब यहाँ तक आए हैं तो ख़ैर सुन ही लीजिए

जा रहा था खेलता मासूम किसी काम से,
जानते थे लोग कुछ उसको उसके नाम से

रोक कर पूछा किसी ने क्या लिए है हाथ में,
सहम गया वो जान कर कोई भी न था साथ में

उस की रग में दौड़ती खलबली किस डर का था,
इस कहानी का ये शख्स आप ही के घर का था” Half part of a nazm

#Dhaage #MeraShehar #IITROORKEE #BVEST19
#Mypoetry
#falconfilms19
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Sonu Akhtar "Riyaaz"

इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़म #Poetry #ghazal #Delhi #nojotoapp #Saket #RDV19 #shamesukhan

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इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है,
तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है

झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन,
थक जाओ तो घर वापस आना लाज़मी है

बरसो लगे रहना किसी शख्स को भुलाने में
फिर अचानक से याद का आना लाज़मी है

पत्थरों के आंसू टपके ऐसी बंदिश तो नहीं,
इंसान हो तो अपना ज़ख्म दुखाना लाज़मी है इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है,
तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है

झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन,
थक जाओ तो घर वापस आना लाज़म

Sonu Akhtar "Riyaaz"

तुझसे मुलाक़ात करके मालूम यही हुआ, वो भी हो सकता है जिसका यकीं नहीं हुआ मैंने सोचा था दिलों में मलाल कोई न हो, मलाल है जैसा सोचा था वैसा नही #Poetry #ghazal #Delhi #nojotoapp #Saket #RDV19 #shamesukhan

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“तुझसे मुलाक़ात करके मालूम यही हुआ,
वो भी हो सकता है जिसका यकीं नहीं हुआ

मैंने सोचा था दिलों में मलाल कोई न हो,
मलाल है जैसा सोचा था वैसा नहीं हुआ” तुझसे मुलाक़ात करके मालूम यही हुआ,
वो भी हो सकता है जिसका यकीं नहीं हुआ

मैंने सोचा था दिलों में मलाल कोई न हो,
मलाल है जैसा सोचा था वैसा नही

Sonu Akhtar "Riyaaz"

इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है, तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन, थक जाओ तो घर वापस आना लाज़ #Poetry #ghazal #IITRoorkee #Delhi #MyPoetry #nojotoapp #Saket #RDV19 #shamesukhan #BVEST19

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इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है,
तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है


झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन,
थक जाओ तो घर वापस आना लाज़मी है

बरसो लगे रहना किसी शख्स को भुलाने में
फिर अचानक से याद का आना लाज़मी है

पत्थरों के आंसू टपके ऐसी बंदिश तो नहीं,
इंसान हो तो अपना ज़ख्म दुखाना लाज़मी है इब्तिदा-ए- मोहब्बत में घबराना लाज़मी है,
तुम्हारा मेरे नाम पे यूं शर्माना लाज़मी है


झगड़ कर रात को भटकते रहना आदतन,
थक जाओ तो घर वापस आना लाज़
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