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Roohdaariyan
White धुआं-धुआं सा था मेरा जहान उसमे धुंधली सी दिखती थी तू कभी मुस्कुराती, कभी खिलखिलाती सपनों में मिलती थी तू फिर ढूँढने तुझे मैं चला अन्जानी राहों में ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों में और नदियाँ की बाहों मे रब से माँगा मैने चाँद तो दिखा तुझ में चाँद के संग खो गए सितारे और तू बस गई मेरी रूह में ©Roohdaariyan #roohdaariyan #Searching
"Midnighter"
वो कहते हैं! कवितायें शब्दों में नहीं, उनके अन्तराल में मिलती है। मैं कहती हूँ! कवितायें शब्दों के अन्तराल में नहीं, अनकहे, अनसुलझे हालों में मिलती है। बेबस, पर मुस्कराते गालों में मिलती है। अनगिनत, सवालों और बेतुके मलालों में मिलती है। कभी ऊँचे पहाड़ों में, कभी शहर के अंधेरे गलियारों में मिलती हैं। कभी हंसते, कभी रोते इंसानों में मिलती है। कभी बेहिसाब बातों तो कभी बेहिसाब ख़यालों में मिलती है। कविताएँ ढूंढी नहीं जाती, कवितायें गढ़ी जाती हैं। आहिस्ते - आहिस्ते, एक शब्द और उस शब्द के अनगिनत भेदों में। ©"Midnighter" #Searching
Vaishnavi Pardakhe
❤️❤️❤️ Naye rishtonko banate samay purane chhut na jaye eska dhyan rakhna hi hai "Rishte Nibhana" ❤️❤️Vaish-New❤️❤️ ©Vaishnavi Pardakhe #Searching
HintsOfHeart.
एक दिन दूसरे में बदल जाता है ; और मैं भूल जाती हूँ, कि मैं क्यों हूँ ? ©HintsOfHeart. #Searching for the meaning of life !
Krishna
Life Like मुझ ही में रह कर मुझ ही से अपनी यह कैसी खोज करा रहे हो ©Krishna #Lifelike #krishna_flute #Krishna #Self #Searching #Love #loV€fOR€v€R
MVP
"If people knew how hard I worked to get my mastery, it wouldn't seem so wonderful after all." ©MVP #Path
JustListen
अभी भी है वही धुंधली नजर, और है वही निगेहबान, क्या कहूं? ©JustListen #Path
संस्कृत भाषा ( शिक्षक ) Facebook pages
♥️उत्सवप्रियाः खलुः मनुष्याः♥️ मनुष्य उत्सव प्रिय होते हैं 🙏 ©संस्कृत भाषा ( शिक्षक ) Facebook pages #Path
Kumar Dinesh
अज़ीब किस्म का मंज़र.. दिखाई देने लगा वो मुझको मेरे ही अंदर.. दिखाई देने लगा तेरे ख़याल में जब..आँखे मूंद ली मैंने तो मुझको और भी बेहतर.. दिखाई देने लगा किसी के लम्स के सदके.. ये इश्क़ का पंछी हुदूद-ए-अर्श से ऊपर.. दिखाई देने लगा जुनूँ से बैर ख़िरद को है..सुनते आए थे किया जो इश्क़ तो खुलकर.. दिखाई देने लगा सुनहरी याद के जुगनू के..मुस्कुराते ही हर इक ज़ख्म मुनव्वर.. दिखाई देने लगा मेरा मिज़ाज है शीशा..'कुमार' ये सुनते ही हर एक हाथ में पत्थर.. दिखाई देने लगा लम्स= स्पर्श हुदूद ए अर्श=आसमाँ की हद ख़िरद =अक्ल/समझदारी मुनव्वर=प्रकाशित/रोशन ©Kumar Dinesh #Path