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shiva Bhargav
FOODEEZ
Arpit Mishra
शून्य हृदय में प्रेम-जलद-माला कब फिर घिर आवेगी? वर्षा इन आँखों से होगी, कब हरियाली छावेगी? लम्बी विश्व कथा में सुख की निद्रा-सी इन आँखों में- सरस मधुर छवि शान्त तुम्हारी कब आकर बस जावेगी? . ©Arpit Mishra jayshankar prasad
Jashvant
White इक दिन तुम ने मुझ से कहा था धूप कड़ी है अपना साया साथ ही रखना वक़्त के तरकश में जो तीर थे खुल कर बरसे हैं ज़र्द हवा के पथरीले झोंकों से जिस्म का पंछी घायल है धूप का जंगल प्यास का दरिया ऐसे में आँसू की इक इक बूँद को इंसाँ तरसे हैं तुम ने मुझ से कहा था समय की बहती नद्दी में लम्हे की पहचान भी रखना मेरे दिल में झाँक के देखो देखो सातों रंग का फूल खिला है वो लम्हा जो मेरा था वो मेरा है वक़्त के पैकाँ बे-शक तन पर आन लगे देखो उस लम्हे से कितना गहरा रिश्ता है ©Jashvant एक दिन NAZAR Sandeep Surela Mukesh Poonia Anupriya Subhash Chandra
MOTIVATIONAL ZINDAGI ( फ्री देसी फिटनेस मंत्र )
Shankar Bihari studio
MOTIVATIONAL ZINDAGI ( फ्री देसी फिटनेस मंत्र )
https://youtube.com/@Mahendra2king?si=W94X-gFeeMLs1EfR
(दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है ।) तुम जिस दर्द की बात करते हो वो दर्द और कोई भी झेल रहा है । तुम रो के सुना रहे हो कोई और तो चुपचाप इस से खेल रहा है कहीँ आँखें मौन हैं कहीँ आँखें नम हैं । दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । किसी के पास रोने के लिए कंधे नहीँ हैं किसी के पास काम धंधे नहीँ हैं । किसी के पास बड़ा घर है तो घर में बंदे नहीँ है । किसी के पास खुला आसमान लेकिन उड़ने के लिए परिंदे नहीँ है । किसी के पास शरीर बड़ा लेकिन अंदर नहीँ दम है । दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । किसी के पास रोजगार नहीँ डिग्रियां लिए घूम रहा है किसी के दिल में क़रार नहीँ मयखानों में झूम रहा है । किसी के पास महबूब नहीँ तस्वीर चुम रहा है । बताओ मुझे किस के दिल को सुकूँ रहा है । किसी के पास सुंदर आँगन लेकिन हसीना के पैरों की नहीँ छम-छम है । दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । किसी का भरी जवानी में ही सुहाग उजड़ गया । किसी का बेटा बिगड़ गया । किसी को उसका यार रगड़ गया । कहीँ बेटा बाप से ही अकड़ गया । कहीँ पीने को दवा की शीशी नहीँ कहीँ wine whisky रम है दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । कहीं सड़क पे कोई सर्दी में रात गुज़ार रहा है । चौराहे ओर बैठा भिखारी अपनी उंगलियों से अपने बाल सँवार रहा है । कोई तन्हा है समंदर की रेत पे नाम अपना उभार रहा है । कर्ज़ किसी का था कोई उसको उतार रहा है । बच्चा बाहर अकेला जेल में बंद उसकी माँ शबनम है दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । #mahendra2king ©https://youtube.com/@Mahendra2king?si=W94X-gFeeMLs1EfR #GingerTea Pooja Sharma Shahnaz Mayur Prasad Bhagwat
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(दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है ।) तुम जिस दर्द की बात करते हो वो दर्द और कोई भी झेल रहा है । तुम रो के सुना रहे हो कोई और तो चुपचाप इस से खेल रहा है कहीँ आँखें मौन हैं कहीँ आँखें नम हैं । दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । किसी के पास रोने के लिए कंधे नहीँ हैं किसी के पास काम धंधे नहीँ हैं । किसी के पास बड़ा घर है तो घर में बंदे नहीँ है । किसी के पास खुला आसमान लेकिन उड़ने के लिए परिंदे नहीँ है । किसी के पास शरीर बड़ा लेकिन अंदर नहीँ दम है । दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । किसी के पास रोजगार नहीँ डिग्रियां लिए घूम रहा है किसी के दिल में क़रार नहीँ मयखानों में झूम रहा है । किसी के पास महबूब नहीँ तस्वीर चुम रहा है । बताओ मुझे किस के दिल को सुकूँ रहा है । किसी के पास सुंदर आँगन लेकिन हसीना के पैरों की नहीँ छम-छम है । दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । किसी का भरी जवानी में ही सुहाग उजड़ गया । किसी का बेटा बिगड़ गया । किसी को उसका यार रगड़ गया । कहीँ बेटा बाप से ही अकड़ गया । कहीँ पीने को दवा की शीशी नहीँ कहीँ wine whisky रम है दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । कहीं सड़क पे कोई सर्दी में रात गुज़ार रहा है । चौराहे ओर बैठा भिखारी अपनी उंगलियों से अपने बाल सँवार रहा है । कोई तन्हा है समंदर की रेत पे नाम अपना उभार रहा है । कर्ज़ किसी का था कोई उसको उतार रहा है । बच्चा बाहर अकेला जेल में बंद उसकी माँ शबनम है दुनिया में कितना ग़म है, मेरा ग़म कितना कम है । #mahendra2king ©https://youtube.com/@Mahendra2king?si=W94X-gFeeMLs1EfR #wholegrain Pooja Sharma Shahnaz Mayur Prasad Bhagwat Rakesh Kumar