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Stories related to हरी सिंह

poet-Akash kumar

#love_shayari अdiति SHIVAM MISHRA शिवम् सिंह भूमि

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White तुम्हें रिश्ता बचना चाहिए था
 बहस में हार जाना चाहिए था

 जहां बुद्धि लगाकर आए हो तुम 
 वहां पर दिल लगाना चाहिए था

©poet-Akash kumar #love_shayari  अdiति  SHIVAM MISHRA  शिवम् सिंह भूमि

Uttam Bajpai

'कॉमेडी वीडियो हिंदी'संता सिंह बैंक लूटने गए

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Kundan

#goodmorningall राम क्रूशन हरी Life

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White चाहे कितनी हि पीडा तुम
भोग रहे हो 
तुम्हारे ही निर्णय का फल 
है ऑर 
जिस दिन तुम निर्णय 
बदलोगे 
उसी दिन जीवन बदल 
जाएगा

©Kundan #goodmorningall राम क्रूशन हरी 
#Life

Sunita Singh

हरी - भरी वसुधा लगे, हरियाली हर छोर। झुक- झुक चलती रेल की, मनभावन यह शोर।।

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Radhe Radhe

सिंह सिंह होता है

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White सिंह, सिंह होता है
जहाँ बैठ जाए
सिंहासन वही
ठीक उसी तरह 
राजा खुद से राजा होता है
जहां भी खड़े हो 
हर रूप में पहचान आ जाएगा
जय श्री राम

©Radhe Radhe सिंह सिंह होता है

Uttam Bajpai

हिंदी चुटकुलेसंता सिंह पत्नी के साथ थिएटर गए।

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Ravendra

हरी झंडी दिखाकर किया जागरूकता रैली काआरंभ

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Surjeet kumar

#Aap #जी #काम बादल सिंह 'कलमगार'

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White जिंदगी कुछ तो बता।

©Surjeet kumar #Aap #जी #काम बादल सिंह 'कलमगार'

Uttam Bajpai

'कॉमेडी जोक्स'संता सिंह की पिटाई हो गई।

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Veer Tiwari

रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"

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नोट: रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कुरुक्षेत्र"

आज मैंने रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता "कुरुक्षेत्र" पढ़ी, और इसने मेरे मन में अनगिनत विचारों का जन्म दिया। यह कविता न केवल युद्ध की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि मानवता, नैतिकता, और धर्म के गहरे सवालों को भी सामने लाती है।

जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो मुझे लगा कि यह केवल एक ऐतिहासिक कथा नहीं है, बल्कि आज के समय में भी इसका महत्व है। आज जब हम अपने समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष और असमानताओं का सामना कर रहे हैं, दिनकर जी की यह कृति हमें एक नई दृष्टि प्रदान करती है। कविता में कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष, केवल भौतिक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक लड़ाई भी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमें ऐसी लड़ाइयों की आवश्यकता है? क्या हम अपने धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों के खिलाफ जाकर किसी भी प्रकार की हिंसा को सही ठहरा सकते हैं?
कविता में दिनकर जी ने जिस तरह से लाशों की महक और घायल सैनिकों की पुकार का चित्रण किया है, वह अत्यंत संवेदनशील है। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध केवल एक शारीरिक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ी होती हैं अनगिनत मानसिक और सामाजिक पीड़ाएँ। आज के समय में, जब हमारे समाज में हिंसा, धार्मिक असहमति, और राजनीतिक संघर्षों की बातें बढ़ रही हैं, तब यह कविता और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है।
कविता ने मुझे यह सिखाया कि हमें संवाद और समझदारी के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए। आज के संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि शांति केवल युद्ध के बिना नहीं है, बल्कि यह आपसी सहयोग और समझदारी से ही संभव है। हमें दिनकर जी के इस महत्वपूर्ण संदेश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
इसलिए, मैंने निश्चय किया है कि मैं अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद स्थापित करूंगा। मैं समझता हूँ कि बातें करने से misunderstandings कम होती हैं और सामंजस्य बढ़ता है। हमें हर किसी के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
इस कविता को पढ़ने के बाद, मैंने यह महसूस किया कि रामधारी सिंह दिनकर केवल एक कवि नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। "कुरुक्षेत्र" में दिए गए विचार और संदेश आज भी हमारे समाज के लिए प्रासंगिक हैं। मुझे लगता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।
आज का यह अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा, और मैं इसे अपनी जीवन यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखता हूँ।

©Veer Tiwari रामधारी सिंह दिनकर "कुरुक्षेत्र"
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