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अजय आदिल
जवानी जब पानी होकर ,घर में बैठा रहना पसंद करें। तब बुजुर्गों को लाठी उठाना ही पड़ता है।।#ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन## कृषि बिल २०२०
CK JOHNY
सिंधु बार्डर पर बैठा है सिंधु सभ्यता का परिचायक राजनीतिज्ञ मोहनजोदड़ों हड़प्पा सी खुदाई कर रही नाहक। क्या सिंधु घाटी लिपि सा है ये बिल जो पढ़ा नहीं है जाता समझना नहीं चाहते या समझाया जा नहीं सकता आखिर कैसी है ये सियासत। जो प्रावधान किसानों के हित में नहीं उन्हें लिखित में हवाला देकर वार्तालाप करो। जो लाभ रहे गये तीनों कानूनों में उन्हें लागू करवाओ तुम फटाफट। सिंधु बार्डर पर बैठा है सिंधु सभ्यता का परिचायक राजनीतिज्ञ मोहनजोदड़ों हड़प्पा सी खुदाई कर रही नाहक। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ किसान आंदोलन कृषि बिल
बेबाक अशिक
रफ्तार ए खूने सरूर बढ़ना चाहिए, नीतिया गलत हो आवाज उठना चाहिए। हम देखेंगे ताकतें ए दौर उनका भी, जिनको ताकत हमें ने दी है। ©बेबाक अशिक #कृषि #बिल #कृषि #कानून #RIPRahatIndori Ambika Jha Abdullah Qureshi अंकित कुमार ✍️ Yogesh Mahadev Sanap Naseem Khan Pthan
SK pant
बालकनी के गमले में पुदीना उगाने वाले बता रहे हैं “मैं भी किसान हूँ, मुझे कृषि बिल से दिक़्क़त है!” 😂😂😂 ©MK Madhav #कृषि #बिल#you #farmersprotest viren zalavadiya Shivam Mishra Nitukumari Anjali singh benam shayrr
Ek villain
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से यह ठीक ही कहा गया है कि कुछ लोगों की आपत्ति के कारण जो किसी कानून निरस्त हो गए थे आजादी के बाद बड़े सुधार रहे थे उनके इस कथन की आलोचना का कोई अर्थ नहीं है कि हम एक कदम पीछे हटाए लेकिन फिर आगे बढ़ाएं दुर्भाग्य से कुछ लोग उनके इस कथन की व्याख्या इस रूप में कर रहे हैं कि कृषि मंत्री तीनों केसी कानून फिर लेने की बात कर रहे हैं कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह तो उनके वाक्य तत्व को किसान विरोधी सर यंत्र करार देते हुए यह भी कहा है कि चुनाव बाद किसानों पर फिर वार होगा इसे देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकारी कार्सी कानून सुधार में नए सिरे से कदम बढ़ाते समय इसका ध्यान रखने की इस मामले में फिर दुष्प्रचार राजनीतिक अपनी जड़े जमा पाए इससे कोई इंकार ना कर पाए किसी कानून के खिलाफ किसानों को बाहर गिलन के लिए दुष्प्रचार का जमकर सहारा लिया गया इस तरह का झूठ बार-बार फैलाया गया है कि किसी कानूनों के जरिए सरकार किसानों की जमीन छीनने का काम करेगी यह काम विपक्षी दलों और खासकर उस कांग्रेस की ओर से भी किया गया है जिनमें पिछले लोकसभा चुनाव के अवसर पर जारी अवध अपने गुरु घोषणापत्र में वैसे ही कृषि कानून बनाने का वादा किया था जिसे मोदी सरकार लेकर आई थी दुर्भाग्य है यह रहा कि किसान संगठनों ने सभी किसानों को गुमराह करने का काम किया कृषि कानून को वापस लेने का यह अर्थ हो सकता है और ना ही होना चाहिए कि खेती और किसानों की दशा सुधारने के लिए कुछ करने की आवश्यकता नहीं है सच तो यह है कि इसकी आवश्यकता और बढ़ गई है इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती किसी कानून वापस होने से तमाम किसान निराश हो गए जिन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ तिथे यह भी है कि किसी कानून विरोधी आंदोलन मोटे तौर पर ढाई है राज्य अथवा पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित था इस पर हैरानी नहीं है कि इस आंदोलन में शिमला पंजाब में कई संगठन खुद को राजनीतिक दल में तब्दील करने में लगे हुए हैं इसमें हर्ज नहीं लेकिन इससे यह तो स्पष्ट ही यही है कि राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए किसानों को मोर बनाना गया है आवश्यक केवल यही है कि किसी कारण वापस होने के बाद भी सरकारी कृषि सुधारों की जरूरत को रेखांकित करते बल्कि यह भी है कि किसानों को किसान संगठन कृषि विशेषज्ञ और राजनीतिक दलों से व्यापक विचार विमर्श करने का यह दिशा में आगे बढ़े हैं ©Ek villain # जरूरी है कृषि सुधार #NatureLove
Prashant Mishra
दुनियादारी के डर या अवसाद में वापस ले लेंगे घिरती देख भरोसे की बुनियाद में वापस ले लेंगे यार हमारा दिल है ये, एक बार दिया तो दे ही दिया ये किसान बिल थोड़े है जो बाद में वापस ले लेंगे --प्रशान्त मिश्रा ये किसान बिल थोड़ी है
TAHIR CHAUHAN
मैं बोला- तू जा कैसे सकती है ! बिल मैंने भरा तो तू सब कुछ खा गई मेरे सीने में धरा है पिज़ा बर्गर डोसा तूने कर दिया सब कुछ ओडर। सब कुछ अकेले खा गई। ना देखा इधर उधर। तेरा खाना देख मैनेजर बेहोश पड़ा है। तू जा कैसे सकती है बिल ने भरा है। तू सब कुछ खा गई मेरे सीने में धरा है। ताहिर।।। बिल मै ने भरा है