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Sarita Singh
हिंदी की परीक्षा में, नानी याद आ जाती हैं, आज कल के बच्चों को, हिंदी नहीं आती हैं, हर बच्चा आज कल, इंग्लिश स्कूल में पढ़ता है, गर हिंदी बोली स्कूल में, जुर्माना भी देना पड़ता हैं, टीचर ने समझाया मां को, सहयोग हमे करना होगा, घर और स्कूल दोनों जगह, इंग्लिश में कन्वर्सेशन होगा, ना केवल इंगलिश बोलो, पर अंग्रेज़ो के जैसी बोलो, शिक्षा के स्तर को, इंग्लिश उच्चारण से तोलो, मातृभाषा का मान नही, कैसे मां का सम्मान करेंगे, अपनी संस्कृति और देश का, क्या इंग्लिश में गुणगान करेंगे, इंग्लिश भाषा बोल के, ये खुद पर इतराऐंगे, मातृभाषा को भूल के, क्या अंग्रेज़ बन जाएंगे, #हिन्दी #विश्व हिन्दी दिवस
Subant Kumar dangi(Poet, Writer)
मेरी मातृभाषा 'हिंदी' कल की आशा है हिंदी हमारी मातृभाषा है हिंदी हम हैं हिंद देश के वासी हिंद की राजभाषा है हिंदी सभ्यता की पहचान है ये हमारी आन बान शान है ये #मातृभाषा हिन्दी #राजभाषा हिन्दी
Devendra
आज होली के रंग में रंग जाए किसी के प्रति मन में ईर्ष्या द्वेष हो तो आज गुलालो के संग उड़ाया जाए सात रंग मिलके एक साथ सफेद स्वच्छ आप सभी के जिंदगी हो जाए लक्ष्य परिवार की ओर से आप सभी को होली के अवसर में ढेर सारी शुभकामनाएं स्वच्छ होली स्वस्थ होली धन्यवाद! © Devendra #Holi #Holi #हिन्दी #हिन्दीकविता #हिन्दी
viju patil
किसी की कल्पना ... किसी की भावना .... खूद मे संजोदे हूये... काही और किसी और को भावना से पोह लचाता हैं.... ©viju patil हिन्दी कविता.. हिन्दी विचार #Books
हिन्दी कविता.. हिन्दी विचार #Books
read moreनागेंद्र किशोर सिंह
जान हमारी हिन्दी है , अभिमान हमारी हिन्दी है। जिस जीवन को हम जीते हैं, उसकी धड़कन भी हिन्दी है। कोटि नमन है हिन्दी को। ©नागेंद्र किशोर सिंह #हिन्दी#
CK JOHNY
अंग्रेज़ी आती तो है पर मैं अधिक नहीं बतियाता मैं तो बस मजबूरी में ही हूँ बाहर का खाना खाता। हिन्दी मेरी शुद्ध सात्विक घर का भोजन देसी घी तन मन सुंदर स्वस्थ प्यारे प्रसन्न जिंदगी जी। अंग्रेज़ी जंक फूड हाट डाग बर्गर और पिज्जा हिन्दुस्तानी परिवेश में उपयुक्त नहीं जरा सा। आनंदित जीवन हेतु हमें घर का भोजन है भाता। अंग्रेज़ी आती तो है पर मैं अधिक नहीं बतियाता मैं तो बस मजबूरी में ही हूँ बाहर का खाना खाता। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 14.09.2020 हिन्दी
हिन्दी
read moreअपर्णा विजय
स्वर व्यंजन मात्राओं से सज्जित ,हिंद की में परिभाषा हूं जन जन की मैं अभिलाषा हूं, हां मैं हिंदी भाषा हूं हां मैं हिंदी भाषा हूं साहित्य का आधार हूं कविताओं का श्रृंगार हूं जिसने बुलाया मेघों को ,हां मैं वही मल्हार हूं हां मैं वही मल्हार हूं संस्कृत की कोख से जाई हूं, जनमानस में मैं समाई हूं विरासत हूं मैं माटी की ,जाने क्यों फिर भी पराई हूं जाने क्यूं फिर भी पराई हूं अमल में ना लाया गया उस फरमान सी हूं अपने ही घर मैं अब मेहमान सी हूं अस्तित्व के संघर्ष में अनाम सी हूं कोने मैं पड़े पुराने दीवान सी हूं तुमसे है विनती और तुमसे ही अनुरोध फिर मुझे अपने होठों पर सजा लो कविता ही नहीं हकीकत में बना दो हिंदी की बिंदी आओ फिर अपनी मां से लाड़ लडाओ एक दिन क्यों हर दिन हिंदी दिवस मना लो ©अपर्णा विजय हिन्दी
हिन्दी #कविता
read moreHinduism sanatan dharma
विचार करो मुस्लिम शुक्रवार (जुम्मा) की नमाज ही क्यों पढ़ने जाते हैं ©Hinduism sanatan dharma #हिन्दी