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Arun Arun kumar
पहले खेलते हैं खिलौनों से बाद में खेलता है बंदूकों से
Archana pandey
पूर्वजों का मान घटाया नवयुग की संतानों ने वेदतत्व का ज्ञान भुलाया वैदेशी वैचारों ने.... उन मशाल को क्या ले चलना? सुलग रहीं बिन ज्वाला जो विजय तिलक कब माथ सजाया? जंग लगी तलवारों ने?? अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey जंग लगी तलवारों ने?? #Anger
Abeer Saifi
हमने ख़ुद को यूँ हालात से लड़ते देखा बिना नेज़ों बिना ढालों ही झगड़ते देखा इस पे ग़म ये के मेरी हिम्मत की सदा कई पैरों को इस मैदां से उखड़ते देखा कौन ज़िंदा हैं यहाँ कौन बाकी न रहा यहाँ मुर्दों को अक्सर ही अकड़ते देखा इस जंग में दुनिया की मैं मसरूफ़ रहा उनको जाते न सुना न बिछड़ते देखा मेरे अल्लाह उन्हें रख हिफ़्ज़-ओ-अमां में जिनके ताने भी सुने जिनको बिगड़ते देखा नेज़ों - तलवारों, सदा - आवाज मसरूफ़ - busy
Abeer Saifi
हमने ख़ुद को यूँ हालात से लड़ते देखा बिना नेज़ों बिना ढालों ही झगड़ते देखा इस पे ग़म ये के मेरी हिम्मत की सदा कई पैरों को इस मैदां से उखड़ते देखा कौन ज़िंदा हैं यहाँ कौन बाकी न रहा यहाँ मुर्दों को अक्सर ही अकड़ते देखा इस जंग में दुनिया की मैं मसरूफ़ रहा उनको जाते न सुना न बिछड़ते देखा मेरे अल्लाह उन्हें रख हिफ़्ज़-ओ-अमां में जिनके ताने भी सुने जिनको बिगड़ते देखा नेज़ों - तलवारों, सदा - आवाज मसरूफ़ - busy
Shilpa
मैं क्या दूँ सबूत तुम्हे उनके गुनाहों का जिसने तलवारों से नहीं अल्फाज़ो से वार किया था #shilpapandya ©Shilpa मैं क्या दूँ सबूत तुम्हे उनके गुनाहों का जिसने तलवारों से नहीं अल्फाज़ो से वार किया था #shilpapandya #JusticeForNikitaTomar
Praveen Jain "पल्लव"
साहित्य पल्लव की डायरी समाज और देश का चरित्र बनकर दर्पण में उभरता है हल चलो का चलन कवि रचनाओं में उकेरता है जब जब पथ भृष्ट समाज होता है कबीर निराला का दिल कविताओं में रोता है सत्ताओ का चरित्र शोषण करता है तब तब कलमो का लेखन चुनोती पूर्ण होता है तलवारों की ताकत कलमे रखती है कितने औहदे ऊँचे हो नेस्तनाबूद करती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" तलवारों की ताकत कलमे रखती है #WForWriters #पल्लव_की_डायरी
Anurag Sharma