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Yashi Goel
घर की चारदीवारी में रहकर भी मेरा हाल जान लेती है। ये मेरी माँ है! हस्ते हुए चेहरे का गम भी पहचान लेती है।। माँ कहलो या मेरा घर! सब उसके होने से ही है।। #nojoto #nojotohindi #dolike #comment
Vishesh Pandey
तेरी मुस्कान से सुधर जाती है तबियत मेरी बताओ ना तुम इश्क़ करते हो या इलाज़ मुझे हर स्थिति में मुस्कराना अच्छा लगता है या यूँ कहलो कि लत बुरी है मुझे मुस्कराने की 🙃😊 #sharmagirl #yqhindi #yqquotes #YourQuoteAndM
lalitha sai
हर सुबह की शुरुआत.. एक मनमोहक एक मंत्र के साथ शुरुआत हो जाए तो... दिल को सुकून.. और अपने आसपास के.. वातावरण भी.. एक शांति का धाम.. परमधाम बनजाता है! #goodwalimorning #lalithasai #myworld कुछ ऐसे शब्द कहलो या कोई मन्त्र.. उनको सुनने के बाद.. कुछ ऐसा लगता है.. बस अपने मन और दिमाग़ बस शांत हो
lalitha sai
आज कुछ पलों को ऐसे ही रहने दो.. आज फिर से इन सांसो को फिर से थमने दो.. आज फिर से इस धड़कन को बड़ने दो.. आज फिर से इन आँखों को नमी होने दो.. आज फिर से इन पलों को जी भरके जीने दो.... #goodwalimorning #lalithasai #myworld बचपन से एक ख्वाहिश कहलो या सपना है.. चारो तरफ हरियाली.. हरियाली हो.. उस हरियाली के बीच..मैं... उस मौसम
#Siddarth
आयुष पंचोली
यंत्र, तंत्र और मंत्र तीनो ही एक दुसरे से जुडे हुए है। तीनो को साथ लेकर ही, किसी ऊर्जा को जाग्रत किया जाता है। जैसे की- मंत्र- अर्थात् वह वाक्य जिनसे ऊर्जा का आवाहन, पूजन किया जाता है। यंत्र- अर्थात् वह घेरा य वह वस्तु जिसपर ऊर्जा को स्थान दिया जाता है। पूजन मे बनने वाले मण्डल व स्थापित कलश भी यंत्र की श्रेणी मे ही आते है। तंत्र- अर्थात् किसी ऊर्जा के आवाहन से लेकर, पूजन , अर्चन तक की पूर्ण प्रकिया तंत्र ही कहलाती है। हा यह जरूर कह सकते है , की सात्विक पूजा पध्दति वैदिक तंत्र कहलाएगी। और तामसिक पूजा पध्दति के बहुत सारे रूप है। जिसमे डामर तंत्र , भूत डामर तंत्र, मुण्डमाल तंत्र, भोम्ती विघा , महाविद्या, कामाख्या तंत्र , कापालिक तंत्र आदि लगभग 52 भाग है। और इन सबसे अलग एक तंत्र है, यामल तंत्र जिसे आनन्द भैरव-भैरवी संवाद कहलो, या रूद्रयामल तंत्र कहलो। यह तंत्र कुंडलिनी शक्ति के जागरण की विघा है। जिसका एक भाग विज्ञान भैरव तंत्र के रूप मे पृचलित है, जिसमे ध्यान की अवस्था मे किस प्रकार चरम पर पहुंचा जा सकता है उसका वर्णन है, जो स्वयं आनन्द भैरव , आनन्द भैरवी को देते है। अर्थात् शिव- शक्ति के जागरण का सिध्दांत माता पार्वती को समझाते है। अर्थात् आप यह कह सकते है कि , तंत्र का उद्देश्य मात्र जागृती है। किसी ऊर्जा की , किसी शक्ति की । किसी यंत्र पर, या स्वयं के भीतर। मंत्रो के द्वारा आवाहन करते हुए। 🙏🙏 ॐ 卐 शिवोअहम् 卐 ॐ ज्योतिष,वास्तु समाधान केंद्र ज्योतिर्वीद प. आयुष पंचोली (शिवदास) ©आयुष पंचोली यंत्र, तंत्र और मंत्र तीनो ही एक दुसरे से जुडे हुए है। तीनो को साथ लेकर ही, किसी ऊर्जा को जाग्रत किया जाता है। जैसे की- मंत्र- अर्थात् वह व
Miss Zaidi
"चलो सुनाती हू आज एक कहानी" {दिल थाम कर पढ़ना} 👇👇👇👇👇👇👇👇 (in caption) 👇 चलो सुनाती हू आज एक कहानी बात चाहे कहलो नई या कहलो पुरानी, एक बच्ची थी नन्ही सी बड़ी बेगानी अपनी दुनिया मे खुश वो हर चीज़ से रहती अन्जानी।
