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Shashi Bhushan Mishra
हाँ में हाँ है, ना में ना है, झूठी कसमें प्रेम कहाँ है, मन भरमाये यहाँ वहाँ है, ढूँढी खुशियाँ जहाँ तहाँ है, बंद है आँखें दृष्टि कहाँ है, तन्मयता से ढूँढ जहाँ है, अंतर्मन यह दर्द सहा है, भवसागर में जब नौका है, ज्ञान से गुंजन पार हुआ है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #प्रेम कहाँ है#
Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)
Shashi Bhushan Mishra
दिल के जैसा जमीं कहाँ है, पर आँखों में नमी कहाँ है, क्यों नाहक हो परेशान तुम, सोचो तुझमे कमी कहाँ है, हुई जेल से फक़त रिहाई, बात ख़ुशी की गमी कहाँ है, मौसम है बदला-बदला सा, वक्त की आँधी थमी कहाँ है, ढूँढ रहे हो हरियाली को, चाचर धरती शमी कहाँ है, गम के बादल घिरकर आए, अब बारिश मौसमी कहाँ है, बिन सौगात मिलन बेमानी, तुम ही तुम हो हमीं कहाँ है, आशाओं के दीप से 'गुंजन', जगमग घर है तमी कहाँ है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दिल के जैसा जमीं कहाँ है#
Knowledge Fattah
लद्दाख और मणिपुर क्या मोदी जी का परिवार नहीं है जहाँ की ख़बर ना मीडिया दिखाती है और अमित शाह को दिखती है बहा की हालत ©Muzaffar Ali official (A+A) लद्दाख को क्यों भूल गए
Ashraf Fani【असर】
जाबांज़ परिंदा उड़ने को जब पर फैलता है परवाह कहाँ ऊँचाई की वो उड़ता जाता है ©Ashraf Fani【असर】 जाबांज़ परिंदा उड़ने को जब पर फैलाता है परवाह कहाँ ऊँचाई की वो उड़ता जाता है #ashraffani #thepredator
Ravishankar Nishad
कहाँ आजाद परिंदों की जिन्दगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है. ©Ravishankar Nishad कहाँ आजाद परिंदों की जिन्दगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है.
Mahendrasinh(Mahi)
कहाँ- कहाँ समेटूँ तुझे ऐ ज़िंदगी, जिधर भी देखु तू बस बिखरी पड़ी है। ©Mahendrasinh(Mahi) कहाँ- कहाँ समेटूँ तुझे ऐ ज़िंदगी, जिधर भी देखु तू बस बिखरी पड़ी है।