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Anand Kumar Ashodhiya
नहाकै ,आकै सिगरण लागी चुटकी, बिछुएं ,पायल, पहरे पहर लिये पगपान कडी टणका छैल कडे था नेवरी पाती पर ध्यान झाझन और कडुले पहरे शोभा बनगी बेअनुमान मगजी ऊपर पायपीन गोटा का किनारा चमकै लाल लामन लगी हुई रंग रंगीला न्यारा चमकै काला दामन पहर रही सारा प्यारा प्यारा चमकै घटा जैसे सामण मै छागी तागड़ी का गुच्छा सटका चाल म्ह झंकारा लागै झब्बेदार नाडा , कमरबंध का चमकारा लागै नौ डांडी का बाजना जो बाजता भी प्यारा लागै कुर्ता कुर्ति आंगी चोली का रंग गजब घाल रहा गलसरी, कंढी,गल पटटी जुगनी का धमाल रहा हंसली पतरी हार झालरा हमेल का कमाल रहा कई माला थी मन को भागी अंगूठी,वींटी,मूंदडी थे छाप और हथफूल पाती छन्न कडे़,छन्न पछेल्ली ,गजरा गोखरु करामाती चूडी,,चूडामणि कंगन फूंदा ,पौंची मन को भाती डंडे बाली झुमकी लटकै जो कानों का है सिंगार नाक में नथनी सजाई मुखड़ा चंदा सी उनिहार ठीक बीच में टिकी आई काली भोहे बनी कटार केश थे काले मांग जमागी छाज ,बोरला,राखडी सिंगार पट्टी लग रही प्यारी सितारे भी करै पलापल सिर क ऊपर चीर हजारी काले सैंडल पहर लिए पनघट की करली तैयारी सिर के ऊपर दौघड़ धरी हाथ के में लिया डोल केले कैसा गात लरजता पैरों मै बजती रमझोल अशोक कुमार जाखड़ जो मर्द देखता रहा बोल कोई हूर स्वर्ग की धरा पै आगी ©Anand Kumar Ashodhiya Haryanvi Ragni by Ashok Jakhad
Haryanvi Ragni by Ashok Jakhad #समाज
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2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी । चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।। तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै । सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।। किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।। मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई । बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।। तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।। इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा । जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।। कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।। तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै । गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।। गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।। कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya 2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi
Anand Kumar Ashodhiya
2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी । चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।। तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै । सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।। किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।। मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई । बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।। तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।। इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा । जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।। कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।। तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै । गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।। गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।। कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya 2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi