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Vhora Muskan
लोग सिर्फ शरीर को ही गुलाम बना सकते है l आत्मा और मन को नहीं आत्मा अमर है शरीर नही जिस दिन आत्मा ने शरीर का साथ छोड़ दिया उस दिन से कोई शरीर नामक इंसान को बंदी नही बना सकता l ©Vhora Muskan आत्मा मन और शरीर #standAlone
जीtendra
मेरे हृदय और मन-मस्तिष्क पर तुम्हारी स्मृतियों के मौन निमंत्रण ने कई बार मुझे विक्षिप्त किया है, मन व शरीर सहम जाता है, मुख से निकलने वाले सभी स्वर, कंपन की मुद्रा में होते हैं, मैं असमर्थ होता हूं, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में, और जब इन मौन रूपी शब्दों को समझने वाला कोई न हो, तब, मैं अपने हर शब्द को गूंगा कर देना चाहता हूं ताक़ि उन शब्दों की पुकार को कोई भी सुन न सके... #हृदय #मन #मस्तिष्क #शरीर #कम्पन #निमंत्रण
adiyogi
प्रेम का प्रथम व अंतिम सोपान देह है। प्यार का पहला व अंतिम सोपान शरीर है।
Manoj Km Mishra
यदि शरीर व मन स्वस्थ नहीं है, तो लक्ष्य को पाना असंभव है, योग करने से मन और शरीर दोनों स्वस्थ होते हैं. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ! यदि शरीर व मन स्वस्थ नहीं है, तो लक्ष्य को पाना असंभव है, योग करने से मन और शरीर दोनों स्वस्थ होते हैं. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक
Sunita Sharma
आपके लिए यह ©Sunita Sharma # मन # पीर #फकीर #छिपाते #रूह # बिन शरीर
ganesh suryavanshi
कूणाचा मनात काय चालू असतं ते आपण सांगू नाही शकत.. पण माझा मनाला जी व्यक्ती आवडते ना.. ती व्यक्ती आपली आयूष्यात स्पेशल पसंती म्हणून असतात.. ती व्यक्तीची जागा कोणीच घेऊ शकत नाही... ©ganesh mali आपलं मन व आपले माणसं #Flower
SK Poetic
स्वदेहमरणिं कृत्वा प्रणवं चोत्तरराणिम्। ध्याननिर्मथनाभ्यासद्दिवं पश्येन्निगूढवत्।। ऐसे कहा जा रहा है कि जैसे दूध को मथो तो मक्खन निकलता है न, तो कहा जा रहा है कि दो तरीके से मथो तुम संसार रूपी दूध को: अपनी देह को उपकरण बनाकर के, और अपने मन को उपकरण बनाकर के। नीचे का, माने पहला और निम्नतर योग्यता का उपकरण होगी—तुम्हारी देह, और उच्चतर योग्यता का उपकरण होगा—तुम्हारा मन। पर इन्हीं दोनों के साधन से तुमको सत्य की प्राप्ति होगी। देह का तरीका हुआ: श्रम का तरीका। जो श्रम करने को तैयार नहीं है, उसको सत्य की प्राप्ति कभी नहीं होगी। और मन का तरीका; ॐकार की अरणि क्या हुई? ज्ञान का और संकल्प का तरीका। शारीरिक रूप से श्रम की पूरी तैयारी होनी चाहिए और मानसिक रूप से त्याग की। ज्ञान माने अज्ञान का त्याग, संकल्प माने संस्कारों का त्याग। शरीर से तुम्हें होना चाहिए श्रमी और मन से तुम्हें होना चाहिए त्यागी। शरीर ऐसा हो जो मेहनत करे ही जाए, करे ही जाए और मन ऐसा हो जो त्यागे ही जाए, त्यागे ही जाए। श्रम करे ही जाओ, करे ही जाओ और उसके फल को त्यागे ही जाओ, त्यागे ही जाओ। यही दोनों साधन उपनिषद् बता रहा है। शरीर, जो कर्म करने से कभी रुके नहीं और मन जिसने चूँकि अब अपने आपको जान लिया है, इसीलिए उसकी किसी तरह के भोग में रुचि नहीं रही है। जिसने ये दोनों पा लिए, उसे परमात्म-तत्त्व मिल गया। ©S Talks with Shubham Kumar शरीर से श्रमी और मन से त्यागी #BooksBestFriends
Bhakti Kalptaru
शरीर, वाणी और मन से होने वाले पाप।
ganesh suryavanshi
आपलं तस नाही... चेहरा बघून प्रेम करत नाही मन व स्वभाव वर प्रेम करतो व मित्रता पण तिथच करतो.. स्वतापेक्षा दूसर्यावर जीव लावतो. तोच आपला स्वभाव...status... ©ganesh suryavanshi जिथ मन तिथ प्रेम व मित्रता.. #DilKiAwaaz