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Aurangzeb Khan
बुझते हुए चराग को हवा दे गया कोई मौसम ए खिजा में भी गुल खिला गया कोई थम चुकी थी जिनकी उम्मीदें इंसाफ के लिए इस जुल्म के अंधेरों में वक्त रहते ही इंसाफ का दीया फिर जला गया कोई #सर्वोच्च न्यायालय ©Aurangzeb Khan #सर्वोच्च न्यायालय
Kavita jayesh Panot
न्याय की कतार अन्यायों की बस्तियों में, देखो न्याय के लिए कतार लगी है। छोटी नही है कोई आवाजे , दिल की गहराइयों से गुहार लगी है। सुनने वाला जैसे बेहरा हो, आँखों से दृष्ट राज । राज सभा में द्रोपतियो की भीड़ लगी है। सरेआम छल ली जाती है , इज्जत बाजारों में किसी बेकसूर की। जैसे किसी हैवान की वासना मुख में सजी हो। किसी के घर पकवानों की थालियां सजती है, तो कोई भूख से तड़प कर मौत की नींद सो जाता है। कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा, कोई लुटा देता है अपनी बुढ़ापे की जमा पूँजी भी, एक न्याय की आस में। फिर भी वर्षो से कागजातों में बंद उम्मीदे पड़ी है। कोई अपने हक की कमाई के लिए , गिड़गिड़ाता है, लाठी के सहारे भी पेंशन आफिस के चक्कर लगाता है। न जाने ये न्याय का कैसा रास्ता है? अधिकारों और न्याय की सुनवाई तो, मन्दिरों के द्वार पर भी धागों में बंधी है। अन्याय की इस बस्ती में , न्याय की कतारें लगी है। न्याय की गद्दी पर बैठा अंधा है, अन्यायों की महफ़िल हर जगह जमी है। कोई मखमली लिबाज पहनें तो, किसी को कफ़न भी न नसीब है। ईश्वर ने बनाया इंसान , ये इतनी सारी अलग -अलग पहचान कैसे ,क्यों बनी है? चलो अब इंसानियत को अपना मूल धर्म बना, भेदों को जहाँ से मिटा दे। हर इंन्सा को उसके मूलभूत अधिकार दिला, ख़ुशनुमा औरो के जीवन भी बना दे। चलो आज समाज को सामाजिक न्याय और, कर्तव्यों के सही मायने सीखा , अन्याय की बस्ती में आग लगा दे।। कविता जयेश पनोत ©Kavita jayesh Panot #न्यायालय #न्याय#इंसानियत
Ravi Shankar Kumar Akela
भारत में 6 प्रकार के न्यायालय स्थापित किए गए हैं| वह 6 न्यायालय कुछ इस प्रकार हैं, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला और अधीनस्थ न्यायालय, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रेक कोर्ट और लोक अदालत। भारत का शीर्ष न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय है , जो कि राजधानी दिल्ली में स्थित है। ©Ravi Shankar Kumar Akela भारत में 6 प्रकार के न्यायालय स्थापित किए गए हैं| वह 6 न्यायालय कुछ इस प्रकार हैं, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला और अधीनस्थ न्यायालय,
Ashok Topno
सबसे बड़ा न्यायालय हमारा मन होता है क्या सही है और क्या गलत है उसे सब पता होता है ©Ashok Topno न्यायालय#nojoto #hindi#viral
Ek villain
चुनाव प्रचार के समय धर्म जाति संप्रदाय भाषा क्षेत्र लिंग आदि पर आधारित भेदभाव प्रतिबंध राजनीति दलों को अपनी नीतियों को इस प्रकार प्रचार करना चाहिए कि वह संप्रदाय या जाति वादी प्रतीति ना होवे विडंबना यह है कि समाचार पत्रों या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जब भी चुनाव में संभावित का विश्लेषण किया जाता है सर्वप्रथम हिंदू मुस्लिम के आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं इसके बाद हिंदुओं की जाति आधारित संख्या ब्राह्मण ठाकुर निषाद यादव जाट बनिया आदि पाठ पर दृष्टिगोचर होने लगती है मुस्लिम के भीतर फिर के होते हैं तथा सिया सुधि अहां में दिया खरीद कुर्ती आदि लेकिन जानबूझकर खुशी में पैदा की जाती है यही एकजुट होकर मतदान करते हैं विभिन्न राजनीतिक दल ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करते हैं एक मुस्लिम यादव का तो दूसरा दलित मुस्लिम का नारा दलित का कुछ राजनीतिक दल ऐसे में भी जो सारे मुस्लिम को अपने लिए लाना चाहते हैं यह सारे प्रयास आश्रय दैनिक हैं सुप्रीम कोर्ट को संज्ञा लाते हुए ऐसे विश्लेषण ऑफर तत्काल रोक लगा देनी चाहिए ©Ek villain # उच्चतम न्यायालय समझाई बात #Walk
