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Pnkj Dixit
#OpenPoetry 🌷 प्रेम 🌷 " प्रेम समर्पण चाहता है।" "मैं" में "हम" बनकर जीओ । जीवन में स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती रहेगी । शरीर शारीरिक अहसास भी चाहता है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि शरीर से ही प्रेम हो जाता है बल्कि प्रेम और अधिक प्रगाढ़ हो जाता है । उन छोटी-छोटी बातों को अनसुना करना पड़ता है जो रिश्ते पर चिंगारी का काम करती है। अगर मैं आपसे कहूँ कि मुझे आपसे प्रेम हो गया है और आपको चाहने लगा हूँ और "पाना" चाहता हूँ , तो ये मेरी मूर्खता है .. । यदि मुझे आपको "प्राप्त" करना है तो मुझे पूर्ण आत्मीयता के साथ आपसे प्रेम करना होगा । निस्वार्थ भाव से ... ताकि आप स्वयं ही मेरे प्रेम में प्रेममय होकर स्वयं को मुझे समर्पित कर दे ,बिना किसी हिचकिचाहट के .. । वाणी और मन की कड़वाहटों पर .... पूर्ण विराम । प्रेम में अर्द्ध विराम ; ... ताकि फिर से .... प्रेम २२/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 प्रेम 🌷 " प्रेम समर्पण चाहता है।" "मैं" में "हम" बनकर जीओ । जीवन में स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती रहेगी । शरीर शारीरिक अहसास भी चाहत
Pnkj Dixit
#OpenPoetry 🌷 मन चाहता है 🌷 पूर्ण विराम पर मैं भी विचार लिखूँ मन चाहता है पूर्ण विराम पर अर्द्ध विराम लगा दूँ मन चाहता है अरमानों पर फूलों का बंध लगा दूँ मन चाहता है सफर पर मिलन के गीत सुना दूँ मन चाहता है घुटन पर श्वासों की खुशबू बिखरा दूँ मन चाहता है हृदय पर प्रेम का सावन बरसा दूँ मन चाहता है एकाकीपन पर हृदय मिलन की मुहर लगा दूँ मन चाहता है दुनिया पर अमर प्रेम की गाथा कहलवाँ दूँ मन चाहता है स्वप्नों पर यथार्थ का भोग लगा दूँ मन चाहता है जीवन पर स्वर्गिक आनन्द अहसास करा दूँ मन चाहता है जीवनपथ पर नवजीवन पथ का श्रंगार करा दूँ मन चाहता है शून्य पर नवजीवन प्रारंभ करा दूँ मन चाहता है दुःखी मन हृदय पर कंवल-प्रेम का लेप करा दूँ मन चाहता है नयनों पर प्रीत की रीत सदा बसा दूँ मन चाहता है खुशियों पर मन मोहिनी का स्पर्श करा दूँ मन चाहता है प्रश्नों पर पूर्ण विराम लगा दूँ मन चाहता है । २२/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 मन चाहता है 🌷 पूर्ण विराम पर मैं भी विचार लिखूँ मन चाहता है पूर्ण विराम पर अर्द्ध विराम लगा दूँ मन चा
Vishal Chaudhary
मिलती नहीं अब वो हीर जहां में वो रांझे कहाँ से लाऊं मैं नहीं प्रीत सोहनी के जैसी माहिवाल कैसे दिखलाऊं मैं। अब मतलब की है प्रीत यहाँ मतलब की सब यारी हैं अब मतलब से बनते रिश्ते मतलब की रिश्तेदारी हैं जाता है कौन साथ यहाँ मृत्यु तक किसका सावित्री सा प्रेम बताऊं मैं। मिलती नहीं अब वो हीर •••••• प्रेम की खातिर दुनिया से वो लङ जाते थे छोडेंगे ना साथ कभी कहकर वो भिङ जाते थे अब तो बस इन बातों के शोर सुनाई देते हैं बिना लङे ही हारे जो वो जोर दिखाई देते हैं अब ना सस्सी सा प्रेम यहाँ फिर ताकत पन्नू सी कहाँ से लाऊं मैं। मिलती नहीं अब वो हीर••••••• खोदी किसी ने नहर दूध की कोई राजा से आम हुआ किसी ने लङते लङते आंख मूंद ली कोई सब जग में बदनाम हुआ अब कहाँ तङप वो लीलो वाली किसका जिगर चमन सा दिखाऊं मैं। मिलती नहीं अब हीर जहां में वो रांझे कहाँ से लाऊ मैं। अर्द्ध प्रेम
Kumarchitra
जर वाटत असेल विराम काळ आलाय.. आयुष्यात काही राम राहिला नाही ! तर आईच्या डोळ्यांत एकदा पाहायचं धाडस कराच ..जिने तिचं अख्खं आयुष्य विरामात घालवलं ! अहो विराम पण म्हणतच असतो, ही वेळ मरावि..!! ©️कुमारचित्र #विराम #stop