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Pt.Vivek Ojha
दिसंबर, चाय और ठंड ये मै कैसे भुल सकता हूँ! दिसम्बर की ठंडी को भी मात दे देतीं हैं ! मां के हाथों की चाय 😘😘 #दिसम्बर, #चाय #और #ठंडी
vibrant.writer
जब तुम नहीं थे, सोचता हूं कब तुम नहीं थे, बारिश में पानी बनकर बरसते थे, गर्मी में ठंडी हवा का झोंका और ठंडी में लिहाफ बनके गले लग जाया करते थे । फिर कैसे कह दूं कि तुम नहीं थे । जब तुम नहीं थे, सोचता हूं कब तुम नहीं थे, बारिश में पानी बनकर बरसते थे, गर्मी में ठंडी हवा का झोंका और ठंडी में लिहाफ बनके गले लग जाया क
Aditya
Ujjwal Sharma
कोई याद जब ठहर ठहर के महके लगे जैसे हो सर्दियों की धूप उसमे ज़ुल्फ़ बिखेरे तुम्हारी पेशानी चमके उसपे हल्की तपिश और ठंडी हवा जैसे हो दो तरफ़ा वार उन गेसुओं का हवाओं में लेहेरना उफ़्फ़ तुम्हारा वो मुझे रंग जाना सोचता हूँ कि अगर तुम ना मिले होते तो कैसा होता मैं भी शायद वही मैला कपड़ा होता गंद और बदबू से भरा होता अगर जो तुम्हारा हाथ मुझको ना लगा होता शायद ऐसा होता कुछ वैसे होता मैं भी कहाँ कैसा होता तू भी उस जहाँ में अकेला होता उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma कोई याद जब ठहर ठहर के महके लगे जैसे हो सर्दियों की धूप उसमे ज़ुल्फ़ बिखेरे तुम्हारी पेशानी चमके उसपे हल्की तपिश और ठंडी हवा जैसे हो दो तरफ़ा वा
Yusufi Media
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Yusufi Media *पैगंबर मुहम्मद ﷺ का प्रिय संदेश* पीने की चीज़ों में पैगंबर मुहम्मद ﷺ को मीठी और ठंडी चीज़ ज्यादा पसंद थी। نبی ﷺ کو پینےکی چیزوں میں میٹھی
Anupam Chhama Srivastava
Thank you Dear friend @sananaaz ©Anupam Chhama Srivastava sana naaz Dear Friend ☺☺आँखें खोलिये और भगवान का नाम लीजिये सांस लें और ठंडी हवा का जाम लें… फिर ज़रा मोबाइल हाथ मैं थाम लीजिये … और अपने
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो इब्न-ए-इंशा पूरी ग़ज़ल अनुशीर्षक में पढ़ें #NojotoQuote Hindi Ghazal ख़ामोशी पर बेहतरीन शायरी कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो सच अच्छा पर
Sunita D Prasad
बादलों के दिल में भी यकीनन एक छेद है.... एक दर्द का रिश्ता शायद उसने भी संभाल रखा है, तभी जब घटाएँ छा जातीं हैं और ठंडी बयार बहती है तो उसकी पीड़ा रिसने लगती है ठंडी-ठंडी,नन्हीं-नन्हीं बूँदों में एक आह की तरह अंबर से बरसने लगती है झार-झार....। किसी की याद में वो भी रोने लगता है ज़ार-ज़ार.... तड़पता है गरजता है और उसकी तड़प की गूंज धरती तक भी आती है वो बिजलियाँ भी चमकाता है जो कौंधती तो वहाँ हैं पर आग धरती के सीने में लग जाती है और कुछ वृक्ष तक भींग जाती है धूँ-धूँ कर जलने लगते हैं और झर-झर उफ्फ्!क्या मंज़र होता है नदी-नाले बहाने उसकी उदासी का..। लगती है.... दूर-दूर तक देखकर ये नज़ारा उसके आँसुओं में आप भी यकीनन सब........ कह ही उठेंगे कि धुंधला सा जाता है हाँ,बादलों के दिल में भी उसके आँसुओं की नमी से कहीं एक छेद है...।। धरती भी अंदर तक 💐सुनीता डी प्रसाद💐 #yqdidi #yqpowrimo #बादल के दिल में छेद..💐 बादलों के दिल में भी यकीनन एक छेद है.... एक दर्द का रिश्ता शायद उसने भी संभाल रखा है, तभी ज
Vikram Agastya
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
चाय और चौपाल *°°°*°°°*°°°*°°°* वो घनघोर कुहरे का क़हर और ठंडी वाली शाम-ओ-सहर। वो सर्द सुबहों में आग की सेक सबको हँसाने के लिए दो-चार बातें फेंक। हाथों में आते ही गर्मा-गरम चाय, जाम के माफ़िक़ हम पर चढ़ जाये। चौपाल पर हम जैसे बेरोजगार मित्र, हमें भी चाय पर बुलाकर करते चर्चा विचित्र। सरसो के पीले फूलों के बीच नागिन डांस, लहलहाते हरे गेहूँ खेत में दीदी माँ संग बक़वास। मुरझाए नहीं हैं अभी तक उन यादों के फूल, उड़ती रही यादों में भी वो सुर्ख़ यादों की धूल। -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" चाय और चौपाल *°°°*°°°*°°°*°°°* वो घनघोर कुहरे का क़हर और ठंडी वाली शाम-ओ-सहर। वो सर्द सुबहों में आग की सेक सबको हँसाने के लिए दो-चार बातें