Ek villain
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का एक कथन बहुत उचित है कि व्यापक गड़बड़ी पाए जाने पर भर्ती परीक्षा नियंत्रण करना है वह चयन बोर्ड पर बयान कायम रखने की दृष्टि से यह कदम सर्वोत्तम है कि उत्तर प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं की परी कितनी सुंदर होगी उसमें किसी प्रकार की सेंध लगाना संभव ही नहीं हो सका कि इन प्रयासों के बावजूद अब तक संभव नहीं हो सका ऐसी कम दुरुस्त करने वाली छोटी बताने के प्रयास चाहे जितने तरीके अभ्यार्थियों के मन में विश्वास पैदा कर दे दी जाती है तो और भी सफलता नहीं मिलती उसने सेवा चयन आयोग के ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत अधिकारी और सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा की है भर्ती परीक्षा कराई गई है जिन लोगों ने सीट खाली जमा किए उन्होंने घोषित कर दिए गए हैं परिणाम घोषित होते हुए करने वाले का फैसला लिया गया और समय लगता है परीक्षा के साथ भाभी करियर के सपने पलटते हैं और जब वही एक आदेश से टूट जाते हैं तो फिर अंतः पीड़ा होती है यह 900000 अभ्यर्थी में सेवा परीक्षा दी होगी जने लगता होगा कि चयन के योग दे कि तू भ्रष्ट व्यवस्था ने उसका पर्स छीन लिया ©Ek villain #भरोसे का प्रश्न न्यायालय का #election
Ek villain
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का यह सुझाव की सभी सरकार जांच एजेंसी एक छात्र प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत सम्मिलित होने चाहिए बहुत तार्किक और महत्व है सरकार को इस जगह को तुरंत स्वीकार कर लेना चाहिए सुझाव जिस स्तर पर आया है वह देश की न्याय प्रणाली समाप्त होती है देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई प्रवर्तन निर्धारित सीरियस पेंडिंग इन्वेस्टिगेशन संगठन नोटिफिकेशन 138 प्रशासन व्यवस्था के अंतर्गत कराए गिर जाएगी जो समय पर निर्णय लेने में सक्षम होगी और सफलतापूर्वक तिरुपति से भ्रष्टाचार को समाप्त कर और दोषी को दंड दिलवाने में बेहतर संपर्क करें काम करेगी अभी तो उलझा हुआ सरकारी तंत्र भ्रष्ट तंत्र नहीं है अगर आप देश की जनता का बहुत नुकसान हो चुका है दोषी को दंडित होने तक का महत्व और सार्थक समाप्त हो जाती है ©Ek villain #उचित सुझाव उच्चतम न्यायालय का #VantinesDay
Vicky Yadav
फैसला जो भी होगा स्वंय देखेंगे श्री राम जी। शांत हिंदुस्तान में ले हम,शांति से काम जी।। होना ना होना छोड़ा है, सब आज भगवान पर। बस विवेक ना मरे किसी का अपने ज्ञान पर।। आज के हर फैसले को प्यार से समझाइए। संग खड़े है राम स्वंय किंचित नही घबराइए।। सरकारे रहे चौकन्नी कोई आंच ना आने सके। देश की अखंडता पर,कोई जांच ना आने सके।। होगा वही जो अब प्रभु ने,है किया सब के लिए। बस वतन में न्याय हो, सद्भावना के जलते दिए।। धैर्य,धर्म, अखंडता संग न्याय का सम्मान हो। तुझमे बसे रहीम हो या मुझमें बसे भगवान हो।। विक्की यादव "शौर्य" सर्वोच्च न्यायालय के नय को सम्मान हो