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Babli BhatiBaisla
सखी और आजादी मां की आफत से कम नहीं देखो तो कैसे कैद में है नन्हें मुन्ने यह क्या सितम नहीं मां की ममता के तो दूर दूर तक भी दर्शन नहीं वृद्ध आश्रमों में बढ जाए भीड़ अगर तो अचरज नहीं मौज़ और लुत्फ की गुलामी फैशन की लत नहीं पुरानी नए जमाने के मनोभाव की माया जाती ही नहीं पहचनी बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla कैद Lalit Saxena Neel MohiTRocK F44 SIDDHARTH.SHENDE.sid abhishek sharma 0
Sethi Ji
White 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 💞 दिल की मुस्कान , दिल की पहचान 💞 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 मुस्कराते बहुत हो तुम , कभी ख़ुश भी रहा करो चाहते हैं तुमको अपनी जान से ज़्यादा कभी तुम भी हमको हमारी तरह चाहा करो ढूंढ़ते हैं तुम्हारी हसीं ज़माने भर में कभी भूल कर हमारी गली भी आया करो सोचते हैं दिन रात तुमको हमारे ख्यालों में कभी तुम भी हमारा साथ अपने ख़्वाबों में पाया करो 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 ©Sethi Ji 🩷🩷 ज़िन्दगी की अदा 🩷🩷 🩷🩷 ज़िन्दगी की वफ़ा 🩷🩷 दिल से दिल का रिश्ता कोई समझ नहीं पाया ज़िन्दगी में कोई हमसे वफ़ा कर नहीं पाया ।। बढ़ते रहे हमेशा
Santosh Narwar Aligarh
White तेरा बड़ा नाम है मेरे शहर में और मैं गुमनाम हूं अपने ही शहर में चाहने वाले हैं बहुत तुझे हर शहर में क्या कोई खत तेरा मेरे नाम से आयेगा मेरे शहर में ©Santosh Narwar Aligarh #City Anshu writer Satyajeet Roy MohiTRocK F44 (Musafir) Ashutosh Mishra Sethi Ji 0 miss.Riyarajput FAKIR SAAB(ek fakir) •~• Sarfaraj idr
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
शेर:- नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR शेर:- नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर
Mili Saha
White // ऐसा भी कोई खरीददार नहीं // सुकून खरीद लाएं जहांँ से हम, है ऐसा तो कोई बाज़ार नहीं, तकलीफ़ बेच सके जिसको, है ऐसा भी कोई खरीददार नहीं, फिर भी जाने क्यों दौलत की गर्मी दिखा, उछलता है इंसान, धन खुशी दे सकता है,बन सकता खुशियों का पहरेदार नहीं। दौलत ज़रूरत है पर बदल देती है अक्सर, चेहरों के भी रंग, पैसा जेब में है तो ज़िन्दगी तरंग, दिमाग में आ जाए तो जंग, जो बुद्धि को भ्रष्ट कर, अपनों से ही अपनों को दूर करती है, तब दौलत का रंग भरपूर होकर भी ज़िन्दगी लगती है बेरंग। ©Mili Saha #City #nojotohindi #sahamili #Trending #Life Ravi Ranjan Kumar Kausik Niaz (Harf) 0 Ashutosh Mishra Ranjit Kumar Sethi Ji Babli BhatiB
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२ हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से । जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३ न था अपना कोई उसका मगर फिर भी । उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४ सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता । तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५ बताती हार है अब उन महाशय की । उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६ नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७ सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली । जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८ लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे । न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९ किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे । खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