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ujjwal pratap singh
कीमती जज्बात लिखे गए थे उस आखिरी सफ़्हा पर किसी रोज रसोई में आकर वो भी खत्म हो गया चूल्हा पर #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #सफ़्हा #उर्दुकीपाठशाला #yqdidi #yqtales #yqlove #yqshayari कोरा काग़ज़
Ashiq Momin
सफ़्हा दर सफ़्हा लोग पढते रहे जिसे मेरी ज़िन्दगी पर मुशतमिल वो एक किताब थी मुशतमिल - आधारित #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #सफ़्हा #wordoftheday #writinggyan #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan
Aafia khan
मुकम्मल ना हो सकी किसीसे किताब-ए-ज़िंदगी मेरी, जो भी पढ़ता,अक्सर अव्वल सफ़हे पर ही रो देता था। PC: Pinterest सफ़हा= a page of a book #कोराकाग़ज़ #सफ़्हा #wordoftheday #yqdidi #yqbaba
... मोलिका
तन्हाई रूह की खुद में समेटकर खुद में ही बस ठहरा सा हूं... तेरे सफ़्हा-ए-अर्ज़ में, टुकड़ों की तरह बिखरा करता हूं...!! सफ़्हा-ए-आसमाँ = page of sky सफ़्हा-ए-अर्ज़ - संसार OPEN FOR COLLAB✨ #ATlostman • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your s
uv_shree
#DearZindagi किसी के चेहरे पर मत जाओ क्योंकि हर इंसान एक बंद किताब की मानिंद है! जिसके सर वरक़ पर कुछ और जबकि अंदरूनी सफ़्हात पर कुछ और तहरीर होता है!! किसी के चेहरे पर मत जाओ क्योंकि हर इंसान एक बंद किताब की मानिंद है! जिसके सर वरक़ पर कुछ और जबकि अंदरूनी सफ़्हात पर कुछ और तहरीर होता है!!
Anjali Singhal
... मोलिका
इन भीगे गुलों से उतरकर सफ़्हा-ए-क़िर्तास पे रंगीनियां छाई हैं, देखो ना..! ये रौनक़-बख़्श बूंदे ओस की, बेरंग फ़जा में गुल-ए-नौरंग लाई हैं..!! सफ़्हा-ए-क़िर्तास : sheet of paper रौनक़-बख़्श : रौनक भरने वाला गुल-ए-नौरंग : a flower contain nine colours OPEN FOR COLLAB✨ #ATmybeautiful
... मोलिका
उधड़ी हुई नफस को खुशबुओं में सी लिया.. गुंचा ए गुल इस गुलशन में, अब एक नया खिला...!! सफ़्हा-ए-गुल = petal ख़याल-ए-मुहाल = a thought which would hardly come to fruition, a difficult thought Bonjour Stitchers 🙋🏻 Our Beautif
... मोलिका
यूं जो तराशते हो मुझे अपनी ग़ज़लों में, हर्फ़-ए-तश्बीह में वो चाँद भी शर्मशार है..! सजाते हो ये तारे चुनकर सफ़्हात पर जैसे, ये लफ़्ज़ नहीं जानाँ, तेरे प्यार का श्रृंगार हैं..!! हर्फ़-ए-तश्बीह: तुलना के शब्द सफ़्हात: papers नमस्कार लेखकों।😊 Collab करें हमारे इस #rzhindi पोस्ट पर और अपने शब्दों द्वारा अभिव्यक्ति कर
Prerit Modi सफ़र
ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें- न समझना अकेला खुद को तू मैं सनम अब तिरा ही साया हूँ मेरे ऊपर कभी ग़ज़ल लिखना तुम क़लम मैं तुम्हारा सफ़्हा हूँ ज़र्रे-ज़र्रे में है वजूद मिरा मैं अभी भी जहां में ज़िन्दा हूँ 2122 1212 22/112 भीड़ में हूँ कभी मैं तन्हा हूँ दर्द में भी मैं मुस्कुराता हूँ दोस्ती का हो या हो भाई का रिश्ते सारे ही मैं निभाता हूँ याद