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Vinod Umratkar
जमलेच नाही। शब्दात मांडणे। मनाचे सांगणे। प्रेम माझे।। झाले कधी प्रेम। न मला कळले। माझे न राहिले। हृदय माझे।। जमलेच नाही। शब्दात मांडणे। मनाचे सांगणे। प्रेम माझे।। झाले कधी प्रेम। न मला कळले। माझे न राहिले। हृदय मा
ankit saraswat
कयी साल गुजारे हैं ऐ शहर बिना तेरे, घर से दूर त्यौहार भी काटने को आते हैं।। #अंकित सारस्वत# #घर से दूर
Kumar Pranesh
The story is होकर दूर अपनों से यह आभास मिला है, जैसे कोइ नौकरी नहीं वनवास मिला है! यहां घर सूना पड़ा है मेरा, वहां भाड़े का निवास मिला है, जैसे कोई नौकरी नहीं वनवास मिला है! यहां इतराते थे पुरा चमन हमारा है, वहां मुट्ठी भर आकाश मिला है, जैसे कोई नौकरी नहीं वनवास मिला है! : कुमार प्राणेश #घर से दूर........
Krishna Nand Vishwakarma
✍️ कुछ दिन जो रहे दूर, तो जाने कितने अफसाने बन गए। अब देखते हैं लोग मुझे ऐसी निगाह से, जैसे अपने ही घर में हम बेगाने हो गए। 😊 घर से दूर
sakshi
पायल की छन छन,कंगन की खन खन हाथ में लिए चाय की प्याली एक मीठी सी आवाज पड़ती मेरे कानो में उठ जा मेरी लाली बैठ कर सिरहाने से मेरे सर को मेरे सहलाती थी आज भी याद है मां आप मुझे कितना प्यार से जगाती थी मेरी गलतियों पर प्यार से समझाती,खाने में नखरे करने पर डांट मुझे लगाती चुपके से मेरे lunch box में एक रोटी ज्यादा रख जाती थी थोड़ी भी बीमार हो जाऊ मै तो सारा घर सर पर उठाती थी रात को नींद ना आने पर , थपकियां दे कर सुलाती थी आज भी याद है मां, आप कितना प्यार लुटाती थी पर समय बढ़ा आगे हम दुनिया के संग भागे दिल में कैरियर को लेकर 100 अरमान थे जागे अब महज यादे बन गई है ये सारी बाते...... सुबह आप की मीठी आवाज की जगह अब फोन का अलार्म हो गया है चाय का प्याला मानो कहीं खो गया है अब तो खाना भी मै खुद ही बनती हू थोड़ा उपर नीचे होने पर भी चुपचाप खाती हूं बुखार होने पर दवा भी खुद ही लाती हूं और रात में नींद ना आए तो आप की शोल ओढ़ कर सो जाती हूं अब पहले जैसी हमारी बात नहीं हो पाती हैं सच कहूं तो आप की याद बोहोत सताती है call पर बात करते समय कई बार आपकी बेटी रो जाती है और अपनी सिसकियों की आवाज अपनी मां से छुपाती है पर मां तो मां हैं वो सब समझ जाती है घर से दूर
Hitesh Gupta
खटकाते थे हम भी कभी अपने घर का दरवाज़ा। अब तो हर रात अंधेरे कमरे में बत्ती खुद ही खोला करते है।। ~हितेश घर से दूर!