insta@words from heart99
आयुष पंचोली
रिश्ता वही श्रेष्ठ होता हैं, जहां उसमे स्वार्थ नही अपनापन हो। जहां दिखावा नही बल्कि दिल मे उस रिश्ते के लिये मान, सम्मान , समर्पण और प्रेम हो। फ़िर चाहे वो किसी से भी हो। और अगर किसी रिश्ते के लिये आपके मन मे बैर हैं, मगर आप सिर्फ दिखावे के लिये उसको निभा रहे हो तो, इससे अच्छा हैं उससे दूर हो जाओ। उसका परित्याग करदो । क्योकी मन मे वैमनस्यता और बैर लिये जो रिश्ता पनपता हैं, उसका अन्त कभी सुखद नही होता। चाहे फ़िर यह बैर किसी भी रिश्ते के लिये ही क्यो ना हो। माता, पिता, भाई, बहन, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, दोस्त, समबन्धी सब अपनेपन के कारण ही आपसे जुड़े होते हैं। मगर जब यह अपनापन खत्म होने लगता हैं, और उस रिश्ते मे कटुता आने लगती हैं, तब सबका व्यवहार आपके लिये बदलने लगता हैं। फ़िर हर रिश्ता सिर्फ नाम का रह जता हैं, इसके अलावा कुछ नही। और किसी के व्यवहार को सोचकर मन ही मन दुखी होने से अच्छा होता हैं, उसे आपसे जुड़े सम्बंध से मुक्त कर उसे उसकी राह पर चलने दिया जायें। अगर सामने वाला सच मे आपके लिये मान-सम्मान, समर्पण और प्रेम भाव रखता होगा, तो वह कभी आपसे दूर नही हो पायेगा। और अगर ऐसा नही हैं, तो आप लाख उसे रोकना चाहो, वह ठहर ही ना पायेगा। आप इसे कुछ भी कहलो , मगर यह एक कटु सत्य हैं।🙏🙏🙏🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch रिश्ता वही श्रेष्ठ होता हैं, जहां उसमे स्वार्थ नही अपनापन हो। जहां दिखावा नही बल्कि दिल मे उस रिश्ते के लिये मान, सम्मान , समर्पण और प्रेम ह
आयुष पंचोली
सुना हैं माँ-बाप बच्चो के लिये हर सुख छोड़ देते हैं, कोई शौख रखते नही, अपना जीवन भी छोड देते हैं। सच ही तो हैं, माँ-बाप वही जो बच्चो का भविष्य खुद के कर्मो से बनाये, पर मैने तो ऐसा भी देखा हैं,कुछ माँ-बाप बच्चो को जन्म तो देते हैं, मगर उन्हे तन्हा ही छोड़ देते हैं। शौक भारी रहते हैं जिनके उनकी जैब पर, कुछ बाप नशे की खातिर बच्चो का भविष्य भी अंधेरे मे झोंक देते हैं। जो माता होती हैं, वह भी साथ दे अगर ऐसे ही पिता का, तो वो माता कुमाता ही कहलाती हैं। जीवन भर करते रहते हैं काम वो गलत, जो सच कहता हैं उससे रिश्ता ही तोड़ देते हैं। अपनी करनी का पछ्तावा होता नही इन्हे, ना जाने कैसे किसके संस्कार इनमे घुले होते हैं। यह अपराधिक मानसिकता वाले लोग हैं, जो शौक पुरे करने को अपने , अपने बच्चो को भी बेच देते हैं। और जो स्त्री इसके खिलाफ बोले ना, साथ ऐसे पुरुषो का दे। सिर्फ अपने माँग का सिन्दूर बचाने को, नन्ही सी जानो का जीवन तबाह करदे। वो सही हरगिज हो नही सकती। ऐसे लोगो की मैं ईज्जत करु, इतनी गिरी हुई गुरबत मेरी हो नही सकती। मुझे गलत कहते हो तो कहलो, मेरी फितरत गुनाह को माफ़ करने की नही हैं। जो उतर गया नजरों से, वो हो गया खत्म मेरे लिये, मेरे दिल मे जगह हैवानो के लिये नही हैं। आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan सुना हैं माँ-बाप बच्चो के लिये हर सुख छोड़ देते हैं, कोई शौख रखते नही, अपना जीवन भी छोड देते हैं। सच ही तो हैं, माँ-बाप वही जो बच्चो का भविष