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Parasram Arora

पर्यायवाची...... #शायरी

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खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

व्यर्थ की गरमी #कविता

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आ गई है,बहुत ज्यादा गरमी
दिल में रखो,अब आप नरमी
हर ख्वाब आपका पूरा होगा,
नम्रता की पहने,पहले वर्दी

दिमाग को रखो,आप ठंडा
त्याग भी दो व्यर्थ की गरमी
क्या,फ़लक और क्या जमीं
जो होते है,सदैव धैर्य,धनी

छोड़ते देते,व्यर्थ गहमागहमी
फिर अंगारों पर होती नरमी
जो दिमाग में रखते है,सर्दी
भीतर रखते,जो कर्म गर्मी

वो पाते फिर सफलता इतनी
सागर में लहरे नही जितनी
त्याग भी दो,व्यर्थ की गरमी
स्नेह के साथ रहो,आप सभी

प्रेम के लिये यह दुनिया बनी
लड़ने के लिये नही ज़मीं बनी
वो बनते है,खिली हुई कली
जो विन्रमता की होते,जमीं

चोर जेब मे जो सदा रखते है,
सहनशीलता कोहिनूर चवन्नी
वो नही रोते है,जीवन मे कभी
त्याग भी दो व्यर्थ की गरमी

जीवन मे न होगी कोई कमी
जिंदगी में होगी,फिर रोशनी
घटा दे आप व्यर्थ की चर्बी
क्रोध की न सुलगाये अग्नि

जो त्याग दे,गर व्यर्थ गरमी
बनेगी स्वर्ग,फिर यह धरती
शीतल बने और शीतल बोले
फिर बरसेगी,सुधा वर्षा घनी
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" व्यर्थ की गरमी

Niranjana Verma

#ChildrensDay व्यर्थ की चिंता #विचार

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Ek villain

#व्यर्थ की कारोबारी #promiseday #Society

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निजी अस्पतालों में मरीजों से लूट का सूट के जाने कितने मामले प्रकाश में आते रहे हैं लेकिन इस 2 साल की कहा जाए कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता के लखनऊ के एक अस्पताल में अपने यहां ढाई सौ मजदूरों को मरीज के रूप में भर्ती कर लिया था कि अधिकारियों को गुमराह किया जा सके इतना ही नहीं इन मजदूरों को दवाएं और इंजेक्शन भी दिए जाने लगे हैं ताकि वे वास्तविक रूप से मरीजों दिखाई पड़ने को निरीक्षण के लिए आने वाली टीम अस्पताल के पक्ष में रिपोर्ट दें मजदूरों की शिकायत पर एम एस सी सक्सेना ग्रुप ऑफ कॉलेज परिसर स्थित आवास में हॉस्पिटल के संचालक के बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन इस घटना के निजी अस्पतालों में क्या-क्या किया जा सकता है इसे भी लाभ दिया गया इस घटना के बाद राजधानी लखनऊ ही उन प्रदेशों में निजी अस्पतालों के मान्यता की जांच होनी चाहिए कि वह कितने मानक रूप कर रहे हैं और कितने नहीं निजी अस्पतालों में इलाज नहीं है व्यर्थ का कारोबार होता है और आधी कारी भी आंख मूंदे रहते हैं महज कुछ माह पहले ही दैनिक जागरण ने लखनऊ में अभियान चलाकर फर्जी उजागर किया था उसमें सामने आया था कि कई अस्पतालों में चिकित्सा के बोर्ड तो लगे हुए थे लेकिन वह आते ही नहीं थे इस प्लान में भी कर्मचारी ही डॉक्टर वार्डबॉय और डिप्रेशन का कार्य कर रहा था प्रशासन ने इस अभियान के बाद कई अस्पतालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे

©Ek villain #व्यर्थ की कारोबारी

#promiseday

Jogendra Singh writer

nojoto ka पर्यायवाची #Light

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आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची  क्या है
Answer in comment section

©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची

#Light

₹a̟j̟p̟u̟t̟ A̟j̟a̟y̟ A̟a̟k̟a̟r̟

व्यर्थ की चिंता न करे

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☺️ जो होगा अच्छा होगा 
जो नहीं होगा वह भी अच्छा होगा 1
तुम क्यों चिंता करते हो यारों
होगा तो सब  ऊपर वाले की  नजर में होगा☺️ व्यर्थ की चिंता न करे

vinni.शायर

गरीबों की बात का भी... #Childhood #शायरी

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गरीबों की हसी का भी कोई
ठिकाना नहीं होता..
कभी कभी तो वे खुद की
बात पे ही हसने लगते है..

©vinni.shayr गरीबों की बात का भी...

#Childhood

Komal Singh

ज़माने की बात।। #ज़माने का दौर..

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हमारे ज़माने में तो  सच्ची मोहब्त होती थी,
रिश्तों में बुनियाद होती थी,
लोग एक दूसरे से केवल,
दिल ही नही लगाते थे,
वादा भी निभाते थे,
जीवनसाथी केवल ,
बंधन में बंधने ,
के लिए नहीं,
एकदूसरे का साथ,
जीवनभर निभाने,
के लिए होते थे,
प्यार सच्ची होती थी,
वादे सच्चे होते थे,
लोग भी अच्छे होते थे,
जो अब,
इस जमाने में नहीं मिलते।।
--कोमल ज़माने की बात।।
#ज़माने का दौर..

Er Manish Prajapati

#राज़ की बात #इतवार का दिन

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अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दें मुझे
इश्क के हिस्से में भी इतवार होना चाहिये
                            #राज़ #राज़ की बात
#इतवार का दिन

Er Manish Prajapati

#राज़ की बात #इतवार का दिन

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बचपन का क्या इतवार होता था।
घर पे एक दिन पहले ही बोल देते थे सुबह लेट तक सोने देना।
नाश्ता के बाद पूरा दिन खेलना,
घर आने के बाद मा की डाट सुनना।
शाम को पापा के साथ बाजार जाना।
सब के साथ खाना खाना।
फिर सो जाना।
लेकिन आज का दिन भले ही इतवार है।
काम इतने है कि पूरा दिन भी कम है।
कुछ पल का आरम तो है लेकिन वो दोस्त नहीं
जिसके साथ खेल सके।
#राज़ #राज़ की बात
#इतवार का दिन
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