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Dikesh Kanani (Vvipdikesh)
R.S. Meena
जुआ जुआ खेलना है बुरा, खेले ना ऐसा कोई खेल। भाई का भाई दुश्मन बने, रहे ना उनमें मेल।। जीतने वाले को भ्रमित करे, रहे ना उसको ज्ञान, हारने वाला, हार के, गँवाएं धन-दौलत और मान। खेल ना हो विनाश का, बहे ना किसी का खून, सब मिलजुलकर रहे, जनवरी हो या हो जून। नशा, राज का है बड़ा, भूलाएं सब संस्कार, दांव लगाते सब यहाँ, ना माने अपनी हार। जुआ विनाश से जा मिला, बची ना कोई आस, पुत्र मोह में बह गया, कर दिया कुल का नाश। धर्म बड़ा उसका यहां, रखे जो घर की लाज, मान बढ़ाएं भारतवंश का, करे हृदय पर राज। स्वजनों के बिना, घर,घर ना रहे, बन जाएं वो जेल। जुआ खेलना है बुरा, खेलो ना ऐसा कोई खेल। भाई का भाई दुश्मन बने, रहे ना उनमें मेल।। #rsmalwar जुआ जुआ खेलना है बुरा, खेले ना ऐसा कोई खेल। भाई का भाई दुश्मन बने, रहे ना उनमें मेल।। जीतने वाले को भ्रमित करे, रहे ना
Neha Mittal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
*विश्वास* स्वार्थी जब रिश्ते मिलें , फिर हो किससे आस । उठता ही अब जा रहा , अपनो से विश्वास ।। १ विष ही अब तो कर गया , मानव में ही वास । फिर भी मानव कर रहा , मानव में विश्वास ।। २ देखो क्रम विश्वास का , तोड़ न पाए आप । छल बल से करते रहे , बोलो फिर क्यों पाप ।। ३ धर्म कर्म में कर सदा , तू भी तो विश्वास । दान पुण्य करके यहां , रख ले थोड़ी आस ।। ४ नजर उठा कर देख लो , आप यहाँ चहुँ ओर । कण कण में अब राम है , खोज रहा किस छोर ।। ५ बंजर करके भूमि को , उगा रहे हो घास । कैसे तुम पर मैं करूँ , अब बोलो विश्वास । ६ झरनों के संगीत को , कहते क्यों हो शोर । हो कभी विश्वास तो , आओ उठकर भोर ।। ७ साथी बनकर तुम रहो , सदा हमारे पास । तुमपे ही मुझको रहा , जीवन में विश्वास ।। ८ आप कहो तो मान लूँ , मै भी उनकी बात । लेकिन वह विश्वास पे , सदा किए है घात ।। ९ घात किए तुमसे सदा , रख लूँ कैसे आस । अब तुमसे कैसे कहूँ , कर लो अब विश्वास ।। १० महेन्द्र सिंह पखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *विश्वास* स्वार्थी जब रिश्ते मिलें , फिर हो किससे आस । उठता ही अब जा रहा , अपनो से विश्वास ।। १ विष ही अब तो कर गया , मानव में ही वास । फि
Er.Shivampandit
पंगत का भोजन #पंगत_का_भोजन 🍝 शादी विवाह के (buffet) खाने में वो आनंद नहीं...जो उनदिनों पंगत में आता था जैसे...... फटाफट पहले जगह लेना.. बिना फटे पत्तल
Asif Hindustani Official
Patel_ki_Kalam
#Accident (आगे की कहानी जानने के लिए लाइक, कॉमेंट जरुर करे) 👇👇👇👇 एक दिन शाम को मै जल्दी सो गया था। मेरी एक साल से तबीयत कुछ सही नहीं रहती तो मां तो हमेशा 7 बजे सुबह जगाती थी लेकिन जब अगली सुबह हुई तो मां 8
N S Yadav GoldMine
पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है इस मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तार से जाने !! 🔔 {Bolo Ji Radhey Radhey} पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर :- मान्यता है की यहां रखा है भगवान गणेश का कटा हुआ सिर:- 🎷 उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फीट अंदर है। यह गुफा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यहां विराजित है गणेशजी का कटा मस्तक :- 🎷 हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया, वह शिव ने इस गुफा में रख दिया। 