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aashish shrivas
Naushad Ali
जो सुख में साथ दे वे "रिश्ते" होते है, और जो दुख में साथ दे वे "फ़रिश्ते" होते है। ©Naushad Ali सुख में ....... #holdmyhand
Ek villain
अर्थ और प्रजा के सुख में ही राजा का सुख ही नहीं है तीसरी बार राज्य का बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर आर राव द्वारा उदित की गई कौटिल्य के अर्थशास्त्र की इस उक्ति से आलोक में अगर बजट पर नजर डालें तो एक बात ही तय है कि यह बजट किसी को अक्रिय नहीं लगेगा लगातार तीसरे वर्ष सरकार ने आम जन पर कोई भी नया कर नहीं लगाया है सरकार ने अपनी तीसरी बजट में स्वास्थ्य शिक्षा और युवाओं को खूब ख्याल रखा है सबसे ज्यादा बढ़ोतरी स्वास्थ्य के बजट में हुई है जो सभी भी अच्छी सेहत की चिंता के प्रति सरकार के प्रतिबंध को दर्शाती है वित्त मंत्री ने आधारभूत रचनाओं तथा व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं के पेड़ बेहतर बनाने की कोशिश की है बिजली पानी सड़क स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर ध्यान देने के साथ-साथ व्यक्तिगत लाभ की योजनाएं यूनिवर्स पेंशन योजना ₹1 यूनिट बिजली जैसी योजनाओं की दी है सबसे ज्यादा बढ़ा ध्यान स्वस्थ जरूरी है व्यवस्था की कलई खोल दी है स्वस्थ ही जीवन का सार है मूल मंत्र में अपनाते हुए वित्त मंत्री ने स्वस्थ क्षेत्र में दोनों हाथ खोल कर उनके स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा 27% के बाद खाद्यान्न वितरण में 30% शिक्षा में 6% बढ़ोतरी हुई है बजट में जिलों की घोषणा की गई है ©Ek villain #प्रजा के सुख में राजा का सुख #Moon
नित्यानंद गुप्ता
जिस मनुष्यों में क्रोध रूपी असुर का वास हो जाता है,वो नर तन में भी दानव ही कहलाता है। वो चाहे दिखने में भले ही मानव जैसा ही हो। आपकी वाणी और व्यवहार ही आपको मानव या फिर दानव बनाता है। सच्चा सुख तो आत्म सुख में ही है।
BANDHETIYA OFFICIAL
कितना सुख है, क्या दुख है, मेरे अंदर में? कभी तो निकले,दिखे वो - जैसे मंजर में। ©BANDHETIYA OFFICIAL #दुःख में सुख है।
Pawan
माना कभी- कभी हौसले टूट है जाते.. आँसू के समुद्र मे फिर हम डूब है जाते.. आगे के रास्ते भी ठीक से नजर नही आते.. ऐसे मे खुद को बिखरने मत देना.. सपनो को अपने मिटने मत देना.. क्योंकि पर कटे परिन्दे किसी को पंसद नही आते.. पर कटे परिन्दे
Pradyumn awsthi
इंसान का जब सुख का समय आता है तो इंसान खुशी से उछलने लगता है और बहुत ज्यादा खुश होता है लेकिन जब उसी इंसान का सुख का समय चला जाता है तो इंसान दुखी और उदास रहने लगता है जबकि सुख और दुख मैं से कोई भी स्थाई नहीं है और इंसान को सुख दुख दोनों में ही एक समान रहना चाहिए ।सुख में ना ज्यादा उछलना चाहिए और दुख में ना ज्यादा मुंह बनाना चाहिए ©"pradyuman awasthi" #सुख में और फिर दुख में