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DR. SANJU TRIPATHI

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #kavyamela #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगीता-4) #YourQuoteAndMine

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प्यारा सा तेरा ये मासूम चेहरा, उस पर तेरा ये रंग सुनहरा।
काली जुल्फों की घटायें, नजरों पर शर्म-ओ-हया का पहरा।

माथे की बिंदिया दिल चुराए, भोली सी सूरत दीवाना बनाए।
तेरी ये शोख अदाएं, उस पर मृगनयनी आंखों में काजल ठहरा।

तीखे तेरे नैन नक्श, पहली नजर में ही सबको अपना बनाए।
गुलाबी तेरे होंठ लगे हैं, जैसे जाम का प्याला कोई गहरा।

कानों के झुमके गालों को चूमें, हमको अपना आशिक बनाए।
गालों की लाली गजब है ढाए, उस पर दिल की सादगी वल्लाह।

मासूमियत से भरी है तेरी बातें, बोले तो बरसे फूलों की झड़ियां।
सांसो की महक महकाए तन मन, तू पास आए तो महके जीवन।

तेरी नजर में वो जादू है, देख ले नजर भरके तो कर दे बेकाबू।
गालों पर लटके लट घुंघराली, सीरत तेरी दिल में ताजगी भर दे।

खुदा बचा कर रखे तुझे, दुनियां की हर बुरी बला, हर बुरी नजर से।
नूर-ए- खुदा बरसे तुझ पर हरदम, खुदा महफूज रखे तुझे हर सितम से। एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें.

#kavyamela
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगीता-4)

Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #kavyamela #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-4) #YourQuoteAndMine

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जब हमारा दिल  और दिमाग, दोनों थक जाता है,
देखता हूँ  बसंत  बहार, पर  खिजां  नज़र आता है।
तब  मेरे  अंतर्रात्मा  में, एक  उम्मीद  सी  जगती है,
तेरा ये मासूम चेहरा, खुशियों के फूल खिलाता है।

विधाता भी  तुझे देखकर, अपना दिल हारा होगा,
अपने हाथों  से गढ़कर, तेरे  रूप को  संवारा होगा।
चाँद सितारे  ग्रह  नक्षत्र  सारे भी, मायूस  हुए होंगे,
जब  सौंदर्य की  देवी को, जमीं  पर  उतारा  होगा। एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें.

#kavyamela
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-4)

Insprational Qoute

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #kavyamela #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगीता-4) #YourQuoteAndMine

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शब ए महताब की भांति चमक उठता हैं तेरा मायूस चेहरा,
बन दीवाना दिल तेरी गिरफ्त हो जाता है चाहे हो कड़ा पहरा,

इतनी सादगी मानो ख़ुदा ने बड़ी ही फुर्सत में बैठ  बनाया हो,
न हार न किया सोलह श्रृंगार ,बस आँखों मे है काजल गहरा,

देख तबियत ठीक हो जाती है, नीला समुद्र भी हो जाता हरा,
अप्सरा ए आफरीन लगती हो रंग रूप भी है इतना सुनहरा,

नजर जो झुकी तो मानो पूरी की पूरी कायनात ही शर्मा जाये,
तुम पर ही दिल हारे हैं तो तुम्हें छोड़कर अब बता कहाँ जाए 

देख ये मासूमियत कर न जाये कोई फ़क़त ही सियासत,
मन को तो मना हम लेते हैं, पर दिल करता तेरी हिमायत।


 एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें.

#kavyamela
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगीता-4)

Insprational Qoute

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #काव्य_मेला #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-6) #YourQuoteAndMine

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गूँज उठी खुशी की लहर अँगना में,जब पहली बार बिटिया की पुकार सुनी,
देख ज़माने के रंग ढंग बैठ जाता पिता का दिल,मां ने न जाने क्या सोच बुनी,

पिता ने ठाना पढ़ा लिखा अफसर बना दूँगा,कभी न किसी के आगे झुकने दूँगा,
चलो एक अभियान चलाए,दहेज प्रथा का अंत कराये, किसी को न दहेज दूँगा,

समय परिवर्तनशील,देता जमाना मिशाल हैं,मैं दहेज पर कुठाराघात करूँगा,
नाज़ो से पली बिटिया मेरी बिन दहेज़ मान सम्मान से आज विदाई करूँगा,

छुपे बैठे सफेदपोशों की आड़ में दहेज लेनदारों का आज पर्दाफ़ाश करूँगा,
शिक्षित लाडलो को करो कभी न किसी की आस में जीना अभियान चलाऊंगा,

करते जो अत्याचार चंद पैसों के लिए,जिन्दा जला देते हैं ममत्व की मूरत को,
होगा न ये बर्दाश्त मुझसे मैं अंतिम सांस तक न्याय की मूर्ति के आगे ले जाऊंगा,

सुनता हूँ जब भी वो निर्दोष सी चीख तो कलेजा मेरी अंतरात्मा को धिक्कारता हैं,
कर बुलंद आवाज़ सर सरेआम उन दहेज के लेनदारों को कैसे समाज मे जीता हैं,

