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Prerit Modi सफ़र
शे'र- कटती है तारीकियों में ज़िन्दगी अब तो मिरी मुझ शमा को देखने को इक सवेरा चाहिए #cinemagraph एक शेर मेरी पुरानी ग़ज़ल से 🙏🙏 तारीकियों- darkness #yqbaba #yqdidi #shayari #शायरी_ए_सफ़र #life #phio
words_of_heart_pa
सूरज के साथ साथ उभारे गए हैं हम तारीकियों में फिर भी उतारे गए हैं हम रास आ सकी न हम को हवा तेरे शहर की यूँ तो क़दम क़दम पे सँवारे गए हैं हम साहिल से राब्ता हैं नहीं टूटता कभी कैसे समुंदरों में उतारे गए हैं हम ©words of heart सूरज के साथ साथ उभारे गए हैं हम तारीकियों में फिर भी उतारे गए हैं हम रास आ सकी न हम को हवा तेरे शहर की यूँ तो क़दम क़दम पे सँवारे गए हैं हम
FIROZ KHAN ALFAAZ
अब्र के साए सा साथ-साथ चलता है, तू साथ है तो ख़िज़ाँ भी शादमानी है ! -1 किसीको मुफ़्त में आसरा भी नहीं देता, कितना छोटा है मेरे दिल से ये शहर मेरा ! -2 साहिल पे खड़े हो के यूँ न देख तमाशा, मझधार में कभी तेरा भी सफ़ीना होगा ! -3 सच बात कहता हूँ तो लोग रूठ जाते हैं, आजकल आईना होने से डर जाता हूँ ! -4 जागे जो नींद से तो जाना की ख़्वाब था वो, पहलू में हम तुझे न पा करके रो लिए ! -5 नज़र भर देख लेने में भला हर्ज भी क्या है, कि आरज़ी ही सही, रु-ब-रु सराब तो है ! -6 मगर इश्क़ ने कब माने हैं ज़माने के उसूल, इश्क़ गुनाह ही सही, मगर करके देखिये ! -7 पा के मंज़िल को भी सफ़र में हम हैं, ख़त्म होता नहीं इश्क़ की राहों का सफ़र ! -8 तारीकियों में साथ छोड़ जाती है, एक बेवफ़ा तुम, और एक मेरी परछाईं है ! -9 तमाशा इश्क़ का हो तो सारी दुनिया देखे, मेरी तसव्वुर-ए-ग़ज़ल सर-ए-आम तो आये ! -10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 अब्र के साए सा साथ-साथ चलता है, तू साथ है तो ख़िज़ाँ भी शादमानी है ! -1 किसीको मुफ़्त में आसरा भी नहीं देता, कितना छोटा है मेरे दिल से ये शहर
FIROZ KHAN ALFAAZ
तेरे ख़्वाब के पूरा होने से डर जाता हूँ, मैं फ़िर से अधूरा होने से डर जाता हूँ ! - 1 तुम वो नहीं रहे जो तुम हुआ करते थे, मैं फ़िर से तुम्हारा होने से डर जाता हूँ ! - 2 इतना महँगा भी नहीं है तसल्ली देना, इतना ख़र्चा भी नहीं है मुस्कुराने में ! - 3 मुझको हिंदी में मज़हब तुम सिखलाओ, मैं आलिम कहाँ अरबी ज़बां का हूँ ! - 4 पायेगा उतना ही जितना तू चाहेगा , प्यास इतनी रख कि तू समंदर हो जा ! - 5 तेरे नाज़-नख़रों के सवाली और भी होंगे, कौन चाहेगा तुझे मेरी चाहत की तरह ! - 6 तपते सहरा में तेरा साथ है बाईस-ए-सुकूँ, तू साथ है तो अमावास रात भी नूरानी है ! - 7 पहाड़ों को ग़ुरूर है उनकी बुलंदी का मगर, तेरे हौसले के मुक़ाबले उनका क़द क्या है ! - 8 तारीकियों में साथ छोड़ जाती है, एक बेवफ़ा तुम, और एक मेरी परछाईं है ! - 9 आँखों से बह गए तो क़ीमत न रहेगी, ये तअ'ल्लुक़ के अश्क़ हैं, इन्हें पीना होगा ! - 10 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0-9231/2017 तेरे ख़्वाब के पूरा होने से डर जाता हूँ, मैं फ़िर से अधूरा होने से डर जाता हूँ ! - 1 तुम वो नहीं रहे जो तुम हुआ करते थे, मैं फ़िर से तुम्हारा
Manoj Mishra
तारीकियों में उलाहना क्यों देते हो क्या उंस में हो शब ढल रही है तुम ख्वाबों से अब उलझा ना करो..
Shadab Yawer
Taareekiyon me hijaab wajib nahi hota, Noor kabhi parde ka paband nahi hota. Are zok-e-husn toh tera itna buland hai, Warna Tu naqaab ki jagah kabhi hijaab ka paband nahi hota. #NojotoQuote hijaab #taareeki #hijaab #naqaab #nojoto #nojotourdu #nojotohindi #urdupoetry #hindipoetry taareekiyon/तारीकियों = अँधेरा (plural form of t