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Abhijit Verma
दौर-ए-सफर में हम यू फँसे वो NCERT पढ़ गये हम मोबाइल में ही घुसे रहे 😝😝😂 'अस्तित्व' ncert
Reyaz duruk
इंसानों के बजाय NCERT से प्यार करके तो देखो, हर रोज दो-चार पन्ने पलट कर तो देखो, इश्क जैसा नशा इसमें भी है जनाब जरा हर रोज अकेले इस के साथ वक्त बिता कर के तो देखो, कौन कहता है कि इसके पास वो नशीली आंखें नहीं, जरा दिल से NCERT का कक्षा-11 का अध्याय-21 से आंखें मिला कर तो देखो, कौन कहता है कि NCERT के पास दिल नहीं है, जरा कक्षा-11 के अध्याय-18 से दिल लगा कर तो देखो, होने लगेगा हमारी तरह तुम्हें भी NCERT से प्यार, जरा कक्षा-11 के अध्याय-16 को कैंडल लाइट डिनर पर बुला कर तो देखो, जरा इंसानों के बजाय NCERT से इश्क लगाकर तो देखो। #cute artist #khamosh writer @md Reyaz duruk ishq-e-NCERT#study hard kill exam #ncert ke panne#ncert ke akshar#ncert ke images#ncert meri nas nas me
somnath gawade
वसा संघर्षाचा असला तरी प्रश्न मस्तकाच्या मशागतीचा आहे. सुपीक मस्तकेच उद्याची हिरवी स्वप्नं घेऊन येतील. संघर्षाच्या लाल रंगा पेक्षा माझ्यासाठी शाश्वत हिरवी स्वप्नं महत्वाची आहेत. #पुस्तकें
J P Lodhi.
किताबें किताबों कुछ कहना चाहती है हम से,। प्रारम्भ से अंत और भूत से लेकर भविष्य के बारे में। सत्य के बारे में,झूठ के बारे में,भलाई और बुराई के बारे दया,धर्म,धैर्य के बारे में,धोखे और फरेब के बारे में। प्रथ्वी,आकाश , पाताल और सूर्य,चन्द्र, तारो के बारे में। गणित,विज्ञान,साहित्य,भूगोल और इतिहास के बारे में। सागर,नदियां,पर्वत ,घाटी और झीलों के बारे में। मर्यादा,सभ्यता,संस्कृति और चरित्र के बारे में। पशु पक्षी,जीव जंतु,और प्रकृति के बारे में। प्यार,मोहब्बत और नफरत घृणा के बारे में। इंसानियत,अहिंसा,उपकार के बारे में। हमारे पास रहकर, सब कुछ सीखाना चाहती है। हमारे पास रहना चाहती है। पुस्तकें ।।
Nand lal suthar
पुस्तकें थकावट में राहत का खजाना होती है पुस्तकें अज्ञान में ज्ञान का प्रकाश होती है पुस्तकें ग्रीष्म में शीतल हवा सा अहसास होती है पुस्तकें शीत में सुहाना सा ताप होती है पुस्तकें और जो दिल को सुकून दे, निराशा में जुनून दे ऐसी ही कुछ वरदान होती है पुस्तकें।। नन्दलाल सुथार ©Nand lal suthar पुस्तकें #Rose
Ganesh Din Pal
🌹😢😢😢😢😢🌹 जब किताबें खुली सड़कों पर बिकने लगे और जूते चप्पल शीशे के अंदर तो इससे दुर्भाग्य की बात और क्या होगी? मैं इलाहाबाद गया और वहां रास्ते में जाते समय मैंने देखा कि तमाम झंझावातों को झेलते हुए ,दुनिया भर के निशान अपने शरीर पर धारण किए हुए जीर्ण-शीर्ण पुस्तकें मुंह खोलें आने जाने वालों की तरफ बड़ी मासूमियत और व्याकुलता से निहार रही थी। ऐसा लग रहा था, जैसे वह कह रही हो क्या अब मैं इसी लायक रह गई हूं। सच बताऊं उनका इस तरह से निहारना दिल को झकझोरने वाला था। मेरे भी आंखों से आंसुओं की एक लड़ी निकल पड़ी। मैंने कुछ पुस्तकें देखी उनमें क्या जज्बात लिखे हुए थे। मैंने सीने से लगा लिया और सोचने लगा इस कौम का क्या होगा जो इस तरह से पुस्तकों की इज्जत की धज्जियां उड़ा रहा है। यही पुस्तकें हमें जीवन की उन ऊंचाइयों को पहुंचाती हैं, जहां से जब हम नीचे देखते हैं तब हम अपने को पहचानने में भी भूल कर जाते हैं। 🌹😢😢😢🌹 जी डी पाल 🌹🌹🌹 ©Ganesh Din Pal पुस्तकें #MereKhayaal