ठान मन मे एक रीत नई चलाऊंगा, हैं कोई दहेज़ दानव तो उनकी होली जलाऊंगा,
हर बेटी,हर बहु, हर कन्याओं को,मत सहन करना न दबना यहीं फरमान फैलाऊंगा। एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें.
#काव्य_मेला
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-6)

DR. SANJU TRIPATHI

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #काव्य_मेला #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-6) #YourQuoteAndMine

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दहेज समाज की मानसिक बीमारी है दुल्हन खुद ही दहेज होती है सबको समझाएं।
दूल्हे को बिकाऊ बनाकर ना बेचें और ना ही दुल्हन को पैसा कमाने की मशीन बनाएं।

पैसे वाले आशीर्वाद के नाम पर दहेज देते हैं बेटी का प्यार तौलते हैं पैसे में उनको बताएं।
गरीब अपनी बेटी के ब्याह के लिए मकान जमीन बेचते गहने गिरवी रखते सब बंद कराएं।

दहेज प्रथा एक अभिशाप है युवा पीढ़ी समझे और खुद ही नई सोच के साथ कदम बढ़ाए।
बेटा- बेटी दोनों को समान समझ काबिल बना पैरों पर खड़ा करें आगे बढ़ने में साथ निभाएं।

अपने अरमानों को पूरा करने की लिए दहेज के लिए मां-बाप लड़कों की बोली ना लगाएं।
विवाह को एक पवित्र बंधन ही रहने दें दहेज की खातिर इसको व्यवसाय हरगिज़ न बनाएं।

बेटी खुद ही दहेज है दहेज की खातिर किसी की भी बहू-बेटी को ना मारे न जिंदा जलाएं।
मां-बाप खुद भी समझें और बेटों को भी संस्कार सिखाएं दहेज के लोभी ना बने ना बनाएं।

दहेज लेने और देने को अपराध माने दुनियां से इसका नामोनिशान मिटाने में साथ निभाएं।
आओ कदम से कदम मिलाकर संग चलो एक अभियान चलाएं दहेज प्रथा का अंत कराएं।

दहेज प्रथा के उन्मूलन के लिए सरकार को सख्त नियम और कानून बना लागू करवाना होगा।
सरकार संग स्वयंसेवी संगठनों व युवाओं को अपना कर्तव्य समझ दहेज प्रथा बंद करवानी होगी। एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें.
#काव्य_मेला
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-6)

Anil Prasad Sinha 'Madhukar'

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #काव्य_मेला #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-6) #YourQuoteAndMine

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सिर्फ  दहेज  प्रथा  का  अभियान  चलाने  से, कुछ  भी  नहीं  होता,
इस कुप्रथा को  अंत करने के लिए, निर्णय मज़बूत करना पड़ता है।
दहेज  प्रथा  पर  भाषण  या  इतिहास  लिखने से, कुछ  नहीं  होता,
दहेज  प्रथा  के  ख़िलाफ़,  पहले  ख़ुद  ही  पहल  करना  पड़ता  है।

बेटियों को  बोझ  ना समझो, उसे तुम  अपनी अचल  संपत्ति मानो,
बेटियों को  आत्मनिर्भर  बनाओ, उसे  अपने  बेटों से बढ़कर जानो।
जो  विरोध  करते हैं, वे अक्सर  बेटों की  शादी में  राल  टपकाते हैं,
समाज  में  फैले  हुए  हैं  दरिंदे, इन  दहेज़  लोभियों  को  पहचानो।

दहेज  कुप्रथा  है, एक  अभिशाप  है, इसका  अंत हमें  करना होगा,
बेटियों को स्वावलंबी आत्मनिर्भर बनाने के लिए, आगे बढ़ना होगा, 
दकियानूसी  रूढ़िवादी  रीति-रिवाजों को, दरकिनार  करना  होगा, 
अंतर्जातीय विवाह  एवं बेटियों के, स्वनिर्णय को बढ़ावा देना होगा।   एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें.
#काव्य_मेला
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-6)

Insprational Qoute

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #kavyamela #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-5) #YourQuoteAndMine

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ये नार रहती परेशान,अपनी सुंदरता पर करती बड़ा अभिमान,
करती रोज पिया जी क़ी जेब खाली,रचती हैं बड़े बड़े अभियान,
पत्नियों के रोज के नाटक से बेचारे पति हो जाते रोज परेशान,
लगा मस्का पति को करती ख्वाहिश पूरी,कहती तुम मेरे भगवान,

रोज साड़ियों की लगाती दुकान,आज शॉपिंग, कल पार्लर जाना,
कहिं थोड़ी सी भी मोटी न हो जाऊं,बार बार दर्पण की निहारना,
रोज सन्डे को किटी पार्टी हैं होती,काम न करना अच्छा है बहाना,
नटखट सी चुलबुली पति की ये रानी,बस पति को ही हैं सताना,

