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Stories related to poem on छुट्टियां in hindi

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Archana Chaudhary"Abhimaan"

चलो अब होगयी छुट्टियां खत्म
खूब खा लिए पकवान और पुए
अब कमरकस तैयार हो भागा दौड़ी को
सुबह से शाम तक की रैला रैली को।
बहुत करली मौज मस्ती
अब चलाओ काम की कश्ती।
करलो अपने बस्ते तैयार, 
स्कूल खुलने को है यार। #छुट्टियां

abhisri095

मैंने छुट्टियों के दिन
कुछ ऐसे गुज़ारे है
मत पूछो 
कैसे-कैसे गुज़ारे है
सब चलते बने अपने-अपने 
घरोंदों की तरफ
और उसकी याद में 
हमने तन्हा गुज़ारे है
कुछ इस तरह से
हॉस्टल में दिन गुज़ारे है ।। #छुट्टियां

Ashish Panjwani

छुट्टियां

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verma

गर्मी की छुट्टियां हुई  हैं ,
अभी सारे स्कूलों में ।।
मुझे भी छुट्टी चाहिए,
ज़िन्दगी के कुछ उसूलों में ।।
।।साहिब वर्मा।। #छुट्टियां

Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)

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Ajay Chaurasiya

छुट्टियां

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लग रही थी अच्छी बड़ी, 
कुछ दिनो पहले तक यह छुट्टीयां,
अब जैसे किसी कैद में है और,
चाहिए अब इस कैद से हमे छुट्टियां...
                 
                               -अजय चौरसिया छुट्टियां

Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)

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Anjali Bagga

poem in hindi

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veena khandelwal

#गाड़ी_बुला_रही_है,
            #सीटी_बजा_रही_है।🚊🚓🚕🚈🚌🚌🚂🚂🛺🚗🚄✈️✈️🛬🎊🎊

आ गई  गर्मी की छुट्टियां।🧚🧚
याद आई  पीहर की गलियां 💃💃💃💃
क्या हुआ जो बच्चे अब स्कूल नहीं जाते।🕺
अब नहीं फ़ुरसत, कहां!वो साथ में आते।👪
सब बदला ,हम भी बदले,वो भी बदला।
पर हाय मुॅंआ ये दिल! ना बदला।♥️
अभी भी मचलता है कई बार,
पाना है बचपन और मायका फिर एक बार।💞💞💞💞

सिर्फ चंद दिनों के लिए ,
ना सही चंद घंटों के लिए ।
मिल जाए मां सा मनुहार❣️
पिता का दुलार।❣️
कुछ मोहलत का अधिकार।👣
हमारे भी कनेक्शन के है़ं सूत्रधार।💝
वो दीवारें के याद आते हैं स्पर्श ।🏪
जहां हम रहते थे सहर्ष।😄😄😄😄😄😄😄
हमारी मन पसंद जगह छत,🏬
जहां ढेर सारी गप्पे होती थी।🥰🥰🥰🥰
वो खिड़कियां जहां से हम झांकते थे भविष्य।🏢
वो दरवाजा जहां से हमारे बढ़ते कदम,🏫
 निहारा करती थी हमारी मां👩‍❤️‍👩
वो द्वार जहां बैठ  मम्मी करती थी इंतजार।🙅
ट्रेन का समय होते ही हो जाती खबरदार।🙋
पहुंचते ही करती थी मनुहार,👯🙆🙆👸👸
और बस प्यार, प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार प्यार💖💖💖

याद आता है हमारा वो घर द्वार।
याद आती है मां पिता की आंखों से ओझल होते तक टकटकी लगाकर देखती सूनी नज़रें,
शायद कहती थीं अब कब मिलेंगे।
शायद कहती थीं समेट लो सारी ममता मनुहार
शायद !!!
शायद!!! बहुत सारी मन की अनकही बातें

वीणा खंडेलवाल
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal गर्मी की छुट्टियां

Manju Lodha

गर्मियों की छुट्टियां। #कविता

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©Manju Lodha गर्मियों की छुट्टियां।
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