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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Dipin Tarbundiya
मेरे जिंदगी के दो सबसे बड़े बदलाव... उनका मुड़कर देखना... और उनका मुंह मोड़कर जाना... जिंदगी के दो बदलाव....
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
anni singh
हप्तों पहले मिले थे जिनसे, जिगर के टुकड़े बन गए हैं वो अब हमारे, वो जबर्दस्ती मुझे नचवाने के लिए बोलना और मेरे hight से अपनी hight को नापना , पूरी लड़कपन वाली बातें जैसे बचपन में ले गई जिमेदारियो से दबा, और कामों से उलझा वो प्यारा सा बच्चा कभी मुरझाता नहीं हैं, हर परिस्थितियों में मौसम का बदलाव समझ बस सेह जाता है, दर्द से रो जाता हैं , लेकिन किसी को बता कर अपना दर्द भी नही बाटता है, चरखे की तरह दिन भर चलते रहना , और रात को थक जाने के बाद भी मुझे याद करना ,मेरी किश्मत भला किसी अमीर इंसान से कम हैं क्या? वो तुम्हारे दिए हुए तोफे को मेरे हाथ में, और उसे देख तुम्हे याद करना , भला तुम्ही बताओ किसी आशिकी से कम है क्या? वो उस दिन तुम्हारा आना मुझे कोई फर्क ना दिया लेकिन तुमहारा जाना मेरे दिल को उदास कर दिया, वैसे तो हर किसी से हम रिश्ते बनाते नहीं लेकिन आपसे बना ये रिश्ता बेहद खूबसूरत रहेगा वैसे थोड़ा भावखाऊ हैं हम, लेकिन आपके लिए मेरे भाव हमेशा सस्ते रहंगे बस किसी की नज़र न लगे इस रिश्ते को इसिलए हर रविवार थोड़ा सा नज़र उतार लिया करेंगे ©anni singh मौसम के बदलाव।❤️ #specailfeeling
Bharat Singh
बिना लिबास के आये थे इस जहां में , बस एक कफ़न की खातिर इतना सफर करना पड़ा ©Rajpurohitonline Indian आपके ज़िंदगी के अहम बदलाव #Shayar
Shahebaaz Ali
Alone वक्त के चलते एक वक्त ऐसा भी आया, उसने पूछना बंद कर दिया, और उस दिन से, मैने भी कुछ नहीं जताया. ©Shaz Rock वक्त के चलते #बदलाव #बदलावक्त #wada
Nitesh Kumar Gupta
केवल अब चार दिन का शोर काफी नहीं है मोमबत्तियां जलाना और धरना प्रदर्शन ही काफी नहीं है टीवी पर विवेक बांटना ही काफी नहीं है कानूनों के नियमों में कुछ बदलाव करवा दो ऐसे गुनहगारों को चौराहे पर टंगवा दो और जनता के सामने ही तड़पा तड़पा कर फांसी दो टेलीविजन पर भी इसे दुनिया में दिखलाने दो जिसे देखकर फिर कोई अपराधी ना पैदा हो और फिर किसी बहन बेटी की इज्जत का ना सौदा हो। सजा के कानून में बदलाव करवा दो