🎷 पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश कटे शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था। पत्थर बताता है कब होगा कलयुग का अंत :- 🎷 इस गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलियुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। माना जाता है कि जिस दिन यह कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा। पौराणिक महत्व :- 🎷 स्कन्दपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहाँ आते हैं। यह भी वर्णन है कि त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफ़ा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफ़ा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई के आसपास इस गुफ़ा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया क्या है इस गुफा मंदिर के अंदर? 🎷 इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले मेजर समीर कटवाल के मेमोरियल से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ दूर चलने के बाद एक ग्रिल गेट मिलता है जहां से पाताल भुवनेश्वर मंदिर की शुरुआत होती है। यह गुफा 90 फीट नीचे है जो बहुत ही पतले रास्ते से होकर इस मंदिर के अंदर घुसा जाता है। थोड़ा आगे चलने पर इस गुफा के चट्टान एक ऐसी कलाकृति बनाते हैं जो दिखने में 100 पैरों वाला ऐरावत हाथी लगता है। फिर से चट्टानों की कलाकृति देखने को मिलती है जो नागों के राजा अधिशेष को दर्शाते हैं। कहा जाता है कि अधिशेष ने अपने सिर के ऊपर पूरी दुनिया को संभाल कर रखा है। 🎷 पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर में चार द्वार हैं जो रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार के नाम से जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पापद्वार बंद हो गया था। इसके साथ कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद रणद्वार को भी बंद कर दिया गया था। यहां से आगे चलने पर चमकीले पत्थर भगवान शिव जी के जटाओं को दर्शाते हैं। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश के कटे हुए सिर को स्थापित किया गया था। इतना ही नहीं इस मंदिर में प्रकृति द्वारा निर्मित और भी कलाकृति मौजूद हैं। कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर? 🎷 अगर आप रेलवे के रास्ते हैं यहां आना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे करीब टनकपुर रेलवे स्टेशन पड़ेगा। आप चाहें तो काठगोदाम रेलवे स्टेशन से भी यहां सकते हैं। अगर आप एयरवेज के रास्ते से यहां आना चाहते हैं तो पंतनगर एयरपोर्ट यहां से 226 किलोमीटर दूर है। N S Yadav... ©N S Yadav GoldMine #boat पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है इस मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तार से जाने !! 🔔 {Bolo Ji Radhey Radhey} पाताल भ
N S Yadav GoldMine
Divyanshu Pathak
कितनी कीमत चुकाई थी इस देश ने आजादी के लिए। कितनी जानें न्यौछावर हुईं। उनके नाम पर आज कितने लोग बेशर्मी से,पेंशन ले रहे हैं। यह प्रमाण है कि 65 साल में हम “आजादी के मतवाले” देश को कहां से कहां ले आए। हर साल बेरोजगारी और भुखमरी का विकास हो रहा है। भ्रष्टाचार के परचम लहरा रहे हैं। नेता और अफसर स्वयं तो कानून से ऊपर जी रहे हैं। संविधान भारतीय लगता ही नहीं। इसमें इतने संशोधन हो चुके हैं विकास के नाम पर, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर, तीनों पायों की सुरक्षा के नाम पर इसकी सूरत ही बिगड़ गई है। देश की एकता एवं अखण्डता का यह प्रतीक आज खण्डन-मण्डन (अल्पसंख्यक, आरक्षित वर्ग आदि) की मशाल हाथ में लिए खड़ा है। अखण्डता इतिहास में खो गई। Good morning ji 🍉🍉🍉🍨🍧💕💕💕☕☕☕☕☕आप सभी को सादर प्रणाम आज प्रातःबेला में स्वागत है। : : भारत ऋषि-मुनियों की, ध्यान-धारणा-समाधि, भक्ति, शौर्य की