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Parasram Arora
बारहवा खिलाडी बन कर उतरता रहा मैदानों मे न खेल पाया कभी न कभी खेल से बाहर हुआ मै सागर मे गिर कर उसका खारापन पीता रहा न कभी मुझे किनारा मिला न कभी सागर से बाहर हुआ नहीं बंधता मेरा गूंगापन मेरे शब्दों मे मेरे शब्दों से आज मेरा वीराना मुख़ातिब हुआ मै अपने साये से कभी बाहर निकला ही नहीं आज पहली बार मेरा साया मुझसे जुदा हुआ बारहवा खिलाड़ी.........
Parasram Arora
जवानी के दिनों मे हमेशा फुटबाल और होकी के खेलो मे हिस्सा लिया करता था पर आज तक ये हकीकत कोई नही जानता मेरी हैसियत इन खेलो मे बारहवे खिलाडी की रही हैँ ©Parasram Arora बारहवा खिलाडी
Mohan Sardarshahari
आ गया फाल्गुन लेकर मस्ती के दिन पेड़ों पर कौंपल देख मुस्काये मेरा मन। मधु के प्याले छलकें आंखों देख गौरियों का तन गींदड़ , डांडिया खेलकर पाऊं उनका संग। मेरा रोमांस फैल रहा ज्यों बारहसिंगा के सींग कचनार सी गोरियां सोच-समझ बढाइयो रे प्यार की पींग।। ©Mohan Sardarshahari #बारहसिंगा के सींग
Aman
1. घमंडी बारहसिंगा : (Moral Stories In Hindi) एक समय की बात है। एक घने जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। वह बड़ा घमंडी था। एक बार वह तालाब में पानी पी रहा था और पानी हुए उसने अपनी परछाई देखी। वो अपने सुन्दर सींगो को देखकर बहुत खुश हुआ, पर अपनी पतली टाँगो को देखकर बहुत दुखी हुआ और वो भगवान को कोसने लगा। पीते घमंडी बारसिंघा एक बार कुछ शिकारी कुत्ते जंगल में आ गए और वो बारहसिंगा के पीछे पड़ गए। ये देखकर वो घबराकर दूर भाग गया। उसकी पतली टाँगे ही उसकी भागने में सहायता कर रही थी। भागते-भागते अचानक उसके सींग टहनियों के बीच फँस गए। उसने अपने सींगों को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, पर वह अपने सींगों को बाहर ना निकाल पाया। जिसके बाद उन शिकारी कुत्तों ने उसे घायल कर दिया और वो मरने की हालत में हो गया था। मरते समय वह सोचता रहा, “इन सुंदर सींगों ने मुझे मरवाया है और मेरी पतली टाँगे मुझे बचा सकती थी।" ©Aman #घमंडी बारहसिंगा #khani #Trending
Sanjeev Jha
नदियों के नैहर में जन्मा सागर की मैं आशा हूं पर्वतराज के पांव पर पल कर साहस की परिभाषा हूं शोभा जिसकी फर्न बना हो मैं सावन बारहमासा हूं कौशिकी की नस से होकर बहता हुआ सुधा-सा हूं देवी पूरन की गोद में बस कर हरता रहा निराशा हूं ©संजीव #नैहर #पर्वतराज #परिभाषा #सावन #बारहमासा #mountainday
Shilpa ek Shaayaraa
कमाल करते हो यार सायबो यूं ही तुम क्यूं अकड़े रहते हो.. जानते है हम रिश्तें-नातों को सारे तुम कसकर पकड़े रहते हो.. दिखने में तो हर किसी से बारहा तुम लडते झगड़ते रहते हो.. मगर जानते हैं हम सब अब दोस्त हो, हमराज हो तुम सायबो दिलों को तुम जकड़े रहते हो.. -शिल्पा #InterNational_Mens_Day #DEDICATED_TO_ALL_BEST_MENS_AND_AMAZING_PERSONS_IN_MY_LIFE #बारहा_ManyTimes_बार-बार #Shilpa_ek_Shayaraaa #ShilpaSalv