कुछ भी हो नाटकबाजी में ये सबकी नानी हैं यही घर की महारानी हैं
मत सताना कभी इनका दिल,यही तो मां लक्ष्मी स्वरूप पटरानी हैं,
अपने हिस्से का भी दे देती हैं, ये दिल की बड़ी रुहानी मस्तानी हैं,
सब पति की जान है होती,नटखट होती बच्चों सी इनकी शैतानी हैं,

नखरे इनके हीरोइन को भी फेल करे,खुद को विश्व सुंदरी बताती हैं,
लगा महँगे क्रीम पाउडर बेचारे गंजे पति के सामने बड़ी इतराती हैं,
कहती तू बुड्डा मैं जवान नार, कर नोकझोंक बड़ा ही सताती हैं।
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#kavyamela
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-5)

DR. SANJU TRIPATHI

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #काव्य_मेला #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-6) #YourQuoteAndMine

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बचपन के वे दिन याद आते हैं तो मेरा मन फिर बच्चे जैसा ही बन जाता है। 
याद करता है वह शैतानियां, वह नादानियां फिर उसी में खोकर रह जाता है।

बारिश में भीग कर नहाना, वह मां-पापा की डांट खाना बड़ा ही याद आता है।
दादी-नानी से किस्से-कहानियां सुनना, वो करना अठखेलियां अब भी भाता है।

खेलने-कूदने के लिए,पढ़ाई से जी चुराना,वो बहाने बनाकर घूमना याद आता है।
स्कूल ना जाने को पेट दर्द का बहाना बनाना, फिर समोसे खाना याद आता है।

क्लास से बाहर बैठने के लिए होमवर्क ना करके ले जाना बैठ कर गप्पे लड़ाना,
दोस्तों की टोली संग मौज-मस्ती करना समय बिताना, सताता है गुजरा जमाना।

भेदभाव रीति-रिवाजों से अलग, अपनी छोटी सी दुनियां में खोये रहना सुहाता था।
चेहरे पर मासूमियत थी, दिल में ना कोई बैर था, बस केवल दोस्ती निभाना आता था।

-"Ek Soch"
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#काव्य_मेला
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-6)

DR. SANJU TRIPATHI

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #kavyamela #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-5) #YourQuoteAndMine

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दुनियां का हर पति परेशान रहता है पत्नियों के रोज-रोज के नए नाटक से।
पैसा कमाने में लगा रहता है रात दिन, बचाने घर को आर्थिक भूकंप से।

रोज ही बताती रहती हैं नई-नई ख्वाहिशें करवाती है पूरी सारी ही फरमाइशें।
भरी होती हैं कपड़ों से अलमारियां, फिर भी कहती कम हैं,करती है नुमाइशें।

पार्टी में जाने को सजने संवरने की तैयारी में लगाती है न जाने कितने घंटे।
मायके जाने को हमेशा तैयार, बनाती हैं बहाने घूमने के रोज नए-नए बाजार।

करती सदा मनमर्जियां, कहती आज्ञाकारी हैं, बात-बात में बनती बेचारी हैं।
भरी रहती हैं ढेरों लिपस्टिक, पाउडर, क्रीम फिर भी नई-नई डिमांड रहती हैं।

आजमाती रोज नए-नए नुस्खे सुंदरता बढ़ाने को हरदम ही परेशान रहती हैं।
खाने पीने पर कोई कंट्रोल नहीं रखती किटी पार्टी में रोज ही जाया करती हैं।

मेकअप करके सजे सांवरे पार्लर जाएं,रिझाएं निकलवाने को अपने काम।
मन की ना हो तो पल में बन जाती दुर्गा, काली, अंत में आते हैं आंसू काम।
-"Ek Soch"

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#kavyamela
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-5)

DR. SANJU TRIPATHI

एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #काव्य_मेला #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगिता-8) #YourQuoteAndMine

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द्रौपदी संग अन्याय की कहानी सबने महाभारत के रूप में जानी।
क्या कहें, कैसे बताएं जो बीती थी द्रौपदी पर उसको कैसे सुनाएं।

ब्याह हुआ था अर्जुन के संग सपने देखे थे खुशहाल जीवन के,
मां ने आपस में बांटने को कह पांच पांडवों की पत्नी बना दिया।

था अन्याय मगर चुपचाप सह गई मां की आज्ञा शिरोधार्य कर गई।
महलों में आई रानी बनकर पर शकुनी और दुर्योधन को ना भाई।

दुर्योधन ने छल से द्यूत क्रीड़ा  रचायी, राजा धृतराष्ट्र से सूचना भिजवाई।
युधिष्ठिर ने द्यूत क्रीड़ा में सब कुछ गंवाया द्रौपदी को दांव पर लगाया।

भरी सभा में दु:शासन द्रौपदी को खींचता हुआ केशों से पकड़ कर लाया।
मर्यादा को तार-तार किया सभा में किसी ने भी ना था उसको बचाया।

सभी ने द्रौपदी के साथ अन्याय किया न किसी ने अपना फर्ज निभाया।
रोती बिलखती रही बेचारी कृष्ण ने आकर उसकी लाज को बचाया।

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#काव्य_मेला
#competitionwriting

साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता  (प्रतियोगिता-8)
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