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kt
आज का दौर नही चल रहा है खुदा की राह पर! हर शक्स भटक रहा एक हसीन निगाह पर! मन मे मैल रख लोग जा रहे है मंदिर मस्जिद दरगाह पर! अकल नही आ रही ज़र्रे जर्रे पर गशे खाकर! एक तिनके की तरह है हम उस मालिक के लिऐ k.t वो एक फुक मे मिटा कर रख देता है पूरा साम्राज्य मिटाकर! truewright u known me 👑Name.of.king👑 ©kt #standout #standout
Dr. satyendra shukla sattu..
एक दिन आप की समझदारी से सब रुबरु होगे, फैसले जो कुछ भी होगे आपके, सबको मंजूर होगे! तारीफ करने का तो हक नही हमे कोई, खुदा कसम एक दिन आप सब के तारीफो का पात्र होगे!! ©satyendra shukla #standout #standout
Rajesh Rajbhar
वक्त जब फैसला लेता है जज को भी कभी कभी अपने लिए वकील खड़े करने पड़ते हैं ©Sonu Sony Kumar standout #standout
Fazil Aysha
behind every sweet smile, there is a bitter sadness that one can ever see and feel ©Fazil Aysha #standout #standout #sadquotes
Ashutosh Kumar
पतझड़ में सिर्फ पत्ते गिरते हैं नजरों से गिरने का कोई मौसम नहीं होता !! ©Ashutosh Kumar #standout#vichar#standout
Diwa
You're a writer when you find your meaning in the meaningless scribbles you're often driven to create. "Meaning" #Meaning #KwentongDiwa #Diwa
Pooja Udeshi
standout ========= standout quality हैं, बहुत कुछ करने की खुआईशे हैं आप लोगो की ईनायत रही तो सपने पूरे होंगे और जब तक इस जिस्म मे जान हैं हम आप लोगो के कदरदान हैं और हमेशा रहेंगे, nojoto ने हमे बनाया सीढ़ी दी उसमे चढ़ हम और ऊंचा जाऐगे और इसे कभी भूल ना पाएँगे i love you nojoto and my lovely nojotians 🥰✌️🙏🏼 ©Pooja Udeshi standout 🥰✌️🙏🏼 #standout
Radhe Krishna
कभी कभी अपनो की खुशी के लिए इंसान को उन फैसलों के आगे भी झुकना पड़ता है जिसमें उसकी मर्जी नहीं मजबूरी होती है। 🌞🌼GOOD MORNING🌼🌞 💯🥀🕊 ©Radhe Krishna #standout
Aspirant183
रो कर ही सो जाता हूं रोज रात को सुबह फिर से न रोने के लिए, कुछ तो बहाना चाहिए न मुझे भी गिरकर फिर खड़ा होने के लिए। ©Aspirant183 #standout
Kumar Dinesh
हमें मिली ही नहीं यार..ये सहूलत भी रही अधूरी तुझे भूलने की.. हसरत भी सितारा आँखों का मैं भी ..कभी रहा हूँ मगर मैं उस ज़माने में...लोगों की था..ज़रूरत भी हमारी ज़ात कि हम..दुःख पर उफ़ नहीं बोले हमारे अपनों ने बरती नहीं.. मुरव्वत भी हमारे दुख में दिलासा... जो देने आए थे रखे थे पाँव में जाने की...कोई उजलत भी किसी के वास्ते जीना...हमारा लाज़िम है सो रोज़ मरने की डाली..गई है आदत भी हमें उजाड़ने वाला मिला..तो हँसने लगा दिखा तो सकता था...थोड़ी नदामत भी फक़त शज़र से नहीं गिरते...ज़र्द पत्ते यहां हमारे घर ने निभाई है...ये रिवायत भी ज़ात = व्यक्तित्व मुरव्वत = नरमी उजलत = जल्दबाजी नदामत = शर्मिंदगी ज़र्द = पीले ©Kumar Dinesh #standout