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Stories related to बालवीर हुबहु

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Avi Nash

बालवीर #Life

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MRN Lucky

बालवीर करेंगे चांद कि यात्रा #short #na Mamta kumari #Memes

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Drj's Diary

हुबहु तेरे जैसा हैं खुद से ही लड़ता हैं #Shayari

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Shravan Goud

याद आते ही सालो पुराना मंजर हुबहु सामने आ जाता है।

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कोई तो होगा जो हमें याद भी करता है। याद आते ही सालो पुराना मंजर हुबहु सामने आ जाता है।

Vijay Tiwari

बालवीर की अनुष्का सेन का ये वीडियो सोशल मिडिया में हो रहा है बहुत वायरल.mp4 https://buc.kim/d/53Z3POzDvaLv

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बालवीर की अनुष्का सेन का ये वीडियो सोशल मिडिया में हो रहा है बहुत वायरल.mp4 https://buc.kim/d/53Z3POzDvaLv

अनिता कुमावत

"आदि पुरुष " रामायण पर आधारित मूवी आज इसका ट्रेलर देखा, जो देखा वही लिख दिया सनातन संस्कृति पर फिल्म बनी है गर्व की बात है लेकिन कुछ कम #yqdidi #yqhindi #film #yqthoughts #आदिपुरुष #picfromgoogle

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आदि पुरूष को 
पहना आधुनिकता का चोला

मात्र करने मनोरंजन 
रंगमंच का द्वार है खोला  "आदि पुरुष " रामायण पर आधारित मूवी 

आज इसका ट्रेलर देखा, जो देखा वही लिख दिया 
 
सनातन संस्कृति पर फिल्म बनी है गर्व की बात है लेकिन कुछ कम

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

*मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते खुद से पुछ बैठता हु* मुझे लगता है मेरी कविताएं मेरे एकांत का एकालाप है आजकल मेरे शब्द मुझसे ही उलझ ज #poem #standalon

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*मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते  खुद से पुछ बैठता हु*

मुझे लगता है मेरी कविताएं 
मेरे एकांत का एकालाप है
आजकल मेरे शब्द 
मुझसे ही उलझ जाते हैं
मेरे शब्दों के माया जाल से 
मैं भ्रमित सा हो जाता हूं
जो कहना चाहूं कह ना पाऊं 
जो लिखना चाहूं लिख ना पाऊं
क्या सच में कविता की कोई सीमा है
किसी ने खींचे दी है कोई लक्ष्मण रेखा 
कविताओं के लिए
या समाज ने तय करदी हो कोई सीमा
क्या हमारी कलम सीमा से बंधी है
जिस से बाहर निकलने से तोड़ दी जाएगी
हम बुराई को पूरा हुबहु क्यों नहीं कह पाते
और सच को इतना श्रृंगार से ढक देते हैं 
कि उसके मायने ही बदल जाते हैं
क्यों नग्न सत्य को कपड़े से ढकना जरूरी हैं
क्यों कविता कागज पर उतरते उतरते 
सच को कहीं खो देती है
अपने नाकाफ़ी होने के बोझ से 
कविता कभी मुक्त नहीं हो पाती है 
क्या कविता कोशिश भर कर पाती है
जिसमें कर्म और आकांक्षा सब मिले-जुले हैं

©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) *मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते  खुद से पुछ बैठता हु*

मुझे लगता है मेरी कविताएं 
मेरे एकांत का एकालाप है
आजकल मेरे शब्द 
मुझसे ही उलझ ज

naved imam

सत्य की खोज में झूठ तू तलाश कर कुछ पाना हो अगर ,आलस का विनाश कर तू जीत का प्रतीक है ,तू जीत के दिखा हार को अपने तू अब हारना सीखा हिमालय की त #RDV18

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ख़ास वो इंसान बन
(POETRY)
IN CAPTION  सत्य की खोज में झूठ तू तलाश कर
कुछ पाना हो अगर ,आलस का विनाश कर
तू जीत का प्रतीक है ,तू जीत के दिखा
हार को अपने तू अब हारना सीखा
हिमालय की त
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